डायरेक्टरों के बेटे-बेटियों के साथ कैसा बर्ताव करती है फिल्म इंडस्ट्री, खुद ही जान लीजिए

By असीम चक्रवर्ती | Published: August 25, 2018 03:50 PM2018-08-25T15:50:36+5:302018-08-25T15:50:36+5:30

असल में इन दिनों कई डायरेक्टर अपने बच्चों को लेकर ऐसे सपने बुन रहे हैं। यहां हम ऐसे ही कुछ डायरेक्टर बच्चों का लेखा-जेखा पेश कर रहे हैं।

All you need to know Film Director's child bollywood carrier | डायरेक्टरों के बेटे-बेटियों के साथ कैसा बर्ताव करती है फिल्म इंडस्ट्री, खुद ही जान लीजिए

फाइल फोटो

पहले स्टार के बेटों को लॉन्च करने के लिए काफी तामझाम होता था। वक्त ने कुछ करवट बदली, तो फिल्म डायरेक्टर भी अपने बेटे-बेटियों को लॉन्च करने में जुट गए। अब यह दीगर बात है कि इनमें से ज्यादातर में दम नहीं होता है। उदाहरण के लिए अब्बास-मुस्तान की जोड़ी के अब्बास ने अपने बेटे मुस्तफा बर्मावाला की पहली फिल्म मशीन में अपना पूरा दम-खम लगा दिया था लेकिन यह फिल्म बुरी तरह फ्लाप हो गई। अब अनिल शर्मा  का बेटा उत्कर्ष ‘जीनियस’ फिल्म में आ रहा है। क्या वह सचमुच एक्टर होना डिजर्व करता है। असल में इन दिनों कई डायरेक्टर अपने बच्चों को लेकर ऐसे सपने बुन रहे हैं। यहां हम ऐसे ही कुछ डायरेक्टर बच्चों का लेखा-जेखा पेश कर रहे हैं-  

आ रहे हैं उत्कर्ष

गदर से चर्चित हुए निर्देशक अनिल शर्मा एक्शन थ्रिलर फिल्म बनाने के लिए खासे मशहूर हैं। अब बेटे उत्कर्ष शर्मा को लॉन्च करने में भी उन्होंने अपनी वही ट्रीक इस्तेमाल की है। उनकी नई फिल्म ‘जीनियस’ भी एक रोमांटिक थ्रिलर फिल्म है। अनिल शर्मा कहते हैं, ‘‘इस तरह का सब्जेक्ट मुझे बहुत अच्छा लगता है। एक्शन-थ्रिलर और रोमांस मुझे लगता है यह कॉम्बीनेशन दर्शकों को खूब पसंद आता है। मेरी फिल्म ‘गदर’ ही नहीं इससे पहले की भी कई फिल्में इसी वजह से दर्शकों को पसंद आई थी। अब उत्कर्ष के लिए भी मैंने कुछ ऐसी कहानी बुनी है। गदर में बतौर बाल कलाकार जीते का उसका किरदार दर्शकों ने खूब पसंद किया था। तभी मैंने तय कर लिया था कि भविष्य में उत्कर्ष एक्टिंग के फील्ड में आना चाहे, तो उसे ऐसे किसी फिल्म में ही पेश करूंगा। फिलहाल तो यही कहूंगा कि उसने इस फिल्म के लिए काफी मेहनत की है। वह पिछले तीन साल से इस फिल्म के लिए तैयारी कर रहा था।’’ एक बात तो है, उत्कर्ष आम नायकों जैसे है। लेकिन अहम सवाल है कि अपने इस मेहनत के बलबूते उत्कर्ष दर्शकों की पसंद किस हद तक बन पाते हैं। 

मुस्तफा को लगा झटका

बाप रे बाप किस जोरदार प्रचार के साथ हिट निर्देशक अब्बास-मुस्तान जोड़ी के अब्बास ने अपने बेटे मुस्तफा बर्मावाला को हीरो बनाया था। मगर हुआ क्या मुस्तफा की पहली फिल्म ‘मशीन’ पहले दिन पहले शो में ही थिएटर से गुम हो गई। आज तो मुस्तफा आर्कलाइट की तेज रोशनी में कहीं गुम हो गए। सच तो यह है कि उनकी फिल्म मशीन को आज कोई सपने में भी याद नहीं करना चाहता है। अब ज्यादातर ट्रेड पंडित मानते हैं कि अब्बास-मुस्तान ने अपनी कई हिट फिल्मों की तरह मशीन को भी बहुत कमर्शियल बनाया था। पर वे शुरू से ही यह तय नहीं कर पाए थे कि मुस्तफा को किस टाइप का हीरो बनाया जाए। यही वजह थी कि भावशून्य मुस्तफा के चेहरे पर किसी भी टाइप का हीरोइज्म नहीं आ पाया। वह फिल्म के कई दृश्यों में एक्टिंग के समानांतर चलते दिखाई पड़े। जबकि नए एक्टर से लोग एक्टिंग का कोई नया पाठ सुनने की उम्मीद करते हैं।  

भट्ट की बिटिया आलिया

ऋतिक, वरुण आदि कई फिल्मवालों के बच्चों की तरह आलिया भी उन खुशनसीब बच्चों में से एक है, जिसे प्लेटफार्म पाने में कोई दिक्कत नहीं हुई। पर इसमें कोई शक नहीं है कि स्टारडम आलिया ने अपने निर्देशक पिता के दमखम पर हासिल नहीं किया है। सच तो यह कि अपने सशक्त परफॉर्मेंस के जरिए आलिया ने अपने निर्देशक पिता को कोई क्रेडिट नहीं लेने दिया है। कलंक के सेट पर अपने व्यस्त शेड्यूल्ड से समय निकालकर वह बताती है, ‘‘मैं शुरू से ही एक्टिंग को लेकर ज्यादा गंभीर नहीं थी। पर मुझे जो काम दिया गया, उसे मैंने पूरी ईमानदारी से किया। शायद यही वजह थी, मेरा अंदर का टैलेंट खुद-ब-खुद सामने आने लगा। इम्तियाज सर की फिल्म ‘हाइवे’ के बाद पहली बार मुझे इस बात का एहसास हुआ कि मुझे अपने काम पर पूरा ध्यान लगाना चाहिए। मैंने कभी नहीं चाहा कि मुझ पर यह टैग लगे कि मैं एक बड़े निर्देशक की बेटी हूं। सच कहूं, तो मैंने अपने डैड से कभी नहीं कहा कि वह मुझे डायरेक्ट करें।’’

वरुण ने खुद को साबित किया

असल में स्टार के बेटों की तुलना में डायरेक्टर के बेटे हमेशा पिछली सीट पर बैठे दिखाई पड़ते हंै। पर इस मामले में अभिनेता वरुण धवन बहुत बड़े अपवाद साबित हुए हैं। मात्र दो-तीन फिल्मों के बाद ही उन्होंने स्टारडम की सवारी शुरू कर दी थी। अब यह बताने की जरूरत नहीं है कि वह सुपर निर्देशक डेविड धवन के बेटे हैं। लेकिन यहां बताना जरूरी है कि वरुण को उनके पिता ने लॉन्च नहीं किया है। ट्रेड पंडित आमोद मेहरा इसे कोई बड़ी मुश्किल नहीं मानते हैं। वह कहते हैं, ‘‘बड़े फिल्मी परिवार के बेटों को लॉन्च करने के लिए अमूमन ज्यादा परेशानी नहीं होती है। पर हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि ऐसे बच्चों को भी आसानी से प्लेटफार्म नहीं मिलता है। शायद बहुत कम लोगों को पता हो, वरुण अच्छी तैयारी करके इंडस्ट्री में आए थे।’’ वरुण से इसका जिक्र करने पर वह बताते हैं, ‘‘इंग्लैंड में बिजनेस मैनेजमेंट की पढ़ाई पूरी करने के दौरान मुझे फिल्म देखने का नशा चढ़ा। तब मैं सिर्फ हिंदी नहीं देश-विदेश की फिल्में जमकर देखता था। पर तभी मैं अपने एक्टिंग करियर को लेकर गंभीर नहीं हुआ था। हॉलीवुड की एक फिल्म में क्रिश्चियन बेल का एक किरदार देखकर मैंने तय किया था कि भविष्य में मैं इनवेस्टमेंट बैंकर बनूंगा। उनका चलने- ढलने और अपना कार्ड देने का स्टाइल यह सब देखकर, दिल खुश हो जाता था। पर किस्मत देखिए कि यह मुझे फिल्मों की तरफ ले आई। पर यकीन मानिए मैंने पिता के रुतबे के सहारे आगे बढ़ने की कोशिश नहीं की थी।’’

कुछ नहीं कर पाए हरमन

फ्लाप हरमन बवेचा आपको याद हैं। उनके सफल निर्माता पिता हैरी बवेचा ने उन्हें पेश करने में कोई कमी नहीं बरती थी। उनकी प्रेयसी प्रियंका चोपड़ा को लेकर पिता हैरी बवेचा ने उनके साथ एक बड़ी फिल्म 2050 बनाई। लेकिन यह फिल्म कलंक साबित हुई। सच तो यह कि हरमन आज तक इस कलंक से उभर नहीं पाए हैं। अब तो वह काफी वयस्क हो चले हैं। उनका करियर डूब चुका है। उनकी प्रेमिका प्रियंका कई जगह से भटक कर अब हॉलीवुड के गायक निक जोंस से शादी करनेवाली है।

टैलेंटेड निकले ऋतिक

ऋतिक के अभिनेता-निर्देशक पिता भी इस मामले में एक बड़े उदाहरण बने हैं। डेविड की तुलना में अपने बेटे ऋतिक को पेश करने के मामले में उन्होंने कोई रिस्क नहीं उठाया था। यहां उन्होंने अपने सफल फिल्मकार के सारे ट्रीक का पूरा इस्तेमाल किया। यहां एक अच्छी बात यह हुई कि खुद ऋतिक भी एक अच्छे रॉ-मटेरियल थे। इसलिए उन्होंने न सिर्फ अपने पिता को बल्कि बाहर के निर्माताओं को भी हिट फिल्मेंं देकर खुश कर दिया। ऋतिक की पहलीे फिल्म ‘कहो न प्यार है’ का जिक्र करते हुए राकेश कहते हैं, ‘‘ ऋतिक टैलेंडेट है, इसे मैं खुद नहीं कहना चाहता था। वह एक अच्छा एक्टर है, यह मैं पहले से ही जानता था। इसलिए मैंने उसे पूरे कॉन्फीडेंस के साथ लॉन्च किया था। बाकी बातें उसने खुद आसान कर ली।’’ पिता की इस तारीफ पर ऋतिक हंस पड़ते हैं, ‘‘मैं तो शुरू से ही चाहता था कि मैं एक्टर बनूूं। सलमान मेरी प्रेरणा थे। मैंने पूरी तैयारी की और फिर आया। पर एक बात तो है, बड़े निर्माता का पिता होने की वजह से मुझे प्लेटफार्म पाने के लिए कोई स्ट्रगल नहीं करना पड़ा।’’

वजह साफ है

असल में हीरो की तुलना में निर्माता-निर्देशक के बच्चे अपने लॉन्चिंग को लेकर कुछ ज्यादा ही निश्चिंत दिखाई देते हैं। जहां तक करियर का सवाल है, दोनों के करियर का एक ही ड्राफ्ट होता है। मगर जहां हीरो के बच्चे इस तरह के ड्राफ्ट को अच्छी तरह से पढ़ते-समझते हैं,  वहीं निर्माता-निर्देशक के बच्चे इसे एक साधारण-सी बात मानते हैं। अनुभवी ट्रेड पंडित आमोद मेहरा कहते हैं, ‘‘बतौर एक्टर कई फिल्मवालों के बच्चों के फ्लाप होने की एकमात्र वजह यह थी कि उन्होंने अपने करियर का लेखा-जोखा ठीक नहीं किया। खास तौर से इसी वजह से कई निर्देशकों के बच्चों को मुंह के बल गिरना पड़ा। इस संदर्भ में मैं अभिनेता निर्माता रोमेश शर्मा के बेटे करण शर्मा का जिक्र करना चाहूंगा। रोमेश ने अपने मित्र अमिताभ बच्चन और बेटे को लेकर एक बड़ी फिल्म ‘दिल जो भी कहे’ बनाई। मगर करण एक बेहद चूके हुए अभिनेता साबित हुए। अमिताभ जैसे दिग्गज अभनेता का सहारा भी उनके किसी काम नहीं आया। मेरे कहने का मतलब सिर्फ इतना है कि निर्देशक की तुलना में हीरो के बेटे इस मामले में बहुत सजग रहते हैं। उनकी सारी तैयारी भी बहुत जोरदार होती है। वे पैदा होने के साथ ही पिता के स्टारडम का उपभोग करने लगते हैं। इसमें कुमार गौरव या अभिषेक बच्चन जैसे हीरो भी हैं, जो इसी मुगालते में सफल होने के बावजूद लाइम लाइट में नहीं आ पाते हैं। दूसरी ओर मेरे दोस्त शक्ति कपूर का बेटा सिद्धार्थ अपने टैलेंट के सहारे आगे बढ़ रहा है। क्योंकि उसने हीरो बनने का कोई मुगालता पाल नहीं रखा है।’’

Web Title: All you need to know Film Director's child bollywood carrier

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