ट्रम्प ने अपने बयानों से कराई किरकिरी, पीएम मोदी का राष्ट्र के नाम संदेश प्रसारित होने से पहले डोनाल्ड ने वीडियो संदेश क्यों जारी कर दिया?

By राजेश बादल | Updated: May 14, 2025 05:34 IST2025-05-14T05:33:28+5:302025-05-14T05:34:46+5:30

अगर वे युद्ध विराम करते हैं तो फिर अमेरिका अपना कारोबार जारी रखेगा. इसीलिए यह युद्धविराम हुआ.

Trump caused embarrassment statements why did Donald release video message before PM Modi's message nation broadcast blog rajesh badal | ट्रम्प ने अपने बयानों से कराई किरकिरी, पीएम मोदी का राष्ट्र के नाम संदेश प्रसारित होने से पहले डोनाल्ड ने वीडियो संदेश क्यों जारी कर दिया?

file photo

Highlightsअमेरिकी राष्ट्रपति अपने मित्र देशों की नाराजगी मोल लेते जा रहे हैं. भारत भी इनमें से एक है. छबि बेहतर बनाने का प्रयास किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए.युद्ध विराम नहीं किया तो अमेरिका दोनों मुल्कों के साथ कारोबार बंद कर देगा.

डोनाल्ड ट्रम्प ने तो यह भी कहा था कि दोनों मुल्कों के बीच कश्मीर का यह विवाद सदियों पुराना है. शायद वे भूल गए थे कि पाकिस्तान विश्व के नक्शे में 1947 में ही प्रकट हुआ था. दूसरे कार्यकाल में भी डोनाल्ड ट्रम्प का बड़बोलापन और झूठे बयान अब अमेरिका को भारी पड़ने लगे हैं. ट्रम्प की सनक और विशुद्ध व्यावसायिक सोच उन देशों में ही अमेरिका को अलोकप्रिय बना रही है, जो अभी तक उसके पिछलग्गू रहे हैं या उसके इशारों पर नाचते रहे हैं. इसके अलावा अमेरिकी राष्ट्रपति अपने मित्र देशों की नाराजगी मोल लेते जा रहे हैं. भारत भी इनमें से एक है.

पाकिस्तान के साथ भारत की जंगी झड़पें रोकने के लिए उन्होंने पहल तो की पर जिस तरह से अपने को प्रतिष्ठित तथा महिमा मंडित करने का प्रयास किया, वह किसी भी मित्र देश को रास नहीं आया. मित्र को नीचा दिखाकर अपनी छबि बेहतर बनाने का प्रयास किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए.

सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राष्ट्र के नाम संदेश का प्रसारण होने से चंद मिनट पहले डोनाल्ड ट्रम्प ने एक बेहद आपत्तिजनक वीडियो संदेश जारी कर दिया. इस संदेश में उन्होंने कहा कि जंगी झड़पें रोकने के लिए उन्हें भारत और पाकिस्तान को यह चेतावनी देनी पड़ी थी कि यदि उन्होंने युद्ध विराम नहीं किया तो अमेरिका दोनों मुल्कों के साथ कारोबार बंद कर देगा.

अगर वे युद्ध विराम करते हैं तो फिर अमेरिका अपना कारोबार जारी रखेगा. इसीलिए यह युद्धविराम हुआ. देखा जाए तो यह भी एक तरह से  झूठ ही है इसीलिए भारत को कुछ घंटे बाद ही खंडन करना पड़ा कि अमेरिका ने ऐसा कुछ नहीं कहा था. इससे दो-तीन दिन  पहले उन्होंने कश्मीर के मसले पर मध्यस्थता की बात कही थी. भारत ने उसे भी खारिज कर दिया था.

उनके दफ्तर ने शायद नहीं बताया कि कश्मीर के मामले में भारत ने कभी तीसरे देश या पक्ष की मध्यस्थता मंजूर नहीं की है. यह भारत की घोषित नीति रही है. डोनाल्ड ट्रम्प ने तो यह भी कहा था कि दोनों मुल्कों के बीच कश्मीर का यह विवाद सदियों पुराना है. शायद वे भूल गए थे कि पाकिस्तान विश्व के नक्शे में 1947 में ही प्रकट हुआ था. इस लिहाज से तो अभी एक सदी भी पूरी नहीं हुई है.

बहरहाल ! युद्ध विराम के पीछे की कहानी अभी सामने आनी बाकी है. पर दो उदाहरणों का जिक्र तो किया जा सकता है. यह दोनों उदाहरण ट्रम्प के पूंजीपति वाले रौब को खारिज नहीं करते. यह मात्र संयोग नहीं माना जा सकता कि पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष से युद्ध विराम से ठीक पहले बीस हजार करोड़ रुपए का कर्ज देने का ऐलान हो गया.

पिछले 35 साल में 28 साल अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष से ऋण ले चुके पाकिस्तान को पहले तो आईएमएफ एक पैसा भी देने के लिए तैयार नहीं था. आज भी यह तय है कि पाकिस्तान अगले 50 साल तक इस कर्ज को चुकाने की स्थिति में नहीं है. इसलिए यह डूबते को तिनके का सहारा ही था. दरअसल अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में मदद के लिए 85 फीसदी मत प्रस्ताव के पक्ष में होने चाहिए और अमेरिका की कुल वोट शक्ति 16.5 प्रतिशत है. यानी अमेरिका की वोट शक्ति के बिना सारे 191 सदस्य देश मिलकर भी प्रस्ताव को गिरा नहीं सकते थे क्योंकि वे 85 फीसदी के आंकड़े को छू नहीं पाते.

दूसरी तरफ भारत के लिए धन से अधिक जरूरी सम्मान था. इसीलिए वर्ल्ड बैंक ने सिंधु जल संधि पर पर अपने को अलग कर लिया. इस शिखर संस्था पर भी अमेरिका की पकड़ है. इसमें भी ट्रम्प का हाथ बताया जाता है. दुनिया के सबसे सभ्य और आधुनिक लोकतंत्र के नुमाइंदे की नहीं. युद्धविराम में अगर कोई भूमिका ट्रम्प की हो सकती है तो यही हो सकती है.

इसीलिए वे बार- बार अपने गाल बजा रहे हैं कि उन्होंने यह जंग रुकवा दी. मेरे आकलन में तो यह कुल प्रसंग ऐसा ही था कि दो बिल्लियों की लड़ाई में बंदर फायदा उठा ले गया. पर उनकी दूसरी पारी प्रारंभ होने से पहले ही उनके खोखले दावे उजागर होने लगे थे. अपने चुनाव प्रचार के दरम्यान उन्होंने कहा था कि अगर वे राष्ट्रपति चुने गए तो रूस और यूक्रेन के बीच तीन साल से जारी जंग को 24 घंटे में ही समाप्त करा देंगे. वे राष्ट्रपति तो महीनों पहले बन गए,पर युद्ध अभी भी जारी है. इसी तरह उन्होंने कहा कि कनाडा को अमेरिका का 51 वां प्रदेश बन जाना चाहिए और वहां के प्रधानमंत्री को उस प्रदेश का गवर्नर.

इससे पूरा कनाडा भड़क गया और मार्क कार्नी की लिबरल पार्टी हारते-हारते जीत गई. इस जीत के पीछे इसी मुद्दे का हाथ था. अब डोनाल्ड ट्रम्प मार्क कार्नी को बराबरी की मेज पर बिठाकर वार्ता कर रहे हैं. ऐसे ही उन्होंने कहा कि 25 साल पहले अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की बेवकूफी से पनामा अमेरिका के हाथ से निकल गया.

असल में उनके भीतर बैठा पूंजीपति अभी भी राष्ट्रपति पद पर हावी है. उनके व्यवहार से स्पष्ट है कि अमेरिका के साथ अब रिश्ते सामान्य रहने वाले नहीं हैं. और सबसे पहला संकेत तो विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में भारत ने दे ही दिया है.

बीते दिनों जब ट्रम्प ने 26 फीसदी टैरिफ भारत पर लगाया था तो उस समय भारत खामोश रहा था. मगर, अब भारत ने संगठन की डिस्प्यूट सेटलमेंट बॉडी को बता दिया है कि वह भी अमेरिका पर जवाबी टैरिफ लगाएगा. जाहिर है आने वाले दिन दोनों मुल्कों के बीच मधुरता का संकेत नहीं देते.

Web Title: Trump caused embarrassment statements why did Donald release video message before PM Modi's message nation broadcast blog rajesh badal

विश्व से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे