कारगिल में हारकर हथियाई परवेज मुशर्रफ ने सत्ता
By राजेश बादल | Published: July 23, 2018 04:30 AM2018-07-23T04:30:20+5:302018-07-23T04:30:20+5:30
नवाज खुशफहमी में थे कि कश्मीर समस्या का हल होने वाला है। लेकिन मुशर्रफ के दिमाग में कुछ और ही था। उन्होंने कारगिल में चुपचाप हजारों जवान घुसपैठियों की शक्ल में तैनात कर दिए।
दरअसल परवेज मुशर्रफको सेनाध्यक्ष बनाने से पहले नवाज शरीफको खुफिया रिपोर्ट में सलाह दी गई थी कि वे यह फैसला न लें। नवाज ने नहीं माना और कुछ वरिष्ठ सेना अफसरों की उपेक्षा करते हुए मुशर्रफ पर मेहरबानी की। इसी बीच भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी सद्भावना बस से फरवरी 99 में लाहौर गए। दोनों देशों के बीच लाहौर घोषणापत्र पर हस्ताक्षर हुए।
नवाज खुशफहमी में थे कि कश्मीर समस्या का हल होने वाला है। लेकिन मुशर्रफ के दिमाग में कुछ और ही था। उन्होंने कारगिल में चुपचाप हजारों जवान घुसपैठियों की शक्ल में तैनात कर दिए। इस षड्यंत्र की किसी को भनक तक नहीं थी। न वायुसेनाध्यक्ष और नौ सेनाध्यक्ष जानते थे, न चीफ ऑफ आर्मी स्टॉफ न डिफेंस सेक्रेटरी न रक्षामंत्री न प्रधानमंत्री और न राष्ट्रपति को खबर थी। अप्रैल आते-आते झड़पें शुरू हो गईं।
मीडिया में रिपोर्टे आईं तो नवाज ने पूछा। मुशर्रफ ने बताया कि जिहादी लड़ रहे हैं। पाक फौज का हाथ नहीं है। नवाज ने बाद में एक साक्षात्कार में कहा, ‘मुङो तो अटलबिहारी वाजपेयी के फोन से पता चला कि हमारी सेना कारगिल में लड़ रही है।’ इसके बाद मुशर्रफ नवाज के पास भागे आए । बोले, ‘कुछ करिए। हमारी नॉदर्न लाइट इन्फेंट्री भारतीय सेना ने उड़ा दी है। हमारे हाथ से चौकियां निकलती जा रही हैं।’ नवाज अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के पास दौड़े। क्लिंटन ने वाजपेयी से बात की लेकिन तब तक पाकिस्तान जंग हार चुका था। इसके बाद पाकिस्तान में नवाज और मुशर्रफ दोनों की बड़ी किरकिरी हुई।
कारगिल कांड के बाद वहां के सारे आला संस्थान एक-दूसरे पर शक करने लगे थे। कारगिल का सारांश नवाज शरीफ के शब्दों में, ‘हमारे नौजवान सैनिक अपने बंकरों में चीखते थे। राशन नहीं देना तो मत दो। हथियार तो दो। हम किस चीज से लड़ें। वे वहां घास और बर्फ खाते थे। पीछे से सप्लाई लाइन टूटी थी।भारत ने सप्लाई लाइन नष्ट कर दी थी। हम एक-एक चौकियां खो रहे थे। युद्ध कैसे लड़ते? दुनिया भर में अकेले पड़ गए थे। दुनिया हमें जिम्मेदार ठहरा रही थी। इसके बाद भी मैंने सब कुछ अपने दिल से निकाल दिया था। मैंने खुले दिल से मुशर्रफ से रिश्ते रखे किंतु उन्होंने इतनी नफरत फैलाई, इतना मामला बढ़ाया कि मुङो सत्ता से हटना पड़ा। उन्होंने साजिश रची। हमारी सत्ता लूट ली और टेक ओवर कर लिया।’
इसके बाद भी रिश्तों में तनातनी थी। नवाज ने मुशर्रफ के दबाव में अपने विश्वासपात्र जनरल तारिक को हटा दिया। इसकी खबर मुशर्रफ ने तोड़मरोड़कर मीडिया में लीक करा दी। इसके बाद प्रधानमंत्री आवास में नवाज की जासूसी के कुछ मामले उजागर हुए। खुफिया एजेंसियों ने एक बार फिर नवाज को तख्तापलट की सूचनाएं दीं।
इसके बाद भी नवाज पैरों पर कुल्हाड़ी मारते रहे। उन्होंने खलनायक मुशर्रफ को चीफऑफ आर्मी स्टॉफ बना दिया। लेकिन तनाव बढ़ता गया। एक दिन वह भी आया, जब मुशर्रफ श्रीलंका में थे तो आदेश निकालकर नवाज ने पद से हटा दिया और जनरल अजीज को चीफ ऑफ आर्मी स्टॉफ बना दिया। नवाज की यह एक और मूर्खता थी। जनरल अजीज मुशर्रफ के आदमी थे।
वे श्रीलंका से लौटे और तख्तापलट हो गया। बकौल नवाज,‘उस रात जनरल अजीज और जनरल महमूद मेरे पास एक कागज लेकर आए। उस पर संसद भंग करने की सिफारिश थी। फौजी बोले, इस पर हस्ताक्षर करो। मैंने उत्तर दिया, इस पर मेरी लाश ही दस्तखत करेगी। जनरलों ने कहा,अब आपसे बदला लिया जाएगा। इसके बाद उन्होंने मुङो एक छोटे अंधेरे कमरे में बंद कर दिया। नवाज एक बार फिर इतिहास बन गए।