प्रमोद भार्गव का ब्लॉग: सैनिकों के बिना ही अब भीषण युद्ध लड़ने की तैयारी!

By प्रमोद भार्गव | Published: February 18, 2022 04:30 PM2022-02-18T16:30:27+5:302022-02-18T16:34:23+5:30

इजराइल ने भी एक ऐसी ‘रोक रोबोट’ सेना तैयार कर ली है, जो न केवल युद्ध लड़ेगी, बल्कि सीमा पर इंसानी सैनिकों की जगह भी ले लेगी।

Without soldiers now preparing to fight a fierce war israel america computer robot | प्रमोद भार्गव का ब्लॉग: सैनिकों के बिना ही अब भीषण युद्ध लड़ने की तैयारी!

प्रमोद भार्गव का ब्लॉग: सैनिकों के बिना ही अब भीषण युद्ध लड़ने की तैयारी!

Highlightsअमेरिका के ब्लैक हॉक हेलिकॉप्टर ने बिना पायलट के उड़ान भरकर नया कीर्तिमान रच दिया है। कम्प्यूटर नियंत्रित हेलिकॉप्टर के उतरने से युद्ध के मैदान में लड़ाई का परिणाम भयावह होगा।ये हेलिकॉप्टर 357 किमी प्रति घंटे की गति से उड़ान भरने के सुरक्षित वापस लौट सकता है।

मनुष्य की सोच असीम संभावनाओं से जुड़ी है. कल्पना से शुरू होने वाले विचार सच्चाई के धरातल पर आकार लेते हैं तो आंखें हैरान रह जाती हैं. ऐसा ही आश्चर्यजनक कारनामा अमेरिका ने कर दिखाया है.

अब अमेरिका यदि भविष्य में कोई युद्ध लड़ता है तो उसने ऐसे हेलिकॉप्टर का निर्माण कर लिया है, जो बिना चालक के उड़ान भरकर तय हमले का लक्ष्य पूरा कर लेगा. 

अमेरिका के जिस ब्लैक हॉक हेलिकॉप्टर का लोहा दुनिया मानती रही है, उस हेलिकॉप्टर ने विगत पांच फरवरी को बिना पायलट के उड़ान भरकर नया कीर्तिमान रच दिया है.

यह हेलिकॉप्टर करीब 4000 फुट की ऊंचाई पर 115 से 125 मील प्रतिघंटे की रफ्तार से उड़ा और उड़ान के सभी मानकों पर खरा उतरा. करीब 30 मिनट की उड़ान भरने के बाद जमीन पर सुरक्षित उतर भी आया. 

रक्षा क्षेत्न में अमेरिका की इस बड़ी कामयाबी से रूस, चीन और उत्तर कोरिया की चिंता बढ़ना तय है. चीन इसलिए ज्यादा परेशान है, क्योंकि उसके सैनिक ज्यादा गर्मी और ठंड नहीं ङोल पाते हैं.

हाल ही में खबर आई थी कि पूर्वी लद्दाख में चीन के सैनिक कड़ाके की ठंड नहीं ङोल पा रहे हैं, अतएव चीन ने सैनिकों के स्थान पर लड़ाकू रोबोट तैनात कर दिए हैं. 

फ्रांस और रूस भी मनुष्य की तरह दिखने वाले रोबोट विकसित करने में लगे हैं. युद्ध के मैदान में ये रोबोट दूर से कम्प्यूटरों से नियंत्रित किए जाएंगे. इजराइल रोबोट आर्मी पहले ही बना चुका है. यह नवीन प्रौद्योगिकी संकेत देती है कि भविष्य में मानव सैनिकों की जगह यही यांत्रिक उपलब्धियां युद्ध लड़ेंगी.

अमेरिका ने इस हेलिकॉप्टर की परीक्षण उड़ान के लिए एक कृत्रिम अर्थात् आभासी शहर भी कम्प्यूटर की मदद से बसाया. इसमें तकनीक की मदद से ऊंची इमारतें भी बनाई गईं, जैसे कि महानगरों में होती हैं. इसका नाम केंटुकी रखा गया. 

ब्लैक हॉक हेलिकॉप्टर को जब स्टार्ट करके रवाना किया गया तो उसने इस शहर की आभासी इमारतों के बीच से बिना किसी बाधा के गुजरते हुए अपने लक्ष्य को पूरा कर लिया. 

भविष्य में यदि ये कम्प्यूटर से नियंत्रित होने वाले हेलिकॉप्टर युद्ध के मैदान में उतार दिए जाते हैं तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि लड़ाई का परिणाम कितना भयावह होगा. यह हेलिकॉप्टर 357 किमी प्रति घंटे की गति से उड़ान भरने के साथ 9979 किलोग्राम भार लेकर 583 किमी तक की उड़ान एक बार में पूरी करके सुरक्षित लौट सकता है. 

अमेरिका ने बिना पायलट के दो हेलिकॉप्टरों का परीक्षण किया है. इन हेलिकॉप्टरों के निर्माण व परिकल्पना का मकसद अपने मानव सैनिकों की सुरक्षा करना है. इसमें कोई दो राय नहीं कि मानव रहित युद्ध की यह कल्पना तकनीकी रूप में जितनी अधिक मशीनी रूप लेती जाएगी, सैनिक उतने ही सुरक्षित होते जाएंगे. 

परंतु इस यांत्रिक लड़ाई का दुष्परिणाम उन देशों को ङोलना होगा, जो इस तरह की युद्ध सामग्री न तो निर्मित कर सकते हैं और न ही खरीद सकते हैं.

वर्तमान में ऐसी तकनीकें लगातार विकसित होकर अमल में लाई जा रही हैं, जो सैनिकों की किसी मदद के बिना तबाही मचा सकती हैं. अतएव आगे चलकर आमने-सामने की लड़ाइयां कम होती जाएंगी. 

ज्यादातर युद्ध आभासी या छद्म औजारों से लड़ने जाएंगे. वैसे भी सूचना, साइबर, जैविक और अंतरिक्ष युद्ध लड़े जाने लगे हैं. इन छद्म युद्धों में जो देश सबसे ज्यादा अग्रणी हैं, उनमें चीन सबसे ज्यादा हरकतें कर रहा है. 

कृत्रिम वायरस कोरोना का निर्माण करके व उसे दुनियाभर में फैलाकर चीन अपनी क्रूरता जता चुका है. यही वजह रही कि दुनिया में तो लाशों का अंबार लग गया, लेकिन चीन बचा रहा, क्योंकि यह मानवजनित विषाणु चीन की वुहान प्रयोगशाला में ही तैयार किया गया था. 

किंतु अब इस हेलिकॉप्टर की उड़ान से चीन भी सकते में है. इजराइल ने भी एक ऐसी ‘रोक रोबोट’ सेना तैयार कर ली है, जो न केवल युद्ध लड़ेगी, बल्कि सीमा पर इंसानी सैनिकों की जगह भी ले लेगी.

ये रोबोट सैनिक बौद्धिक रूप से सक्षम व चपल होंगे, क्योंकि इनके सॉफ्टवेयर की संरचना में इतनी बुद्धि डाल दी जाएगी कि भविष्य में ये मनुष्य के जैविक दिमाग से कहीं ज्यादा तेज गति से काम करने लग जाएंगे. इसीलिए कहा जा रहा है कि आने वाले 30 वर्ष के भीतर मानव और मशीन के भविष्य के बारे में इतने प्रयोग होने वाले हैं, कि इस मिली जुली बुद्धिमत्ता के लिए एक नया शब्द ‘सिंगुलैरिटी’ अस्तित्व में आ गया है. 

अर्थात् कम्प्यूटर की बुद्धि जब मनुष्य की बुद्धि को पीछे छोड़ दे, यानी मशीनी दिमाग का आधिपत्य हो जाए तो इसे सिंगुलैरिटी शब्द से पुकारा जाएगा. क्वांटम कम्प्यूटर के वजूद में आने के बाद मशीनी मानव की प्रगति बहुत तेज गति से होने की उम्मीद की जा रही है.

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