रहीस सिंह का नजरियाः ट्रम्प के लिए चुनौतियों का वक्त शुरू

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: November 13, 2018 09:05 PM2018-11-13T21:05:21+5:302018-11-13T21:05:21+5:30

ट्रम्प अब जिस तरह की आक्रामकता और अनिश्चितता का शिकार हुए हैं क्या वह जारी रहेगी या फिर अब वे पुनर्विचार करेंगे?

Rahees Singh's blog: Challenges to Trump | रहीस सिंह का नजरियाः ट्रम्प के लिए चुनौतियों का वक्त शुरू

रहीस सिंह का नजरियाः ट्रम्प के लिए चुनौतियों का वक्त शुरू

पिछले कुछ समय से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प कुछ डरे और खीङो हुए दिख रहे हैं। यही कारण है कि वे राष्ट्रपति पद पर रहने या न रहने को अर्थव्यवस्था की स्थिरता और अमेरिकी ताकत की स्थापना से जोड़ रहे हैं। लेकिन इसी बीच पिछले दिनों उन पर महाभियोग लगाने की चर्चा भी शुरू हो गई थी। चूंकि निचले सदन में विपक्षियों का बहुमत नहीं था इसलिए ट्रम्प बच गए।

अब निचले सदन के चुनाव के बाद की जो स्थिति बनी हुई है उसके आधार पर सवाल यह उठता है कि क्या डोनाल्ड ट्रम्प को महाभियोग का सामना करना पड़ जाएगा? ट्रम्प अब जिस तरह की आक्रामकता और अनिश्चितता का शिकार हुए हैं क्या वह जारी रहेगी या फिर अब वे पुनर्विचार करेंगे? क्या निचले सदन के परिणाम ट्रम्प की घटती लोकप्रियता का कारण हैं?

अमेरिका में संसद के लिए हुए मध्यावधि चुनावों में प्रतिनिधि सभा ( हाउस ऑफ  रिप्रेजेंटेटिव्स ) में जिस तरह से डेमोक्रेट्स ने कब्जा किया है, उससे यह तो साबित हो गया है कि ट्रम्प की लोकप्रियता घट रही है और शायद यही उनके डर की वजह भी है।

अभी तक राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की रिपब्लिकन पार्टी का दोनों सदनों (सीनेट और हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स) में बहुमत था। चुनाव के पश्चात अमेरिकी कांग्रेस में प्रतिनिधि सभा की कुल 435 सीटों में से 218 के बहुमत का आंकड़ा पार करते हुए डेमोक्रेटिक पार्टी ने 245 के करीब सीटें जीती हैं। हालांकि सीनेट में अभी रिपब्लिकन का दबदबा बरकरार है क्योंकि रिपब्लिकन को सीनेट की कुल 100 सीटों में से 54 सीटें मिल गई हैं।

डेमोक्रेट्स की इस जीत के तत्काल बाद डेमोक्रेट नेता नैन्सी पेलोसी ने स्पष्ट किया कि अब डेमोक्रेट्स ट्रम्प प्रशासन पर लगाम लगाएंगे। तात्पर्य यह हुआ कि अब ट्रम्प की मनमानी नहीं चल पाएगी। इस स्थिति में ट्रम्प के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। अब संभव है कि राष्ट्रपति पद के लिए हुए चुनावों में रूसी हस्तक्षेप पर जांच आगे बढ़ जाए और ट्रम्प पर महाभियोग चलाने का वातावरण एक बार पुन: निर्मित हो। यह भी संभव है कि इन चुनावों के बाद ट्रम्प की अनिश्चित सक्रियता पर अंकुश लगे और सत्ता में संतुलन स्थापित हो।

कुल मिलाकर ट्रम्प प्रशासन अब संसद के निचले सदन में लड़खड़ाते हुए चलेगा। अब भले ही राष्ट्रपति ट्रम्प महाभियोग की प्रक्रिया को सीनेट में रोक ले जाएं लेकिन नॉर्मन आइसन के शब्दों में यह कहना उचित प्रतीत होता है कि - ‘‘यह राष्ट्रपति ट्रम्प के कार्यकाल का सबसे बुरा दौर है। नहीं, उनकी जिंदगी का सबसे बुरा दौर है।’’ 

Web Title: Rahees Singh's blog: Challenges to Trump

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