वेदप्रताप वैदिक का कॉलमः संयुक्त राष्ट्र में मोदी और इमरान
By वेद प्रताप वैदिक | Updated: September 30, 2019 05:31 IST2019-09-30T05:31:26+5:302019-09-30T05:31:26+5:30
मोदी ने एक बार भी कश्मीर या पाकिस्तान का नाम तक नहीं लिया, जैसे कि कश्मीर में कुछ हुआ ही नहीं है लेकिन इमरान ने कश्मीर का नाम 25 बार लिया और भारत का 17 बार!

वेदप्रताप वैदिक का कॉलमः संयुक्त राष्ट्र में मोदी और इमरान
संयुक्त राष्ट्र महासभा में नरेंद्र मोदी और इमरान खान के भाषण हो गए. मोदी सिर्फ 17 मिनट बोले और इमरान लगभग 50 मिनट खींच ले गए. यह खुशी की बात है कि उस विश्व-सभा में दोनों के बीच कोई वाक्युद्ध नहीं हुआ. मोदी ने अपनी बात कही और इमरान ने अपनी! मोदी ने एक बार भी कश्मीर या पाकिस्तान का नाम तक नहीं लिया, जैसे कि कश्मीर में कुछ हुआ ही नहीं है लेकिन इमरान ने कश्मीर का नाम 25 बार लिया और भारत का 17 बार! क्यों नहीं लेते, वे इतनी बार? किस पाकिस्तानी प्रधानमंत्नी के सामने कश्मीर इतनी बड़ी चुनौती बनकर कभी खड़ा हुआ?
इमरान खान की बदकिस्मती है कि वे पहली बार प्रधानमंत्नी बने और सिर मुंडाते ही ओले पड़ गए. उनकी अपनी राजनीति खटाई में पड़ गई. कई पाकिस्तानी अखबार और टीवी चैनल उनका मजाक उड़ा रहे हैं. उनके विरोधी उनकी पस्त हालत का मजा ले रहे हैं. खुद इमरान घबराए से लग रहे हैं. वे विदेशियों के सामने ऐसी-ऐसी बातें बोल पड़ते हैं, जो कोई पाकिस्तानी प्रधानमंत्नी कभी नहीं बोलना चाहेगा. उन्होंने यह कहने में कोई संकोच नहीं किया कि कश्मीर के सवाल पर दुनिया के देशों ने उनका साथ नहीं दिया.
उन्होंने कह दिया कि पाकिस्तान में 30 हजार से ज्यादा आतंकवादी सक्रि य हैं. उन्होंने यह भी कह डाला कि ओसामा बिन लादेन के मामले में अमेरिका से सहयोग करके पाकिस्तान ने भूल की. अलकायदा के आतंकियों को पाकिस्तानी फौज प्रशिक्षण दे रही थी. उन्हें यह कहते भी कोई हिचक नहीं हुई कि यदि युद्ध हुआ तो पाकिस्तान को भारत हरा देगा. जहां तक कश्मीर का सवाल है, धारा 370 और 35ए की वापसी के बारे में इमरान या किसी नेता या किसी देश ने एक शब्द भी नहीं कहा.
यानी वह कोई मुद्दा ही नहीं है. अब सिर्फ एक ही मुद्दा है. वह यह कि कश्मीरियों पर से प्रतिबंध कब हटेंगे? खुद सरकार भी रोजाना दिलासा दे रही है. वह नहीं चाहती कि प्रतिबंध अचानक हटें और बेचारे निदरेष कश्मीरी भाई-बहनों का खून बहने लगे. यदि इमरान, जैसा कि उन्होंने पहले वादा किया था, आतंकवाद के खिलाफ ईमानदारी से अभियान चलाएं और अपनी फौज को भी अपने साथ ले लें तो एक नए दक्षिण एशिया का सूत्नपात हो सकता है.