क्या 'जया' के लिए 'हां' करना है कंगना का सही फैसला?
By अजय ब्रह्मात्मज | Published: March 26, 2019 09:07 AM2019-03-26T09:07:38+5:302019-03-26T09:07:38+5:30
तीन दिन पहले कंगना रणावत के जन्मदिन पर 'जया' फिल्म की घोषणा हुई
तीन दिन पहले कंगना रणावत के जन्मदिन पर 'जया' फिल्म की घोषणा हुई. इसे तमिल में 'थलाइवी' और हिंदी में 'जया' नाम से बनाया जा रहा है. निर्देशक हैं विजय और इसे लिख रहे हैं केवी विजयेंद्र प्रसाद, जो 'बाहुबली' के लेखक हैं. उन्होंने ही कंगना की पिछली फिल्म 'मणिकर्णिका' लिखी थी. अगली फिल्म तमिल फिल्मों की अभिनेत्री और तमिलनाडु की भूतपूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता की बायोपिक है. इस फिल्म की घोषणा के साथ कंगना ने जाहिर किया है कि अब वह अपनी बायोपिक पर काम नहीं करेंगी.
'मणिकर्णिका' की रिलीज के समय कंगना ने बताया था कि वह अपनी आत्मकथा सेल्यूलाइड पर पेश करना चाहती हैं. इसे वह खुद ही लिखना और निर्देशित करना चाहती थीं. हिंदी फिल्मों के इतिहास में अपने ढंग का यह पहला प्रयास होता. फिलहाल कंगना ने इरादा बदल दिया है. और यह सही किया. कंगना अपने करियर के उठान पर हैं. अभी उन्हें आगे ऊंचाइयां और उपलब्धियां हासिल करनी हैं. लंबे अपमान, तिरस्कार और संघर्ष के बाद वह यहां तक पहुंची हैं.
आगे का रास्ता फिलहाल आसान नहीं दिख रहा है, क्योंकि फिल्म इंडस्ट्री की कथित ताकतवर बिरादरी और लॉबी खुले दिल से उन्हें स्वीकार नहीं कर रही है. विरोध जारी है, लेकिन कंगना के साथ दर्शकों का एक समूह है. वह कंगना को पसंद करने के साथ उनकी कामयाबी भी चाहता है. कंगना के बड़बोलेपन और पंगा लेने की आदत को नजरअंदाज कर दें तो उनकी प्रतिभा संदेह से परे है. वह कुछ नया और बेहतर करना चाहती हैं. 'जया' फिल्म के संदर्भ में उन्होंने कहा, ''मैं तो अपनी बायोपिक (आत्मकथा) पर काम कर रही थी. इसी बीच 'जया' की कहानी सुनाने पर वह मुझे अपने जीवन सदृश और करीब लगी. हमारी जिंदगी में अनेक समानताएं हैं. हाँ, उनकी उपलब्धिया मुझसे बड़ी हैं. कंगना को इस फिल्म के लिए 24 करोड़ का पारिश्रमिक मिलेगा.
'जया' फिल्म की घोषणा के साथ यह खबर भी आई है. इस खबर की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है और ना ही कंगना की तरफ से कोई खंडन आया है. यकीन किया जा सकता है कि ऐसा ही होगा. 'मणिकर्णिका' की कामयाबी का पूरा श्रेय कंगना को मिलना चाहिए. प्रतिकूल स्थितियों में वह फिल्म को दर्शकों के बीच ले गईं. फिल्म के कथ्य और प्रस्तुति से मैं असहमत हूं, लेकिन कंगना की मेहनत और सफलता कैसे भूली जा सकती है. और फिर समकालीन अभिनेत्रियों के बीच वह अकेली ऐसी अभिनेत्री के तौर पर उभरी हैं जो किसी पॉपुलर स्टार का टेक लिए बगैर छलांग लगा रही है.
यह दुर्लभ है. अभी तक माना जा रहा था कि दीपिका पादुकोण सर्वाधिक पारिश्रमिक पाने वाली अभिनेत्री हैं. उन्हें 'पद्मावत' के लिए रणवीर सिंह और शाहिद कपूर से अधिक राशि बतौर पारिश्रमिक मिली थी, जो थी 13 करोड़. करीना कपूर खान को 'वीरे दी वेडिंग' के लिए 10 करोड़ दिए गए थे. पारिश्रमिक के लिहाज से भी कंगना ने अपने समकालीनों को बहुत पीछे छोड़ दिया है. अब यह देखना होगा कि दूसरी अभिनेत्रियां कितनी तेजी से कंगना के करीब पहुंचती हैं. दीपिका अपनी अगली फिल्म 'छपाक' में निर्माता बन गई हैं.
वह अभिनेताओं की तरह प्रॉफिट शेयरिंग के समीकरण में चली गई हैं. इससे फिल्म चलेगी और कमाएगी तो उन्हें भारी लाभ होगा. बस, कंगना रणावत का विचलन कई बार चिंतित करता है. वह आवेश में अनावश्यक बयानबाजी कर जाती हैं. उन्हें थोड़ा सचेत रहना चाहिए. अपने राजनीतिक विचारों का भी मंथन करना चाहिए. भावावेश में कुछ भी बोलना गलत संदेश देता है. हालांकि समाज और देश की उनके प्रति समझ बढ़ी है, लेकिन राजनीतिक स्पष्टता आनी बाकी है. ऐसा लगता है कि वह किसी खास दिशा में झुक रही हैं और वह उनके व्यक्तित्व की तरह प्रगतिशील नहीं है.