फुस्स हुई चीनी मिसाइल में इतनी दिलचस्पी क्यों?, टुकड़े पंजाब में बिखरे

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: May 23, 2025 05:35 IST2025-05-23T05:35:26+5:302025-05-23T05:35:26+5:30

अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, जर्मनी, फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया सहित कई देश चाहते हैं कि भारत पीएल-15ई मिसाइल के टुकड़े उन्हें दे ताकि वे चीनी टेक्नोलॉजी के बारे में जान सकें.

Why so much interest in failed Chinese missile Pieces scattered in Punjab Pakistan fired PL-15E missiles from J-10C and JF-17 fighter jets acquired from China | फुस्स हुई चीनी मिसाइल में इतनी दिलचस्पी क्यों?, टुकड़े पंजाब में बिखरे

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Highlightsपहला मौका है जब चीनी मिसाइल किसी ऐसे देश के हाथ लगी है जिसे उसने बेचा नहीं था.रडार सिग्नेचर, गाइडेंस सिस्टम, वारहेड और यहां तक कि इंजन के बारे में भी जानकारियां मिल सकती हैं.राफेल जेट में इस्तेमाल होने वाली मीट्योर मिसाइल से बेहतर मिसाइल के रूप में प्रचारित करता रहा है.

चीन के बारे में एक कहावत है कि वह जो कुछ भी दुनिया को दिखाता है, वह वास्तव में एक बैलून की तरह होता है. एक पिन मारो तो सारी हवा फुस्स! चीन अपनी पीएल-15ई मिसाइल को लेकर पूरी दुनिया को डराता आ रहा था लेकिन अब उसी मिसाइल के टुकड़े पंजाब में बिखरे पड़े हैं. पाकिस्तान ने चीन से मिले जे-10 सी और जेएफ-17 लड़ाकू विमानों से पीएल-15ई मिसाइल दागे थे लेकिन भारत ने उन्हें हवा में ही गिरा दिया. यह पहला मौका है जब चीनी मिसाइल किसी ऐसे देश के हाथ लगी है जिसे उसने बेचा नहीं था.

अब अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, जर्मनी, फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया सहित कई देश चाहते हैं कि भारत पीएल-15ई मिसाइल के टुकड़े उन्हें दे ताकि वे चीनी टेक्नोलॉजी के बारे में जान सकें. इन टुकड़ों से मिसाइल के रडार सिग्नेचर, गाइडेंस सिस्टम, वारहेड और यहां तक कि इंजन के बारे में भी जानकारियां मिल सकती हैं.

फ्रांस की दिलचस्पी का कारण यह है कि चीन पीएल-15ई मिसाइल को फ्रांस के राफेल जेट में इस्तेमाल होने वाली मीट्योर मिसाइल से बेहतर मिसाइल के रूप में प्रचारित करता रहा है. उसका यह भी दावा था कि इस मिसाइल का रडार सिस्टम ऐसा है कि वह चूक ही नहीं सकता. चूंकि दुनिया के इन बड़े देशों के पास चीन की मिसाइल तो थी नहीं कि वे वास्तविकता की जांच कर सकें.

किसी जंग में पहली बार चीन के आधुनिक हथियारों का उपयोग हुआ है. ये सारे चीनी फाइटर विमान और ये चीनी मिसाइल 2003 के बाद वजूद में आए और जंग के दौरान कभी कसौटी पर कसे नहीं गए. चीन ने अपनी आखिरी लड़ाई 1979 में वियतनाम के खिलाफ लड़ी थी. चूंकि वियतनाम ने कंबोडिया पर हमला किया था इसलिए चीन ने वियतनाम पर हमला कर दिया.

आशय यह है कि चीन भले ही विभिन्न तरह के हथियार बना ले, जब तक कहीं उपयोग नहीं हो तब तक उसकी गुणवत्ता कैसे परखी जा सकती है? इस लिहाज से देखें तो भारत और पाकिस्तान के बीच की इस झड़प में पाकिस्तान को तो नुकसान हुआ ही है क्योंकि उसके न केवल चीनी फाइटर जेट को भारत ने मार गिराया बल्कि चीन से पाकिस्तान को मिला सुरक्षा कवच भी किसी काम नहीं आया और भारत ने पाकिस्तान में घुसकर उसके कई एयरबेस तबाह कर दिए. सबसे बड़ा नुकसान तो चीन का हुआ है जिसके हथियारों की गुणवत्ता पर सवालिया निशान लग गया है.

जिस पीएल-15ई के रडार को वह अचूक बता रहा था, वह होशियारपुर के खेत मे पड़ा है. चीन ने हाल के दशकों में हथियारों के रिसर्च और निर्माण पर काफी खर्च किया है. उसकी चाहत रही है कि दुनिया उसके हथियारों का उपयोग करे. अभी पाकिस्तान के अलावा सऊदी अरब, बांग्लादेश और म्यांमार उसके हथियारों के खरीददार हैं.

पिछले पांच वर्षों में पाकिस्तान ने जितने हथियार खरीदे हैं, उनमें से 80 प्रतिशत से ज्यादा चीनी हथियार हैं. अब यह सवाल पूछा जाने लगा है कि क्या ये देश भी चीन से हथियारों की खरीद जारी रखेंगे? दूसरे देश तो चीन से हथियार खरीदने के बारे में सौ बार सोचेंगे क्योंकि भारत ने उन हथियारों की इज्जत तार-तार कर दी है.

इस नजरिये से देखें तो चीन का बड़ा नुकसान हो गया है. इसके ठीक विपरीत भारतीय हथियारों की गुणवत्ता को लेकर कभी कोई सवाल रहा ही नहीं है. चीनी माल को हवा में फुस्स करके भारतीय हथियारों ने फिर साबित किया है कि गुणवत्ता के मामले में किसी से कम नहीं हैं. जब चीनी मिसाइल के टुकड़ों की जांच होगी तब चीन की मिट्टी और पलीद होने वाली है.  

Web Title: Why so much interest in failed Chinese missile Pieces scattered in Punjab Pakistan fired PL-15E missiles from J-10C and JF-17 fighter jets acquired from China

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