Raazi Movie Review: वतन से बढ़कर कुछ नहीं, खुद भी नहीं!
By आदित्य द्विवेदी | Published: May 11, 2018 12:04 AM2018-05-11T00:04:15+5:302018-05-11T00:04:15+5:30
राज़ी फिल्म रिव्यूः कोई अपने मुल्क के लिए कितनी कुर्बानियां दे सकता है? मुल्क छोड़ दे, शौहर का भरोसा तोड़े, लोगों की जान ले और खुद भी जान देने के लिए तैयार रहे! राज़ी एक सच्ची कहानी पर आधारित फिल्म है।
कलाकार- आलिया भट्ट, विक्की कौशल, रजित कपूर, शिशिर शर्मा, जयदीप अहलावत।
निर्देशक- मेघना गुलजार
संगीतकार- शंकर-एहसान-लॉय
गीतकार- गुलजार
गायक- अरिजीत सिंह, सुनिधि चौहान, हर्षदीप कौर
रेटिंग- 3.5/5 स्टार
ये मेघना गुलजार की फिल्म है। ये आलिया भट्ट की फिल्म है। ये पाकिस्तान में भारत की महिला जासूस सहमत खान की फिल्म है। एक 19 साल की लड़की जो दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करती है। वो इतनी संवेदनशील है कि एक गिलहरी को बचाने के लिए दौड़कर स्कूटर के सामने आ जाती है। सहमत खान को एक दिन पता चलता है कि उसके पिता (रजित कपूर) भारतीय इंटेलिजेंस के खुफिया एजेंट हैं जिन्हें लंग ट्यूमर हो गया है। अब सहमत खान को उनके अधूरे मिशन को पूरा करना है। सहमत के पास च्वॉइस है चाहे तो वो मना कर दे। लेकिन वो कहती है वतन से बढ़कर कुछ नहीं, खुद भी नहीं! सहमत का निकाह रावलपिंडी की एक आर्मी फैमिली से किया जाता है। जहां से उसे भारत की आंख और कान बनकर निगहबानी करनी है।
एक गिलहरी के लिए जान की बाजी लगा देने वाली मासूम सहमत वतन के लिए जान लेने में भी नहीं हिचकती। उसे पाकिस्तान के उस खतरनाक मिशन के बारे में जानना है जो भारत के खिलाफ बनाया जा रहा है साथ ही इसका भी ख्याल रखना है कि उसपर किसी को शक ना हो। तमाम मुश्किलों के बीच कड़ियां जुड़ती चली जाती हैं। एक वक्त पर फिल्म ऐसे मोड़ पर पहुंच जाती है जहां दर्शकों का दिल बैठ सकता है? मन में सवाल उठ सकता है कि आखिर देश के इतनी कुर्बानी के एवज में सहमत खान को हासिल क्या हुआ? देश के लिए जान की बाज़ी लगा देने वाले ना जाने कितने हीरो गुमनामी में जी रहे हैं। तभी आपको कानों में आवाज गूंजती है-
लगन की बाज़ी है, चोट भी ताज़ी है, लगा दे दांव पर दिल, अगर दिल राज़ी है।
राज़ी की कहानी हरिंदर एस. सिक्का के 2008 में प्रकाशित नॉवेल 'कॉलिंग सहमत' पर आधारित है। यह एक सच्ची कहानी है। हरिंदर का कहना है कि सहमत खान से उन्हें एक बेसिक कहानी मिली थी जिसके आधार पर उन्होंने काल्पनिक प्लॉट गढ़ा है। राज़ी को मेघना गुलजार ने निर्देशित किया है। उन्होंने इस कहानी के साथ पूरा न्याय किया है। पहले सीन से लेकर आखिरी फ्रेम तक फिल्म बेहद रोमांचक है। इससे पहले मेघना गुलजार ने आरुषी-हेमराज हत्याकांड पर आधारित तलवार फिल्म का निर्देशन किया था।
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अभिनय की बात करें तो राज़ी फिल्म आलिया भट्ट की अब तक की सबसे बेहतरीन फिल्मों में से एक है। उनके किरदार के कई शेड हैं। मासूमियत और शातिराना किरदार निभाते हुए उनके चेहरे के भाव तेजी बदलते हैं। नीचे के फड़कते होंठों से वो जब भी स्क्रीन पर रोती हैं तो दर्शक भी भावुक हो जाते हैं। हालांकि कुछ सीन में उनकी एक्टिंग हाइवे और उड़ता पंजाब का दोहराव लगती है। इसके बावजूद वो प्रभावी लगी हैं। इसके अलावा साथी कलाकारों ने भी अभिनय में कोई कसर नहीं छोड़ी है। विक्की कौशल, रजित कपूर, शिशिर शर्मा, जयदीप अहलावत, अमृता खानविलकर और सोनी राज़दान सभी ने दर्शकों को बांधे रखा है।
राज़ी फिल्म का प्लॉट कश्मीर और मूड देशभक्ति है। फिल्म के गाने इसके हिसाब से सटीक बैठते हैं। एक छोटे अंतराल के बाद शंकर-एहसान-लॉय की तिकड़ी फिर हाजिर है। फिल्म के गीत गुलजार ने लिखे हैं। शंकर-एहसान-लॉय ने गुलजार के साथ मिलकर इससे पहले पांच फिल्मों के लिए उम्दा गाने दिए हैं। इस फिल्म में कुल चार गाने हैं जिसमें सबसे प्रभावी इसका टाइटल ट्रैक और 'ऐ वतन' सॉन्ग लगता है। दिलबरो भी फिल्म की कहानी की मांग है।
मेघना गुलजार की राजी फिल्म दर्शकों को स्पून फीडिंग नहीं कराती। इसके सीन और डायलॉग ऐसे हैं जो दर्शकों से अलर्ट रहने की अपेक्षा रखते हैं। जैसे- एक सीन में डायलॉग है कि मौसम खराब है, छतरी का इंतजाम कर लो। इसका ये मतलब नहीं है कि सच में बारिश होने वाली है। ये एक कोड वर्ड है कि मुसीबत आने वाली है। ऐसे ही फिल्म के लास्ट सीन में इंडियन आर्मी के एक अधिकारी पर बार-बार कैमरा फोकस करता है। वहां भी दर्शकों को दिमाग लगाना पड़ेगा कि यह सहमत खान का बेटा हो सकता है। ये प्रमुख वजह है कि राज़ी फिल्म में दर्शक इंगेज रहते हैं और यही राज़ी फिल्म की खूबसूरती भी है।
Final Verdict:- फिल्म देखते हुए आपका मन बार-बार सवाल करता है कि 19 साल की सहमत अपना सबकुछ दांव पर क्यों लगा रही है? इस सवाल को जस्टीफाई करने के लिए फिल्म में कुछ स्टुपिड डायलॉग भी हैं। जैसे- 'मैंने तुमसे मोहब्बत की है पर वतन के आगे कुछ भी नहीं।' बहुत छोटी डीटेलिंग में ना जाएं तो कुल मिलाकर यह एक अच्छी फिल्म है। इसे मेघना गुलजार के कसे निर्देशन और आलिया भट्ट के उम्दा अभिनय के लिए एकबार जरूर देखना चाहिए।