Super 30 Review: इंस्पायरिंग स्टोरी है ऋतिक रोशन की फिल्म 'सुपर 30', पढ़ें रिव्यू
By प्रतीक्षा कुकरेती | Published: July 12, 2019 03:42 PM2019-07-12T15:42:44+5:302019-07-12T15:42:44+5:30
ऋतिक रोशन की फिल्म Super 30 की कहानी बहुत ही इंस्पायरिंग और ट्रू इवेंट्स पर आधारित है. यह कहानी है बिहार के आनंद कुमार की.
इस हफ्ते बड़े पर्दे पर ऋतिक रोशन की फिल्म 'सुपर 30' रिलीज हुई है। फिल्म को लेकर ज्यादा एक्साइमेंट इसलिए भी है क्योंकि एक तो काफी समय के बाद ऋतिक बड़े पर्दे पर नज़र आ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कंगना और उनके बीच चल रही कंट्रोवर्सी, लेकिन फिल्म देखने बाद ऋतिक की सिवाय आपको फिल्म के बाकी किरदार ज्यादा पसंद आयेंगे।
फिल्म की कहानी इन्स्पारिंग और ट्रू इवेंट्स पर आधारित है। ये कहानी है बिहार के आंनद कुमार की। आनंद कुमार एक बहुत ही होनहार इंटेलीजेंट स्टूडेंट थे। जिन्हें कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में एडमिशन मिल गया था। लेकिन छोटी उम्र में पिता का देहांत होना और आर्थिक तंगी की वजह से वो अपना सपना पूरा ना कर सके, लेकिन फिर उन्होंने तय किया की वो उन तमाम ऐसे बच्चों को फ्री में IIT की कोचिंग देंगे जो कोचिंग का खर्चा नहीं उठा सकते। ऐसे में आज आंनद कुमार एक फेमस शिक्षा और गणितज्ञ हैं, जो गरीब बच्चों को मुफ्त में शिक्षा देते हैं। सिर्फ यही नहीं आनंद कुमार अपने Super 30 प्रोग्राम के लिए जाने जाते हैं।
'सुपर 30' फिल्म आनंद कुमार की कहानी पर आधारित है और आनंद कुमार के किरदार में हैं ऋतिक रोशन। फिल्म की सबसे कमजोर कड़ी ही यही है। इसमें कोई शक नहीं है कि ऋतिक रोशन एक अच्छे कलाकार हैं लेकिन वो इस किरदार के साथ बिल्कुल न्याय नहीं कर पाएं। जब वो बिहारी एक्सेंट में कोई भी डायलॉग बोलते है तो वो आपको बहुत बोझिल सा लगता है। इस किरदार के लिए ये जरुरत थी कि एक ऑथेंटिक एक्सेंट वाले एक्टर जिनका एक्सेंट हमें फेक ना लगे, उन्हें रखा जाए। ऊपर से किरदार के लिए उनका ब्राउन मेकअप वो तो उससे ज्यादा बोझिल लग रहा था।
ऋतिक किसी भी तरह से फिल्म में बिहार के नहीं लग रहे हैं। कहानी कितनी भी अच्छी और मजबूत हो अगर एक्टर उसको बहुत रियल और नेचुरल ना बना पाए तो मजा नहीं आता। मैं ये नहीं कह रही कि ऋतिक रोशन एक अच्छे एक्टर नहीं हैं या उनको एक्टिंग नहीं आती, उन्होंने 'अग्निपथ' और 'कोई मिल गया' जैसी फिल्मों में बेहतरीन एक्टिंग करके सबका दिल जीता है। लेकिन इस किरदार के लिए वो परफेक्ट मैच नहीं थेऔर इसके लिए कहीं ना कहीं फिल्म के कास्टिंग डायरेक्टर ज़िम्मेदार हैं।
लेकिन फिल्म के अन्य किरदार बहुत ही परफेक्ट और नेचुरल लगते है। ऋतिक के अलावा सब एकदम फिट बैठते हैं रोल में खासतौर पर पंकज त्रिपाठी और सीआईडी आदित्य श्रीवास्तव। मतलब पंकज त्रिपाठी क्या करके मानेगे। हर बार जब स्क्रीन पर आते हैं तो कुछ नया और कमाल ही करते है। फिल्म में विजय वर्मा और मृणाल ठाकुर भी है जो ब्रिलियंट है। फिल्म आनंद कुमार के 30 बच्चे बने सभी एक्टर्स का अभिनय कमाल का है।
डायरेक्टर विकास बहल ने बहुत कोशिश की है फिल्म में कुछ ऐसे ब्रिलियंट एंड हार्टटचिंग सीन्स क्रिएट करने की कोशिश की है जो वाकई में आपके दिल को छू लेगी और फिल्म के कुछ ये सीन्स ही फिल्म देखने लायक बनाती है। साथ ही फिल्म की सिनेमेटोग्राफी और राइटिंग भी अच्छी है। विकास बहल का डायरेक्शन अच्छा है लेकिन वो क्वीन जैसा कमाल नहीं कर पाए।
फिल्म 2 घंटे 42 मिनट की है जो बहुत लम्बी लगती है और कई बार ऐसा लगेया जैसे कुछ सीन्स तो फालतू में डाल दिए है।