रहीस सिंह का ब्लॉग: बिश्केक में घिरता नजर आया पाकिस्तान

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: June 21, 2019 05:55 AM2019-06-21T05:55:01+5:302019-06-21T05:55:01+5:30

भारत की पिछले कुछ समय से रणनीति रही है कि पाकिस्तान को वैश्विक कूटनीति में अलग-थलग किया जाए और प्रत्येक वैश्विक फोरम/मंच पर आतंकवाद को लेकर उसे बेनकाब किया जाए या घेरा जाए.

Pakistan trapped in bishkek during sco meeting | रहीस सिंह का ब्लॉग: बिश्केक में घिरता नजर आया पाकिस्तान

रहीस सिंह का ब्लॉग: बिश्केक में घिरता नजर आया पाकिस्तान

भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध सबसे खराब दौर से गुजर रहे हैं या नहीं, यह कहना शायद तमाम ऐतिहासिक तथ्यों को दरकिनार करना होगा लेकिन यह कहा जा सकता है कि भारत अब अपने इस निर्णय पर प्रतिबद्ध है कि संवाद और आतंकवाद एक साथ संभव नहीं है. यही वजह रही कि बिश्केक (किर्गिजस्तान) समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान एक दूसरे के सामने पड़ने पर भी एक-दूसरे का अभिवादन करते नजर नहीं आए. हालांकि दोनों नेता लीडर्स लाउंज में मिले और एक दूसरे का हालचाल भी जाना. सवाल यह उठता है कि पर्दे पर और पर्दे के पीछे के इस अंतर को किस तरह से देखा जाए? 

भारत की पिछले कुछ समय से रणनीति रही है कि पाकिस्तान को वैश्विक कूटनीति में अलग-थलग किया जाए और प्रत्येक वैश्विक फोरम/मंच पर आतंकवाद को लेकर उसे बेनकाब किया जाए या घेरा जाए. हालांकि चीन पाकिस्तान को बार-बार भारत के बराबर लाकर खड़ा करने की कोशिश करता है फिर चाहे वह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता संबंधी मामला हो या एनएसजी सहित अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठन में जगह बनाने का प्रयास. यही तो शंघाई सहयोग संगठन में भी हुआ. 

यह चीनी चाल ही थी कि शंघाई सहयोग संगठन में भारत के साथ पाकिस्तान को भी स्थायी सदस्य बनाया गया जो एक प्रकार से भारत के कद को छोटा करने जैसा था. हालांकि ऐसा हुआ नहीं क्योंकि भारत ने क्विंगदाओ और बिश्केक में स्वयं को एक लीडर के रूप में पेश करने में सफलता अर्जित कर ली जबकि पाकिस्तान चीन और रूस की ओर देखता रहा. क्विंगदाओ में सिक्योर सिद्धांत के जरिए भारत ने चीन को आधारभूत नीति की ओर लौटने हेतु सोचने पर विवश किया और पाकिस्तानी आतंकवाद को केंद्र में लाने की कोशिश की. इससे कुछ कदम और आगे बढ़ते हुए बिश्केक में आतंकवाद को लेकर सीधे पाक को निशाने पर लिया और आतंकवाद तथा उसकी फंडिंग पर सर्वसम्मति बनाने में सफल हो गया, वह भी चीन की अनिच्छा के बावजूद. 

शंघाई सहयोग संगठन की शिखर बैठक शुरू होने से पहले ही चीन ने एक अल्टीमेटम दिया था कि इस समिट के दौरान किसी भी हालत में आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान पर निशाना नहीं साधा जाना चाहिए. लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मालदीव और श्रीलंका यात्र के दौरान ही यह संकेत दे चुके थे कि वे इस मुद्दे को अवश्य उठाएंगे. शंघाई सहयोग संगठन का अनुच्छेद 1 और अनुच्छेद 2 भी पाकिस्तान को कठघरे में खड़ा करने से भारत को नहीं रोक पाया. शंघाई सहयोग संगठन के सदस्यों ने भारत के साथ मिलकर आतंकवाद के हर स्वरूप की निंदा की और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से इससे मुकाबला करने के लिए सहयोग बढ़ाने की अपील भी की. 

Web Title: Pakistan trapped in bishkek during sco meeting

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