मुंबई प्रदूषण पर एक्ट्रेस पूजा भट्ट का फूटा गुस्सा, लिखा-सीवर की बदबू आती है...
By ऐश्वर्य अवस्थी | Published: November 26, 2019 01:03 PM2019-11-26T13:03:41+5:302019-11-26T13:03:41+5:30
पूजा भट्ट ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि मुंबई में सुबह के शुरुआती घंटों में सीवर की तरह बदबू आती है। हवा की गुणवत्ता काफी भयानक हो चुकी है।
देश में प्रदूषण इन दिनों एक बड़ी समस्या बन गया है। प्रदूषण इन दिनों अपने चरम पर भी है। दिल्ली एनसीआर में वायु की गुणवत्ता बीते काफी समय से खराब है। अब दिल्ली के साथ प्रदूषण की मार मुंबई भी खा रहा है। हवा की गुणवत्ता धीरे धीरे मुंबई में भी खराब हो रही है। ऐसे में देश में बढ़ते प्रदूषण पर पूजा भट्ट का गुस्सा फूटा है। पूजा ने ट्वीच करके सरकार पर निशाना साधा है।
पूजा भट्ट ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि मुंबई में सुबह के शुरुआती घंटों में सीवर की तरह बदबू आती है। हवा की गुणवत्ता काफी भयानक हो चुकी है। शहर बड़े धैर्य से सरकार गठन के लिए इंतजार कर रहा है। पूजा ने आगे लिखा है कि क्या सत्ता पक्ष हमारी बुनियादी जरूरतों पर ध्यान देकर यह सुनिश्चित करेगा कि हम कम से कम स्वच्छ हवा में सांस ले सकें।
Mumbai smells like a sewer in the early hours of the morning. Air quality is terrible to say the least. The city has been patient enough with the formation of the govt or lack of it. Can the powers that be now attend to basics & ensure we at least have clean air to breathe?
— Pooja Bhatt (@PoojaB1972) November 26, 2019
पूजा का ये ट्वीट सोशल मीडिया पर जमकर छा गया है। लोग इस पर तरह तरह से प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। पूजा हर समाजाजिक मुद्दे पर अपनी राय व्यक्त करती रहती हैं। पूजा आए दिन ट्वीट करके सोशल मीडिया पर छा जाती हैं।
जेएनयू पर पूजा ने दी प्रतिक्रिया
जेएनयू छात्रों के साथ हुए इस व्यवहार को लेकर दिल्ली पुलिस की हर जगह निंदा की जा रही है। सोशल मीडिया पर भी इसको लेकर जमकर रिएक्शन्स आ रहे हैं। इस पर एक्ट्रेस पूजा भट्ट ने भी अपनी प्रतिक्रिया पेश की है।
पूजा भट्ट ने जेएनयू छात्रों का सपोर्ट किया है और दिल्ली पुलिस पर निशाना साधा है। पूजा ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि शिक्षा कोई विशेषाधिकार नहीं है, इस पर सबका उतना ही अधिकार है, जितना साफ हवा में सांस लेना। जेएनयू के छात्रों के साथ पुलिस को ऐसा बर्बरता से बर्ताव करना बेहद परेशान करने वाला है। क्या वह भूल जाते हैं कि उनका प्राथमिक कर्तव्य सेवा और सुरक्षा करना है, हिंसा का सहारा क्यों? छात्रों के खिलाफ?