प्रमोद भार्गव का ब्लॉगः जलवायु परिवर्तन को लेकर नई पीढ़ी में आक्रोश

By प्रमोद भार्गव | Updated: September 27, 2019 06:32 IST2019-09-27T06:32:44+5:302019-09-27T06:32:44+5:30

शिकायत में कहा है कि खासतौर से पांच देशों ने ग्लोबल वार्मिग की शर्तो का उल्लंघन करते हुए इस पर नियंत्रण की कोई पहल नहीं की.   जर्मनी, फ्रांस, ब्राजील, अर्जेटीना एवं तुर्की बाल अधिकार सम्मेलन के तहत अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में नाकाम रहे हैं. 

Pramod Bhargava's blog: Anger in a new generation about climate change | प्रमोद भार्गव का ब्लॉगः जलवायु परिवर्तन को लेकर नई पीढ़ी में आक्रोश

प्रमोद भार्गव का ब्लॉगः जलवायु परिवर्तन को लेकर नई पीढ़ी में आक्रोश

जलवायु परिवर्तन के परिप्रेक्ष्य में सोलह वर्षीय पर्यावरण कार्यकर्ता स्वीडिश किशोरी ग्रेटा थुनबर्ग ने सवाल उठाने के साथ गुस्सा भी जताया है. संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन को संबोधित करते हुए ग्रेटा ने अपने 15 युवा साथियों के साथ विश्वभर के नेताओं के सामने बढ़ते वैश्विक तपमान को लेकर अपनी चिंता व शिकायत दर्ज कराई है. शिकायत में कहा है कि खासतौर से पांच देशों ने ग्लोबल वार्मिग की शर्तो का उल्लंघन करते हुए इस पर नियंत्रण की कोई पहल नहीं की.   जर्मनी, फ्रांस, ब्राजील, अर्जेटीना एवं तुर्की बाल अधिकार सम्मेलन के तहत अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में नाकाम रहे हैं. 

ग्रेटा ने राष्ट्र प्रमुखों पर ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी नहीं लाने के लिए युवा पीढ़ी से विश्वासघात करने का आरोप लगाते हुए कहा, ‘आपने अपनी खोखली बातों से मेरे सपने और बचपन को छीन लिया है. लोग त्रस्त हैं, लोग मर रहे हैं और पृथ्वी का पूरा पारिस्थितिकी तंत्र ध्वस्त हो रहा है. हम सामूहिक विलुप्ति के कगार पर हैं और आप हैं कि धन कमाने और आर्थिक विकास की काल्पनिक कथाओं का ढिंढोरा पीट रहे हैं.’ ग्रेटा का यह भाषण दुनियाभर में चर्चित हो रहा है.  

याद रहे कि अमेरिका को छोड़ संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों ने  बाल स्वास्थ्य एवं अधिकार रक्षा से जुड़ी संधि को मंजूरी दी थी. यह शिकायत 2014 में अस्तित्व में आए  वैकल्पिक प्रोटोकॉल के अंतर्गत की गई है. इसमें नियम है कि यदि बच्चों को लगता है कि उन्हें उनके अधिकारों से वंचित रखा जा रहा है, तो वे संयुक्त राष्ट्र  की बाल अधिकार समिति के समक्ष अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं. शिकायत मिलने पर समिति बिंदुवार आरोपों की जांच करती है और फिर संबंधित देशों से इनके निपटारे की सिफारिश करती है.

गेट्रा ने एकाएक यह चिंता नहीं जताई है. वे अगस्त 2018 से हर शुक्रवार को अपना विद्यालय छोड़कर जलवायु परिवर्तन के लिए आवाज बुलंद करती रही हैं. महात्मा गांधी से प्रभावित ग्रेटा स्वीडिश संसद के सामने भी धरने पर बैठ चुकी हैं. संयुक्त राष्ट्र के अलावा ग्रेटा ब्रिटेन, इटली और यूरोपियन संसद में भी अपनी चिंता जता चुकी हैं. उनके इस आंदोलन से प्रभावित होकर इसी साल 20 सितंबर 2019 को 150 देशों में आंदोलन हुए हैं. ट्रम्प जैसे लोग ग्रेटा के आंदोलन का मजाक उड़़ाते हुए इसे उसका बचपना बता रहे हैं. लेकिन ग्रेटा जिस तरह से सक्रिय दिखाई दे रही हैं, उससे लगता है कि दुनिया के राष्ट्र प्रमुखों को पर्यावरण के प्रति सचेत होना पड़ेगा. अन्यथा ग्रेटा की आवाज में पूरी दुनिया के युवा आवाज मिला सकते हैं, क्योंकि जलवायु परिवर्तन का बढ़ता संकट इसी युवा पीढ़ी के भविष्य के लिए खतरा बनकर उभर रहा है.

Web Title: Pramod Bhargava's blog: Anger in a new generation about climate change

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