लोकसभा चुनाव 2019: पर्दे पर हिट लेकिन राजनीति में अमिताभ से लेकर गोविंदा तक रहे फ्लॉप
By ऐश्वर्य अवस्थी | Published: March 29, 2019 03:12 PM2019-03-29T15:12:39+5:302019-03-29T15:19:46+5:30
सिनेमा का भी सियासत से पुराना रिश्ता रहा है। एक्टर्स की तमाम पीढ़ियों ने राजनीति में सक्रियता दिखायी है और ज़रूरत पड़ने पर चुनावी दंगल में कूदे भी हैं।
लोक सभा चुनाव 2019 में जीत के लिए पार्टियां पूरी तरह से मैदान में उतर चुकी हैं। सभी दल अपने अपने तरीकों से जीत के लिए दम भरती नजर आ रही हैं। ऐसे में वोटरों को लुभाने के लिए ये पार्टियां बॉलीवुड स्टार्स को भी मैदान में उतार रही हैं। ऐसा पहली बार नहीं है कि बॉलीवुड सितारे चुनावी अखाड़े में उतरे हों पहले भी ये नजारे देखा जाता रहा है।
हालांकि इनमें कुछ सितारे ऐसे भी हैं, जिन्होंने फिल्मों में कामयाबी की जो ऊंचाई छुई, वैसा सियासत में ना कर सके। सिनेमा में अपने स्टारडम से लोगों के दिल जीतने वाले, सियासत में फ्लॉप साबित हुए और आख़िरकार उन्हें कुछ वक़्त बाद सिनेमा की तरफ़ लौटना पड़ा, राजनीति को पूरी तरह अलविदा कहकर। आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ सितारों के बारे में-
धर्मेंद्र
अपने जमाने के फेमस स्टार धर्मेंद्र का फिल्मी सफर जितना शानदार रहा, राजनीतिक सफर उनका उतना ही बेकार रहा। धर्मेंद्र ने 2004 में बीकानेर से भाजपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव जीता था। वह अलग संसद से गायब रहने के कारण सुर्खियों में रहे और आखिरकार उनको एक दिन सत्ता को मोह छोड़ना पड़ा।
वैजयंती माला
नया दौर और संगम जैसी फिल्मों में काम कर चुकीं वैजयंती माला ने भी राजनीति में कदम रखे। लेकिन वह भा ज्यादा समय तक इसमें ना रह पाईं। उन्होंने 1984 में मद्रास दक्षिण से जीत हासिल की थी।
राजेश खन्ना
सुपर स्टार राजेश खन्ना का भी राजनीति में करियर फ्लॉप रहा था। कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव जीतकर राजेश खन्ना 1992 से 1996 कर नई दिल्ली के सांसद रहे, मगर सियासत की पारी लंबी नहीं चली।
गोविंदा
अपनी कॉमेडी से फैंस को दीवाना करने वाले गोविंदा ने कांग्रेस राजनीति की पारी शुरू की थी। 2004 में गोविंदा ने कांग्रेस के टिकट पर मुंबई की विरार कांस्टिचुएंसी से लोकसभा चुनाव लड़ा, जीते भी, मगर उनका कार्यकाल काफ़ी विवादों भरा रहा। 2008 में गोविंदा ने अपने पॉलिटिकल करियर के क्लाइमेक्स का ऐलान कर दिया था।
संजय दत्त
संजय दत्त के पिता सुनीत दत्त कामयाब राजनेता थे। संजय पॉलिटिक्स में फ्लॉप रहे। उन्होंने 2009 के लोकसभा चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी के टिकट पर नामांकन करवाया मगर अदालत ने उनके कंविक्शन को सस्पेंड करने के इंकार कर दिया, जिसके चलते चुनाव नहीं लड़ सके थे। उन्हें पार्टी का महासचिव बनाया गया, मगर 2010 में संजय ने पद और पार्टी छोड़ दी थी।