Oscars 2019: भारतीय फिल्म 'पीरियड: एंड ऑफ सेंटेंस' ने ऑस्कर में लहराया परचम, जानें क्या है कहानी?
By ऐश्वर्य अवस्थी | Published: February 25, 2019 09:45 AM2019-02-25T09:45:21+5:302019-02-25T10:01:06+5:30
भारतीय फिल्म प्रोड्यूसर गुनीत मोंगा की फिल्म 'पीरियड: एंड ऑफ सेंटेंस' ने ऑस्कर में अपने झंडे गाड़ दिए हैं। इस फिल्म को बेस्ट डॉक्युमेंट्री शॉर्ट कैटिगरी फिल्म के ऑस्कर अवॉर्ड 2019 से नवाजा गया है।
भारतीय फिल्म प्रोड्यूसर गुनीत मोंगा की फिल्म 'पीरियड: एंड ऑफ सेंटेंस' ने ऑस्कर में अपने झंडे गाड़ दिए हैं। इस फिल्म को बेस्ट डॉक्युमेंट्री शॉर्ट कैटिगरी फिल्म के ऑस्कर अवॉर्ड 2019 से नवाजा गया है। इस भारतीय फिल्म को रयाक्ता जहताबची और मैलिसा बर्टन ने निर्देशित किया है। ईरानी-अमेरिकन फिल्म डायरेक्टर रयाक्ता ने ऑस्कर जीतने पर कहा कि 'उन्हें यकीन नहीं हो रहा है कि पीरियड्स पर बनी फिल्म ने ऑस्कर जीता है।'
ऑस्कर अपने नाम करते ही गुनीत मोंगा ने ट्वीट करके इस बात की खुशी जाहिर की है। उन्होंने लिखा, 'हम जीत गए। इस धरती पर मौजूद हर लड़की यह जान ले कि वह देवी है... हमने @Sikhya को पहचान दिलाई है।'
WE WON!!! To every girl on this earth... know that you are a goddess... if heavens are listening... look MA we put @sikhya on the map ❤️
— Guneet Monga (@guneetm) February 25, 2019
जानें कैसी है फिल्म
यह फिल्म भारतीय भूमि पर आधारित फिल्म है जिसमें महिलाओं के पीरियड्स के मुद्दे को गंभीरता से उठाया गया है। ये शार्ट फिल्म उत्तर प्रदेश के हापुड़ में स्थित एक गांव की उन महिलाओं के जीवन को दर्शाती है जिन्हें पैड्स उपलब्ध नहीं हैं। ऐसे में मासिक धर्म के दौरान कई महिलाओं को बीमारियां चपेट में ले लेती हैं जो मौत का कारण भी बनती है।
फिल्म केवल 26 मिनट की है लेकिन पैड न होने के कारण लड़कियां स्कूल तक नहीं जा पाती हैं। इस स्थित को बहुत की बखूबी दिखाया गया है। फिल्म में दिखाया गया है कि किस तरह से किस प्रकास से एक दिन इस गांव में पैड की मशीन आ जाती है और फिर यहां की महिलाओं को पैड के बारे में पता चलता है। महिलाएं इस बारे में जागरुकता फैलाने के साथ ही खुद भी पैड बनाने का भी फैसला करती हैं।
लेकिन गांव में रहने वाले कुछ रुढि सोच रखने वाले लोग इसके खिलाफ हो जाते हैं। लेकिन महिलाएं पीछे नहीं हटती हैं और हर परिस्थिति का हटकर सामना करती हैं। उनके इस काम को विदेश से भी सहायता मिलती है। वह अपने सैनिटरी नैपकिन को 'FLY' नाम देती हैं जिसका मतलब होता है उड़ना। इस नाम को देने के पीछे की वजह लड़कियों की मासिक धर्म से होने वाली परेशानियों से आजादी होती है।