हैप्पी बर्थडे पंकज कपूर: 8 ऑस्कर जीतने वाली गाँधी से किया डेब्यू, जानिए अब तक का फिल्मी सफर
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: May 29, 2018 07:21 AM2018-05-29T07:21:38+5:302018-05-29T07:21:38+5:30
रिचर्ड एटनबर की ऑस्कर विजेता फिल्म गाँधी में पंकज कपूर ने महात्मा गांधी के सचिव प्यारेलाल का रोल किया था। फिल्म के हिन्दी संस्करण में उन्होंने गाँधी की भूमिका करने वाले बेन किंग्सले की आवाज की हिन्दी डबिंग की थी।
आज अभिनेता पंकज कपूर का जन्मदिन है। 1989 में आई फिल्म "राख" और 1990 में आई फिल्म "एक डॉक्टर की मौत" के लिए नेशनल अवार्ड जीतकर हिन्दी सिनेमा में अपनी धाक जमाने वाले पंकज कपूर का जन्म 29 मई 1954 को लुधियाना में हुआ था। पंकज कपूर पढ़ने-लिखने में काफी होशियार थे। उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और कॉलेज में टॉप किया। लेकिन उन्हें बचपन में ही एक्टिंग का चस्का लग चुका था। उनकी माँ उनसे छोटे-मोटे एकांकी में अभिनय कराती थीं। उसके बाद स्कूल और फिर कॉलेज तक उनका अभिनय का शौक जारी रहा।
कॉलेज के दौरान ही पंकज ने तय कर लिया कि उन्हें एक्टिंग को करियर बनाना है। अपने एक इंटरव्यू में पंकज कपूर ने बताया था कि फिल्मों में उनके आइडल राजेश खन्ना थे। पंकज उन खुशनसीब अभिनेताओं में माने जा सकते हैं जिन्हें इस अनकॉमन पेशे को अपनाने के लिए अपने पिता से सपोर्ट मिला। पिता ने पंकज को एक्टिंग में जाने के लिए सपोर्ट तो किया लेकिन एक शर्त के साथ। पंकज के पिता ने कहा कि अगर तुम सचमुच ही अभिनेता बनना चाहते तो इसकी प्रॉपर ट्रेनिंग लो। पिता की सलाह पर उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा और फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया पुणे में एक्टिंग कोर्स के लिए अप्लाई किया।
फिल्म इंस्टिट्यूट ने पंकज कपूर को स्क्रीनटेस्ट में फेल कर दिया लेकिन नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में उनका सेलेक्शन हो गया। मात्र 19 साल की उम्र में पंकज दिल्ली स्थित एनएसडी में मशहूर रंगकर्मी इब्राहिम अल्काजी के निगहबानी में अभिनय की बारिकयाँ सीखने लगे। एनएसडी से एक्टिंग का कोर्स करने के बाद पंकज कपूर एनएसडी के रेपरेटरी में अभिनेता के तौर पर काम करने लगे। थिएटर पंकज का पहला प्यार था लेकिन किस्मत ने उनकी लाइफ को ऐसा टर्न दिया कि वो फिल्मों को फुल टाइम करियर बनाने को मजबूर हो गये। एनएसडी रेपरेटरी में रहने के दौरान ही पकंज कपूर को रिचर्ड एटनबरो की फिल्म गाँधी में काम करने का मौका मिला। फिल्म में पंकज को गाँधीजी के सचिव प्यारेलाल का रोल मिला। फिल्म में काम करने के लिए पंकज ने एनएसडी से स्पेशल परमिशन ली थी लेकिन आधी शूटिंग होने के बाद एनएसडी के तत्कालीन डायरेक्टर ने आदेश वापस ले लिया। पंकज के सामने फिल्म या रेपरेटरी में से एक को छोड़ने के सिवा कोई चारा नहीं था। फिल्म आधी शूट हो चुकी थी इसलिए उन्होंने एनएसडी छोड़ दिया। गाँधी फिल्म के हिन्दी संस्करण नें पंकज कपूर ने गाँधी बने बेन किंग्स्ले की डॉयलॉग की डबिंग भी की। फिल्म को 11 वर्गों में ऑस्कर के लिए नामिनेशन मिला और आठ कैटेगरी में ऑस्कर जीतकर गाँधी फिल्म ने रिकॉर्ड बना दिया।
ऑस्कर विजेता फिल्म का हिस्सा होने के बावजूद पंकज को बॉलीवुड की मेन स्ट्रीम कही जाने वाली फिल्मों में तुरंत काम नहीं मिला। उन्हें 1983 में हिन्दी फिल्मों में पहला ब्रेक श्याम बेनेगल की आरोहण से मिला। 1983 में ही पंकज कपूर ने कुंदन मेहता की कल्ट कॉमेडी "जाने भी दी यारों" निगेटिव शेड वाला रोल किया। नसीरुद्दीन शाह, ओम पुरी, शबाना आजमी, स्मिता पाटिल, अमरीश पुरी जैसे अभिनेताओं के साथ ही पंकज कपूर को भी हिन्दी फिल्मों में समानांतर सिनेमा ने काम और पहचान दी। लेकिन पैरलेल सिनेमा के पैसे के मामले में तंगहाल था। ऑफ बीट फिल्में करके पंकज के लिए बॉम्बे में रहना जीना कठिन था। इसलिए न चाहते हुए भी उन्होंने टीवी सीरियल में काम करना स्वीकार किया। करमचंद जासूस से टीवी डेब्यू करने वाले पंकज कपूर ने नीम का पेड़ और फटीचर जैसे क्लासिक टीवी धारावाहिक से अपनी पहचान पुख्ता की। टीवी के साथ ही पंकज कपूर को धीरे-धीरे मेनस्ट्राम बॉलीवुड फिल्मों में भी काम मिलने लगा।
1980 के दशक में पंकज ने चमेली की शादी, एक रुका हुआ फैसला, राख और एक डॉक्टर की मौत जैसी हिन्दी क्लासिक में अहम रोल निभाए। राख और एक डॉक्टर की मौत के लिए उन्हें नेशनल अवार्ड मिला। 1992 में आई रोजा में पंकज कपूर ने आतंकवादी का रोल करके अपने अभियन की रेंज का परिचय दिया। अपने करियर के पहले दो दशकों में पंकज कपूर ने तमाम तरह की भूमिकाएँ कीं लेकिन उनकी छवि एक समानांतर सिनेमा के अभिनेता की ही बनी रही। लेकिन साल 2003 में आई विशाल भारद्वाज की फिल्म मकबूल ने पंकज कपूर की लोकप्रियता को नया आयाम दिया। मकबूल में अब्बाजी की भूमिका ने पंकज ने रोंगटे सिहरा देने वाला अभिनय करके नई पीढ़ी के दर्शकों और निर्देशकों के बीच खुद को इस्टैब्लिश किया।
मकबूल के लिए पंकज कपूर को तीसरी बार नेशनल अवार्ड मिला। मकबूल के बाद उन्होंने 2005 में आई ब्लू अम्ब्रेला और 2007 में आई धरम जैसी फिल्मों से उन्होंने साबित कर दिया कि वो अपनी पीढ़ी के सबसे बेहतरीन अभिनेताओं में हैं। पंकज कपूर के जन्मदिन पर हमारी शुभकामना है कि वो ऐसे ही अलहदा रोल करते रहें और हम उनकी एक्टिंग की मेहर से मालामाल होते रहें।
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