US Election Results 2024: डोनाल्ड ट्रम्प की जीत उनका करिश्मा है या कुछ और?

By रहीस सिंह | Published: November 14, 2024 05:36 AM2024-11-14T05:36:04+5:302024-11-14T05:36:04+5:30

US Election Results 2024: कैपिटल हिल घटना कम-से-कम अमेरिकी लोकतंत्र के लिए एक ‘ब्लैक स्पॉट’ की तरह है जिसके कई मायने हैं.

US Election Results 2024 Donald Trump's victory his charisma or something else blog Rahees Singh | US Election Results 2024: डोनाल्ड ट्रम्प की जीत उनका करिश्मा है या कुछ और?

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Highlightsदो-दो महाभियोगों का सामना कर चुके हैं. 2024 में वे पहले ऐसे प्रेसिडेंट इलेक्ट बन गए हैं.दोनों में ही प्रभावशाली जीत हासिल हुई है.

US Election Results 2024: अंततः डोनाल्ड ट्रम्प राष्ट्रपति पद के रिपब्लिकन प्रत्याशी के रूप में न केवल जीते बल्कि उन्होंने एक इतिहास भी रचा. वे अमेरिका के एक ऐसे चुने गए राष्ट्रपति हैं जिन पर अपराध सिद्ध हो चुका है. उन्हें मैनहट्टन अदालत ने करीब 34 मामलों में दोषी ठहराया था. बहुत से लोग, विशेषकर लिबरल्स कैपिटल हिल घटना के मामले में उन्हें ही रिंग मास्टर मानते हैं. कैपिटल हिल घटना कम-से-कम अमेरिकी लोकतंत्र के लिए एक ‘ब्लैक स्पॉट’ की तरह है जिसके कई मायने हैं. वे दो-दो महाभियोगों का सामना कर चुके हैं.

इसके बावजूद 2024 में वे पहले ऐसे प्रेसिडेंट इलेक्ट बन गए हैं जिन्हें इलेक्टोरल कॉलेज और पापुलर वोट, दोनों में ही प्रभावशाली जीत हासिल हुई है. अब प्रश्न यह उठता है कि अमेरिकी वोटर्स ने 76 साल के इस व्यक्ति में ऐसा क्या देखा जो उसके नाम जीत का एक नया इतिहास कर दिया?

अमेरिकी वोटर्स आखिर ऐसा क्या चाहते थे जो लिबरल्स या डेमोक्रेट्स उन्हें नहीं दे सकते थे और रिपब्लिकन उन्हें देने जा रहे हैं? क्या यह रिपब्लिकन पार्टी की नीतिगत मुद्दों पर आधारित जीत है अथवा इस चुनाव में मुद्दों ने नहीं किन्हीं अन्य फैक्टर्स ने महती भूमिका निभाई है जिसमें ट्रम्प कमला हैरिस से बहुत आगे निकल गए?

मुझे ध्यान आ रहा है कि कुछ समय पूर्व मैनहट्टन कोर्ट में जैसे ही ज्यूरर्स से पूछा गया कि वो किस नतीजे पर पहुंचे हैं, तो एक ज्यूरर ने माइक्रोफोन में कहा, ‘दोषी’. ट्रम्प ने आंखें बंद की और ‘नो’ में सिर हिला दिया. जब यह फैसला आया था तब ऐसे सवाल उठाए गए थे कि क्या ट्रम्प की तरह ही अमेरिका की जनता भी इस अपराध से आंख बंद कर लेगी और ट्रम्प को वोट करेगी?

अब जब नतीजे आ चुके हैं और ट्रम्प अपेक्षा से कहीं अधिक प्रभावशाली जीत दर्ज कराने में सफल हो चुके हैं तब यह कहा जा सकता है कि अमेरिकी जनता ने वास्तव में इस मुद्दे पर अपनी आंखें मूंद लीं. लेकिन क्यों? अगर समाजशास्त्रीय नजरिए से देखें तो बैंडविड्थ के एक छोर पर यदि किसी का विरोध हो रहा हो तो दूसरे छोर पर सहानुभूति स्वभावतः बढ़ती है.

ट्रम्प विक्टिम कार्ड खेलने वाले पुराने महारथी हैं. वे खेले भी. परिणाम सभी के सामने है. यहां इस बात का जिक्र करना जरूरी है कि ट्रम्प जब 45वें राष्ट्रपति के रूप में चुने गए थे तो एक वरिष्ठ अमेरिकी लेखक ने न्यूयॉर्क टाइम्स में अपनी टिप्पणी में लिखा था आज 9 नवम्बर, फ्रेंच रिवोल्यूशनरी कैलेंडर के अनुसार 18वां ब्रूमेयर है.

यह वही दिन है, जब 1799 में नेपोलियन बोनापार्ट ने अपने कुछ लोगों के साथ रिवोल्यूशनरी सरकार के तख्तापलट का नेतृत्व किया था और प्रथम कांसुल के रूप में स्वयं को स्थापित करते हुए विश्व इतिहास को फिर से लिखने वाली व्यवस्था पेश की थी. उन्होंने ऐसा इसलिए लिखा था कि डोनाल्ड ट्रम्प नेपोलियन की सर्वसत्तावादी व्यवस्था के पक्षधर हैं.

वे नेपोलियन की तरह ही दुनिया को एक नए संकट में डाल सकते हैं. डोनाल्ड ट्रम्प अपने पहले कार्यकाल से लेकर पद छोड़ने तक के समय तक ऐसा कर भी चुके हैं जिसके कई उदाहरण हैं. मैनहट्टन कोर्ट के निर्णय के बाद मेरा अनुमान था कि ट्रम्प जिस खेल के खिलाड़ी हैं वह उन्हें इस अदालती फैसले से जनता के बीच और अधिक लोकप्रिय बनाने का कार्य करेगा. यही हुआ भी.

ट्रम्प और उनके रणनीतिकार अमेरिकी मतदाताओं के मन में यह धारणा बनाने में सफल रहे कि उनके नेता में लाख खामियां हों पर सर्वश्रेष्ठ वही है. वही एक ऐसा नेता है जो उनके देश को फिर से महान (ग्रेट अमेरिका मेक अगेन) बना सकता है. अब सवाल यह है कि इसके लिए ट्रम्प क्या-क्या करेंगे और उसका पूरी दुनिया पर क्या असर पड़ेगा?

तब क्या यह भी माना जा सकता है कि सही अर्थों में ट्रम्प का ‘उदय’ अभी बाकी है? कमला हैरिस ने ट्रम्प से अधिक धन जुटाया और खर्च भी किया. उन्हें परम्परागत मीडिया से लेकर पूर्व राष्ट्रपतियों तथा नोबल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्रियों की तरफ से काफी समर्थन मिला. टेलर स्विफ्ट जैसी सिंगर और ओपरा विनफ्रे जैसी टॉक होस्ट व बड़े कलाकारों को उनके लिए प्रचार करते हुए देखा गया.

लेकिन वे कभी भी स्वयं को एक मजबूत और नवोन्मेषी नेता के तौर पर पेश नहीं कर पाईं. इसके विपरीत वे बाइडनॉमिक्स की छाया में रहकर ही आगे बढ़ने का जोखिम लेती रहीं. यद्यपि कमला हैरिस को समय कम मिला लेकिन फिर भी वे चुनाव को अपने पक्ष में ले जा सकती थीं. परंतु कर नहीं पाईं. इसके लिए दोषी वे स्वयं ही हैं, कोई और नहीं.

एक बात और, जनता कमला हैरिस के जरिये ट्रम्प को जानना नहीं चाहती थी, कि ट्रम्प क्या हैं. वह तो उनके बारे में जानना चाहती थी जो वे सही से बता नहीं पाईं. जनता एक नेता के तौर पर उनकी नीतियों, विजन और भविष्य के उनके एजेंडे के बारे में जानना चाहती थी लेकिन वे इन सबका उत्तर यह कहकर देना चाहती थीं- ‘‘मैं ट्रम्प नहीं हूं.’’

गौर से देखें तो दुनिया के प्रत्येक देश में कम-से-कम दो भिन्न राजनीतिक विचारधाराएं होती हैं. अमेरिका में भी डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन जैसी राजनीतिक विचारधारा के लोग हैं जो अपनी-अपनी पार्टी के प्रति प्रतिबद्ध थे. इनमें स्विंग की संभावना नहीं थी. यह संभावना तो अनिर्णीत मध्यमार्गी मतदाताओं (अनडिसाइडेड मिडिल वोटर्स) में थी जो न ही किसी के साथ होते हैं और न विरुद्ध.

उसे अपनी तरफ आकर्षित करना होता है. प्रत्याशी की प्रामाणिकता और स्पष्टता उसे प्रभावित कर सकती है. कमला हैरिस इस स्केल पर असफल रहीं. लेकिन ट्रम्प सफल रहे फिर वह चाहे सुजैन की रणनीति के कारण रहा हो अथवा एलन मस्क के तेज दिमाग और सोशल मीडिया के कारण. ट्रम्प चाहे जितने विरोधाभासी और जटिल हों लेकिन वे वैसा ही दिखे जैसा कि हैं.

जनता ने लिबरल्स की हिपोक्रेसी की बजाय ट्रम्प की हुल्लड़बाजी (इडियॉसिटी) को ज्यादा पसंद किया. कमला हैरिस में वह नेचुरैलिटी नजर नहीं आई जो ट्रम्प में आई. कमला हैरिस सब कुछ बैलेंस रखने के चक्कर में एक मजबूत नेता की छवि पेश नहीं कर पाईं. जबकि अमेरिकियों को ऐसा मजबूत नेता चाहिए था जो उनके देश को पुनः ‘ग्रेट अमेरिका’ बना सके. ट्रम्प कर ले गए. कुल मिलाकर कमला हैरिस अपने चिरपरिचित एजेंडे को छोड़ नहीं पाईं और ट्रम्प थोड़े सच और ढेर सारे झूठ के सहारे अपने मौलिक मुद्दों से बहुत आगे निकल गए.

Web Title: US Election Results 2024 Donald Trump's victory his charisma or something else blog Rahees Singh

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