सुशांत सिंह राजपूत की तरह डिप्रेशन के शिकार थे अध्ययन सुमन, आता था सुसाइड करने का ख्याल: शेखर सुमन
By मनाली रस्तोगी | Published: June 28, 2020 02:07 PM2020-06-28T14:07:22+5:302020-06-28T14:07:22+5:30
दिग्गज अभिनेता शेखर सुमन (Shekhar Suman) ने खुलासा किया है कि कभी उनके बेटे अध्ययन सुमन (Adhyayan Summan) भी डिप्रेशन के शिकार थे, जिनके आत्महत्या करने के ख्याल आते थे।
दिग्गज अभिनेता शेखर सुमन (Shekhar Suman) लगातार सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) के सुसाइड केस को लेकर बेबाकी से अपनी बातें सामने रखते हुए नजर आ रहे हैं। शेखर वो सेलेब्रिटी हैं, जिन्होंने इस आत्महत्या मामले में सबसे पहले सीबीआई जांच की मांग थी। वहीं, सुशांत को याद करते हुए शेखर ने बताया कि एक समय ऐसा था जब उनके बेटे अध्ययन सुमन (Adhyayan Summan) भी डिप्रेशन के शिकार हो गए थे और उन्हें भी आत्महत्या करने के ख्याल आते थे।
शेखर ने सुशांत को बताया अपना बेटा
नवभारत टाइम्स को दिए इंटरव्यू में शेखर सुमन ने बताया, 'सुशांत मेरे लिए बेटे जैसा था। मैं उसके पिता के दर्द को समझ सकता हूं क्योंकि उसकी तरह मेरे बेटे अध्ययन को भी डिप्रेशन का सामना करना पड़ा था और वह इसी तरह के दौर से गुजरा है। फिल्म इंडस्ट्री ने उसके लिए कई बाधाएं खड़ी कर दी थीं। एक बार अध्ययन ने मुझे यह भी बताया था कि वह आत्महत्या करने की सोच रहा है।'
शेखर सुमन ने ये भी खुलासा किया कि जब उनके बेटे अध्ययन सुमन ने उनके साथ डिप्रेशन का शिकार होने और सुसाइड करने की बात शेयर की थी, तब पूरे परिवार ने इस मुश्किल घड़ी में साथ दिया था। परिवार के सभी सदस्य ये सुनिश्चित करते थे कि उस दौरान अध्ययन के पास कोई न कोई बराबर से बना रहे और उन्हें डिप्रेशन से लड़ने के लिए प्रोत्साहित करते रहें। उन्होंने बताया कि वो थोड़ी-थोड़ी देर में बेटे के कमरे में जरूर झांकते थे, ताकि पता चल सके कि वो क्या कर रहे हैं।
अध्ययन के साथ था पूरा परिवार
अपनी बात को जारी रखते हुए शेखर ने बताया, 'मैं उसके कमरे में झांककर देखता था कि वह ठीक है। ऐसा कई बार हुआ है कि मैंने सुबह चार या पांच बजे उसे देखने के लिए कमरे का अपना दरवाजा खोला, लेकिन मैं हमेशा देखता था कि वो केवल खाली छत को घूर रहा है। तब मैं उसे सोने के लिए कहता था। उस दौर में हम सभी उसके साथ खड़े होते थे। अपने बेटे को खुशी खोजने के लिए कहना, क्योंकि इंडस्ट्री में ऐसे लोग भी हैं जो बुनियादी आवश्यकताओं के लिए संघर्ष करते हैं।'
शेखर ने अध्ययन को समझाया, 'मैंने अपने बेटे से कहा कि हमारे पास जो कुछ भी है, उसमें खुशी ढूंढोंऔर कुछ सीखने की कोशिश करो। अगर आपका परिवार और दोस्त आपके साथ हैं, तो कोई भी आपको नुकसान पहुंचाने के करीब भी नहीं आ सकता है। हमारे लिए अपने बेटे को उसके जीवन के उस बुरे दौर से निकालना मुश्किल था। मगर अब सुशांत की मौत के बाद मैं एक बार फिर डर गया हूं और चिंतित हूं।'