मीना कुमारी के बारे में ये 7 बातें नहीं जानते होंगे आप, जानिए क्या था रवींद्रनाथ टैगोर से उनका रिश्ता

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: August 1, 2018 07:35 AM2018-08-01T07:35:45+5:302018-08-01T13:03:14+5:30

Bollywood veteran Actress Meena kumari Birth Anniversary Special: मीना कुमारी को हिन्दी सिनेमा की सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्रियों में शुमार किया जाता है। उनकी फिल्मों पाकीज़ा और साहब, बीवी और गुलाम को भारतीय सिनेमा की संगेमील फिल्मों में गिना जाता है।

Bollywood veteran Actress Meena kumari Birth Anniversary Special, unknown facts, life, biography, top movie | मीना कुमारी के बारे में ये 7 बातें नहीं जानते होंगे आप, जानिए क्या था रवींद्रनाथ टैगोर से उनका रिश्ता

Meena Kumar| Birth Anniversary| Meena Kumari Life Story

मीना कुमारी को हिन्दी सिनेमा की सर्वश्रेष्ठ अदाकाराओं में शुमार किया जाता है। बैजू बावरा, परिणीता, आजाद, फूल और पत्थर, बहारों की मंजिल, एक ही रास्ता, दिल अपना प्रीत परायी, साहब, बीबी और गुलाम, सांझ और सवेरा , दिल एक मंदिर और पाकीजा जैसी मशहूर फिल्मों में उनके अभिनय ने कई पीढ़ियों को अपना मुरीद बनाया है। एक अगस्त 1933 को मुंबई में जन्मी मीना कुमार ने फिल्मों में बाल कलाकार के तौर पर काम शुरू किया। बाल कलाकार के बाद मीना कुमारी को धार्मिक फिल्मों में भूमिकाएँ मिलनी शुरू हुईं। 1952 में आई फिल्म बैजू बावरा को मीना कुमारी के जीवन का अहम मोड़ माना जाता है। इस फिल्म ने उन्हें रातोंरात स्टार बना दिया। इसके बाद उन्हें जीते-जी कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा। 1972 में आई उनकी फ़िल्म पाकीज़ा तक मीना कुमारी अपने अभिनय का लोहा मनवाती रहीं। 31 मार्च 1972 को महज 38 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया।। मीना कुमारी की जयंती के मौके पर हम आपको उनके जीवन से जुड़ी सात ऐसी बातें बताएँगे जिन्हें कम ही लोग जानते हैं। 

1- मीना कुमारी का रवींद्र नाथ टैगोर से रिश्ता

बहुत कम लोग जानते हैं कि मीना कुमारी का बांग्ला के प्रसिद्ध लेखक रवींद्रनाथ टैगोर से पारिवारिक रिश्ता था। जदु नंदन टैगोर रवींद्रनाथ टैगोर के चचेरे भाई लगते थे। (कुछ जगहों पर सुकुमार टैगोर नाम मिलता है।) जदु नंदन को थिएटर में काम करने वाली हेम सुंदरी से प्यार हो गया। टैगोर परिवार को ये रिश्ता मंजूर नहीं था। जदु नंदन टैगोर ने हेम सुंदर से शादी कर ली लेकिन किस्मत को कुछ और मंजूर था। शादी के कुछ समय बाद ही सुकुमार का निधन हो गया। टैगोर परिवार ने हेम सुंदरी को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। हेम सुंदर कोलकाता (तब कलकत्ता) छोड़कर लखनऊ चली गयी। लखनऊ में उसकी मुलाकात प्यारे लाल साकिर से हुई जो उर्दू पत्रकार था। जल्द ही यह परिचय प्यार और शादी में तब्दील हो गया। इन दोनों की एक बेटी हुई जिसका नाम दोनों ने प्रभावती रखा। प्रभावती गला सुरीला था। फिल्मों में काम करने के लिए वो मुंबई (तब बॉम्बे) आ गई। यहीं प्रभावती की मुलाकात हारमोनियम बजाने वाले अली बक्श से हुई। अली बक्श से शादी करके प्रभावति इकबाल बानो हो गई। दोनों का पहला बच्चा एक बेटी खुर्शीद हुई। खुर्शीद के बाद बक्श दंपती को एक और बेटी हुई जिसका नाम दोनों ने महजबीं बानो रखा। यही महजबीं बाद में मीना कुमार नाम से मशहूर हुई।

2- मीना कुमार को उनका माँ-बाप नहीं पालना चाहते थे

मीना कुमारी के माँ-बाप अली बक्श और इकबाल बानो की आर्थिक स्थित बहुत अच्छी नहीं थी। दोनों ही मुश्किल से अपनी जिंदगी गुजार पा रहे थे। दोनों की पहले से ही एक बेटी थी, खुर्शीद। अली बक्श और इकबाल बानो का जब दूसरा बच्चा भी बेटी हुई तो उन्होंने ग़रीबी के कारण दूसरी बच्ची को यतीमखाने में देने का निर्णय लिया। अली बक्श छोटी सी बच्ची को  अस्पताल से लेकर यतीम खाने पहुँच गये। जावेद अख्तर ने अपने एक कार्यक्रम में बताया है कि अली बक्श ने मुंबई के दादर स्थित रूपतारा स्टूडियो के करीबी  मुस्लिम यतीमखाने की सीढ़ियों पर बच्ची को रख दिया। बच्ची को यतीमखाने की सीढ़ियों पर छोड़ कर आने के बाद अली बक्श का दिल कचोटने लगा। वो बच्ची को देखने के लिए वापस यतीमखाने पहुँचे। अली बक्श लौटे तो देखा कि छोटी बच्ची जोर-जोर से रो रही है। बच्ची के शरीर पर लाल चीटियां चिपटी हुई थीं। बच्ची का यह हाल देखकर अली बक्श का सीना फटने लगा और वो उसे अपने साथ घर लेकर आये। यह बच्ची मीना कुमारी थी।

3- मीना कुमारी और प्लेबैक सिंगिंग

सभी जानते हैं कि मीना कुमारी ने महज चार साल की उम्र में विजय भट्ट की फिल्म लेदर फेस (1939) में बाल कलाकार के तौर पर अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की। लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि अपने शुरुआती दौर में मीना कुमारी ने कई गीतों को अपनी आवाज़ भी दी। मीना कुमारी की माँ इकबाल बानो गायिका थीं। मीना को घर में ही गायिकी की तालीम मिली। मीना कुमारी को सिंगिग में ब्रेक मशूहर संगीतकार अनिल विश्वास ने दिया। अनिल विश्वास ने मीना कुमारी और वीणा से "बहन" फिल्म के गीत "ले चल मुझे अपनी नागरिया गोकुल वाले साँवरिया" गीत गवाया। उसके बाद मीना कुमारी ने "पिया घर आजा" के सारे गीत गाये थे। हालाँकि एक्टिंग करियर के परवान चढ़ने के साथ ही मीना कुमारी की सिंगिंग छूट गयी।

4- मीना कुमारी के नाम

महजबीं बानो को फिल्मी नाम "मीना कुमारी" निर्माता-निर्देशक विजय भट्ट ने दिया था। बाल कलाकार के तौर पर शुरू में उनका नाम महजबीं ही था। पहली बार "बच्चों का खेल" (1946) फिल्म में क्रेडिट में उनका नाम मीना कुमारी के तौर पर आया। बहुत कम लोग जानते हैं कि मीना कुमारी का घर का नाम मुन्ना था। मीना कुमारी का जब मशहूर लेखक और निर्देशक कमाल अमरोही से प्यार हुआ तो दोनों ने एक दूसरे को प्यार में नया नाम दिया। मीना कुमारी कमाल अमरोही को प्यार से "चंदन" कहती थीं और अमरोही मीना को "मंजू" कहते थे। दोनों एक-दूसरे को प्यार के इन नामों से न केवल पुकारते थे बल्कि खतो-खिताबत में भी एक-दूसरे को इसी नाम से सम्बोधित करते थे।

5- मीना कुमारी के जीवन में मर्द

मीना कुमारी और कमाल अमरोही की दुखांत प्रेम कहानी जगजाहिर है। मीना कुमार की उम्र महज 18 साल थी जब उन्हें खुद से करीब 15 साल बड़े कमाल अमरोही से प्यार हो गया था। मीना ने 19 साल की उम्र में अमरोही से शादी भी कर ली थी। दोनों का रिश्ता करीब 10 साल तक चला लेकिन इस रिश्ते का अंत दुखद हुआ और दोनों अलग हो गये। कमाल अमरोही के बाद मीना कुमारी के जीवन में कई पुरुष आये लेकिन कुछ से उनके रिश्ते दूसरों से अलग रहे। मीना कुमारी के जीवनीकार विनोद मेहता ने बताया है कि मीना कुमार का उस समय नवोदित अभिनेता धर्मेंद्र से रिश्ता काफी गहरा था। मीना कुमारी उस समय टॉप की हिरोइन थीं। कहा जाता है कि मीना ने फिल्मी दुनिया में कदम जमाने में धर्मेंद्र की काफी मदद की। धर्मेंद्र से मीना कुमारी का रिश्ता ज्यादा दिन नहीं चला। अंत समय में मीना कुमारी भावानात्मक रूप से गीतकार और निर्देशक गुलज़ार के काफी करीब रहीं। हालाँकि मीना कुमारी और गुलज़ार के बीच कैसा रिश्ता रूमानी था या प्लैटोनिक ये साफ नहीं है। गुलज़ार ने कभी इस पर सार्वजनिक रूप  से कुछ नहीं कहा। लेकिन मीना कुमारी के जीवन में गुलज़ार की जगह कितनी अहम थी ये इसी बात से समझा जा सकता है कि मीना कुमारी ने अपनी निजी डायरियाँ गुलज़ार को सौंप के दुनिया से रुख्सत हुईं। मीना कुमारी के ये निजी डायरियाँ अभी तक अप्रकाशित हैं।

6- मीना कुमारी और बासी रोटी

मीना कुमारी को सात साल की उम्र से ही अपने परिवार चलाने के लिए फिल्मों में बाल कलाकार के तौर पर काम करना पड़ा था। अपनी पहली फिल्म 'लेदर फेस' के लिए उन्हें 25 रुपये मेहनताना मिला था। लेकिन गुरबत के इन दिनों में ही शायद उन्हें बासी रोटी खाने की आदत पड़ गयी थी। 'बासी रोटी' से बचपन में जुड़ा उनका यह नाता आजीवन नहीं टूटा। बड़ी फिल्म स्टार बन जाने के बाद भी उनके लिए रोज रात को रोटी रख दी जाती थी ताकि मीना कुमारी अगली सुबह उन्हें खा सकें। विनोद मेहता ने अपनी किताब में लिखा है कि कमाल अमरोही को मीना की यह आदत नहीं पसंद थी। अमरोही से शादी के बाद जब एक बार मीना कुमारी को "बासी रोटी" खाने को नहीं मिली तो दोनों के बीच इसको लेकर काफी विवाद भी हुआ।

7- मीना कुमारी और अशोक कुमार

आज मीना कुमारी की जिन फिल्मों पाकीजा और साहब बीवी और गुलाम की सबसे ज्यादा चर्चा होती है उनमें उनके हीरो राज कुमार (पाकीजा) और गुरु दत्त (साहब, बीवी और गुलाम) थे। राज कुमार  के साथ उन्होंने "दिल अपना प्रीत परायी" और "दिल एक मंदिर" जैसी फिल्मों में भी काम किया था। गुरु दत्त के साथ उन्होंने "छोटी बहू" और साँझ-सवेरा में अभिनय किया था। मीना कुमारी ने अपने तीन दशक लम्बे फिल्मी करियर में भारत भूषण, प्रदीप, दिलीप कुमार, राज कपूर, राजेंद्र कुमार, किशोर कुमार, शम्मी कपूर, जॉय मुखर्जी, जितेंद्र, विनोद खन्ना और धर्मेंद्र समेत अपने समय के सभी नए-पुराने अभिनेताओं के साथ काम किया लेकिन उन्होंने सबसे ज्यादा 17 फिल्में अभिनेता अशोक कुमार के साथ की थीं। मीना कुमारी जब बाल कलाकार के तौर पर काम करती थीं तो अशोक कुमार ने उन्हें देखा था। तब अशोक कुमार ने उन्हें चिढ़ाते हुए कहा था कि तुम जल्दी से बड़ी हो जाओ फिर मेरे साथ हीरोइन के रूप में काम करना। अशोक कुमार और मीना कुमारी पहली बार तमाशा (1952) में एक साथ दिखे। तमाशा में देव आनंद भी लीड रोल में थे। बिमल रॉय की परिणीता (1953) मीना कुमारी और अशोक कुमार की जोड़ी ने ऐसी धूम मचायी कि उसके बाद हर निर्माता-निर्देशक इस जोड़ी के साथ फिल्म बनाने की ख्वाहिश रखता था। 1952 में तमाशा से शुरू हुआ मीना कुमारी और अशोक कुमार का ऑन स्क्रीन संगम पाकीज़ा (1972) तक जारी रहा। पाकीज़ा में भी मीना कुमारी के प्रेमी शहाबुद्दीन की भूमिका अशोक कुमार ने निभायी थी।  

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English summary :
Meena Kumari real name was Mahjabeen Bano, was an veteran Bollywood Indian actress, singer and poet . Later she became Meena Kumari when cast for Bhatt's Baiju Bawra


Web Title: Bollywood veteran Actress Meena kumari Birth Anniversary Special, unknown facts, life, biography, top movie

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