ओमार्टा फिल्म समीक्षाः आतंकी ओमर सईद शेख पर डॉक्यूमेंट्री फिल्म बना बैठे हैं हंसल मेहता

By खबरीलाल जनार्दन | Published: May 3, 2018 08:52 PM2018-05-03T20:52:39+5:302018-05-04T12:57:34+5:30

अलीगढ़, शाहिद जैसी शानदार फिल्में दे चुके हंसल मेहता और राजकुमार राव की जोड़ी इस बार आतंकवादियों के चंगुल में फंसकर डॉक्‍यूमेंट्री फिल्म बना बैठी है।

Omerta movie review: It's documentry film on Omar Saeed Sheikh, made by Hansal Mehta Performed by Rajkumar Rao | ओमार्टा फिल्म समीक्षाः आतंकी ओमर सईद शेख पर डॉक्यूमेंट्री फिल्म बना बैठे हैं हंसल मेहता

ओमार्टा फिल्म समीक्षाः आतंकी ओमर सईद शेख पर डॉक्यूमेंट्री फिल्म बना बैठे हैं हंसल मेहता

Highlightsओमर सईद शेख को कंधार कांड में हाईजैक हुए विमान के बदले छोड़ा गया थाअमेरिकी पत्रकार के अपहरण व हत्या के आरोप में ओमार को उम्रकैद की सजा हुईओमर इस वक्त पाकिस्तान के हैदराबाद जेल में बंद है

ओमार्टा **
रेटिंगः
दो स्टार,
लेखक व निर्देशकः हंसल मेहता
कलकारः राजकुमार राव, राजेश तैलंग, रूपिंदर नागरा

ओमार्टा खलनायक प्रधान फिल्म है। खलनायक कोई काल्पनिक नहीं बल्कि दुनियाभर में आतंक घटनाओं अंजाम दे चुका ओमर सईद शेख है। हंसल मेहता गंभीर विषयों और असल किरदारों के इर्द-गिर्द शाहिद, अलीगढ़ जैसी शानदार फिल्में बना चुके हैं। लेकिन इस बार वह पूरी तरह डॉक्यूमेंट्री बना बैठे। हंसल ने दुनिया के प्रमुख आतंकी हमलों पर एक शोध किया। उनमें एक खास शख्स की भूमिका को उकेरते हुए फिल्म बनाई। लेकिन बोस्‍निया में मुस्लिमों का नरसंहार, कंधार कांड, 9/11 यानी वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमला, अमेरिकी पत्रकार डेनियल पर्ल का अपहरण व हत्या, 26/11 यानी मुंबई में आतंकी हमला, अल कायदा, ओसमा बिन लादेन, पाकिस्तान, मसूद अजहर, कश्मीर, इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) को पर्दे पर 97 मिनट में दिखाने में चक्कर में एक मुकम्मल डॉक्यूमेंट्री फिल्म बना दिए हैं।

कुछ-एक दृश्यों में वे इतने मजबूर हो गए हैं कि उन्हें अटल बिहारी वाजपेयी, जॉर्ज डब्यू बुश, ओमर सईद शेख, ओसमा बिन लादेन, मसूद अजहर, पाकिस्तानी विदेश मंत्री के असली विजुअल्स, हत्या आदि की खबरों की अखबार की कटिंग्स दिखानी पड़ी हैं।

हंसल ने ओमार्टा में फ्लैशबैक, अभिनेता के तौर पर राजकुमार राव जैसे फिल्मी तत्वों का सहारा लिया है। लेकिन इन के बदले बस दो दृश्य ऐसे होते हैं जिनमें ओमार्टा के एक बॉलीवुड फिल्म होने का अहसास होता है-

ओमार्टा दृश्य एक- ओमर शेख तिहाड़ जेल अपने साथ‌ियों को रोजा ना रखने के लिए लताड़ लगा रहा होता है। इस दौरान सभी कैदी खाना आधे में छोड़ देते हैं। इस पर ओमर अपने सामने वाले कैदी से पूछता है- What is your name, वह जवाब देता है- कृष्‍णा। इस पर गंभीर और स्वाभाविक अंदाज में ओमर का कहना- तो आप क्यों नहीं खा रहे हैं।

यह इकलौता दृश्य है जिसमें दर्शकों के चेहरे पर हल्की मुस्कुराहट आएगी। एक ऐसा ही व्यंग्यातक हंसी तब भी दर्शकों के चेहरे पर खिल सकत है जब क्लीशे डायलॉग- जिहाद में मरने से जन्नत में 80 हूर की परियां स्वागत करेंगी, सुनाई पड़ता है।

ओमार्टा दृश्य दो- अमेरिकी पत्रकार डेनियल पर्ल, ओमर शेख की कैद से भागने की कोशिश करता है। तभी ओमर व उसके साथी डेनियल को पीछे से गोली मार देते हैं। लेकिन पीछे से भागते हुए ओमार आता है और बंदूक के हत्‍थे से अधमरे पत्रकार को कूचता है। इसके बाद चाकू लेकर लाश में छेद करता है। इसके बाद कसाई की तरह लाश से गला, धड़ से अलग करता है।

यह दृश्य विभत्सता और घृणा दिखा पाता है। इसके अलावा फिल्म में कोई ऐसा दृश्य नहीं है, जिसमें किसी तरह का रस हो। सारे दृश्य नीरस-उदासीन, घटनाओं का सिलसिलेवार विवरण है।

ओमार्टा की कहानी

ओमार्टा इंग्लैंड में पले-बढ़े, वेल एजुकेटेड ओमर सईद शेख की है। जो स्वतः दुनिया में मुसलमानों के हालात सुधारने का जिम्मा ले बैठता है। इसके लिए वह पाकिस्तान में पहले अलकायदा और बाद में आईएसआईएस की ट्रेनिंग लेता है। उसका शुरुआती मकसद बोस्निया में हुए में मुस्लिमों के नरसंहार का बदला लेना होता है। लेकिन पाकिस्तान में ट्रेनिंग के दौरान उसे कश्मीर में मुसलमानों के साथ ज्‍यादा ज्यादती हो रही है ऐसा बताया जाता है।

इसके बाद वह हिन्दुस्तान में आकर दहशत का खेल शुरू करता है। उसका केंद्र दिल्ली का पहाड़गंज होता है। यहां वह विदेशी शैलानियों का अपहरण कर, वीडियो बनाकर यह साबित करना चाहता है कि अमेरिकी, ब्रिटिश नागरिक सुरक्षित नहीं हैं। लेकिन जल्द ही पुलिस के हत्‍थे चढ़ जाता है। बाद में कंधार कांड में हाईजैक हुए विमान में यात्रियों के बदले मसूद अजहर के साथ उसे रिहा कर दिया जाता है।

यह घटनाएं साल 1990 से 1995 के बीच घटित होती हैं। इसके बाद वह पाकिस्तान में ही घर बसा लेता है। पत्नी-बच्चों के साथ इस्लाम को बचाने की मुहिम जारी रखता है। लेकिन साल 2000 में वह अमेरिकी पत्रकार डेनियल के अपहरण में लिप्त हो जाता है। और साल 2002 में उसी की हत्या के आरोप में जेल चला जाता है। बाद में उम्रकैद हो जाती है।

वह फिलहाल पाकिस्तान की हैदारबाद जेल में है। उसके परिवार को पाकिस्तान सरकार ने पनाह दे रखी है। लेकिन फिल्म के क्लाइमेक्स में साल 2008 में हुए मुंबई हमले के दौरान शेख की चौंकाने वाली भूमिका का उल्लेख हुआ है। अगर आपकी दिलचस्पी इस विषय में तो इस क्लाइमेक्स आपको थ‌िएटर में देखना चाहिए।

ओमार्टा में अभियन

ओमार्टा में अभियन की छूट बस एक किरदार को दी गई है, ओमर को। यह किरदार हंसल के प्र‌िय अभिनेता राजकुमार राव के पास है। उन्होंने पहली बार किरदार लिहाज से शरीर में बदलाव किया है। फिल्म के कई दृश्यों में उनके गठीले शरीर पर कैमरा ले जाया गया है, उस इस खास किरदार के लिए राजकुमार ने बनाया है। इसके अलावा राजकुमार राव ने अपने किरदार से पूरा न्याय किया है। वे पर्दे पर एक असल जिहादी नजर आए हैं, जो जहीन है और दिली तौर पर विश्वास करता है कि दुनिया में इस्लाम और मुसलमान खतरे में है।

ओमार्टा की भाषा

ओमार्टा में करीब 70 फीसदी अंग्रेजी, 20 फीसदी उर्दू और 10 फीसदी हिन्दी डायलॉग हैं। अंग्रेजी भी ब्रीटिश एसेंट में बोली गई है। हालांकि इस दौरान अंग्रेजी सबटाइटल चलते हैं।

ओमार्टा का ट्रेलर

Final Comment: Omertà एक इटैलियन शब्द है। इसका मतलब होता है, आपराधिक घटनाओं में लिप्त रहने के बाद भी पुलिस के सामने कभी भी चुप्पी न तोड़ना, ना ही पुलिस के हाथों किसी सबूत को लगने देना। फिल्म में इसके मायने नजर भी आते हैं। जब ओमर पर थर्ड ‌डिग्री इस्तेमाल होती है। लेकिन किरदार के ओमर नाम होने पर इटली से ऐसा शब्द ढूंढ़ लाना जिसका किरदार और फिल्म दोनों का मतलब निकल आए, हंसल ने बहुत शोध किया है। उन्होंने साल 1990 से साल 2008 तक की आतंकी की दुनिया को ओमर की नजरों से बताने की अच्छी कोशिश की है। ऐसे में अगर आपकी रुचि इस विषय में है और आप कई किताबों के पन्ने पलटने से बचना चाहते हैं तो यह फिल्म देख सकते हैं।

Web Title: Omerta movie review: It's documentry film on Omar Saeed Sheikh, made by Hansal Mehta Performed by Rajkumar Rao

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