निरंकार सिंह का ब्लॉग: अमेरिका और चीन के बीच प्रशांत महासागर में वर्चस्व की होड़
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: October 24, 2020 11:53 AM2020-10-24T11:53:36+5:302020-10-24T11:53:36+5:30
अमेरिका और चीन में प्रशांत महासागर पर ताकत और वर्चस्व दिखाने की होड़ है. चीन ने पहली बार इस क्षेत्र में परमाणु मिसाइलों से लैस पनडुब्बियां तैनात की हैं. वहीं अमेरिका इस क्षेत्र में पहले ही अपने कई आधुनिक हथियार तैनात कर चुका है.
निरंकार सिंह
चीन जिस तरह से अपने पड़ोसी देशों की जमीन हड़पने की कोशिश करता रहा है, उससे यही जाहिर होता है कि वह किसी भी तरह से दुनिया में अपना एकछत्र साम्राज्य स्थापित करना चाहता है. तिब्बत को धोखे से हड़पने के बाद अब वह ताइवान को भी हड़पना चाहता है. एक तरफ तो वह दक्षिण चीन सागर में अमेरिका को चुनौती दे रहा है, दूसरी तरफ आर्मेनिया और अजरबैजान की जंग में पाकिस्तान और टर्की के माध्यम से रूस से भी लड़ने को तैयार है. इस जंग में आर्मेनिया के साथ रूस के बाद अब फ्रांस भी शामिल हो गया है तो अजरबैजान के साथ चीन के इशारे पर पाकिस्तान और टर्की की फौजें एवं आतंकवादी लड़ रहे हैं. भारत-लद्दाख सीमा पर भी भारत चीन की फौजें आमने-सामने हैं.
हालांकि गलवान, पैंगोंग और त्रिशूल में मात खाने के बाद अब चीन सीधे भारत से जंग नहीं लड़ना चाहता है, लेकिन अब वह पाकिस्तान को अपना मोहरा बनाकर जंग की तैयारी कर रहा है. कई देशों को अपने जाल में फंसाकर चीन उनका उपयोग जिस तरह अपने मंसूबों को पूरा करने के लिए कर रहा है, उससे सभी देश चौकन्ने हो गए हैं. दुनिया उसकी असलियत को जान चुकी है. अब वह अपने ही बनाए जाल में फंस गया है. दक्षिण चीन सागर से लेकर हिंद और प्रशांत महासागर में चारों तरफ से वह घिर चुका है. ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन ने चीन की आक्रामकता का जवाब देने के लिए दुनिया के देशों से एकजुट होने की अपील की है. चीन की धमकियों और उकसावे के बावजूद ताइवान अपने रुख पर कायम है. वह चाहता है कि अमेरिका के साथ ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, कनाडा, यूरोपीय संघ और जापान भी बीजिंग से मुकाबले में उसका साथ दें.
अमेरिका ने चीन को पटखनी देने के लिए एशिया में रणनीतिक घेराबंदी को तेज कर दिया है. अमेरिकी ताकत का प्रतीक कहे जाने वाले उसके 20 एयरक्राफ्ट और हेलिकॉप्टर कैरियर्स में से तीन लगातार एशिया के अलग-अलग इलाकों में गश्त लगा रहे हैं. इसी कड़ी में हिंद महासागर में चीन की घुसपैठ को रोकने के लिए अमेरिका का निमित्ज क्लास का एयरक्राफ्ट कैरियर यूएसएस रोनाल्ड रीगन अंडमान के पास पहुंचा है. परमाणु शक्ति से चलने वाले इस एयरक्राफ्ट कैरियर पर अमेरिका के 90 घातक लड़ाकू विमान और 3000 से ज्यादा मरीन तैनात हैं.
हिंद महासागर में अमेरिका अपनी ताकत बढ़ा रहा है. उसके मलक्का जलडमरूमध्य के पास इस एयरक्राफ्ट कैरियर को कुछ समय पहले देखा गया है. माना जा रहा है कि यह हिंद महासागर में स्थित अमेरिकी नेवल बेस डिएगो गार्सिया भी जाएगा. अमेरिका ने हाल में ही यहां बी-2 बॉम्बर को भी तैनात किया है. इस क्षेत्र में अपनी सामरिक ताकत को बढ़ाकर अमेरिका चीन पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है. हिंद महासागर में चीन की बढ़ती गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए अमेरिका ने अपने तीन एयरक्राफ्ट कैरियर्स को इस इलाके में तैनात किया है. इनमें से एक यूएएसएस थियोडोर रुजवेल्ट फिलीपीन सागर में जबकि दूसरा खाड़ी देशों के पास गश्त लगा रहा है. वहीं अमेरिका की आक्रामक गतिविधियों से बौखलाया चीन बार-बार युद्ध की धमकी दे रहा है.
अमेरिका और चीन में प्रशांत महासागर पर ताकत और वर्चस्व दिखाने की होड़ है. चीन ने पहली बार इस क्षेत्र में परमाणु मिसाइलों से लैस पनडुब्बियां तैनात की हैं. वहीं अमेरिका इस क्षेत्र में पहले ही अपने कई आधुनिक हथियार तैनात कर चुका है. साथ ही उसने चीन के विरोधी देश दक्षिण कोरिया में थाड एंटी बैलिस्टिक सिस्टम और हाइपरसोनिक ग्लाइड मिसाइल तैनात की है. ये मिसाइल एक घंटे के भीतर चीन को निशाना बनाने में सक्षम है. समुद्री इलाके को लेकर चीन और वियतनाम में वर्षो से झगड़ा है. इसका फायदा उठा अमेरिका वियतनाम के नजदीक आ रहा है. कुछ दिनों पहले पेंटागन ने चीनी सैन्य क्षमताओं को लेकर एक रिपोर्ट पेश की थी. इसमें कहा गया कि चीन गलत तरकीबें इस्तेमाल कर अपनी ताकत बढ़ा रहा है. उसका पूरा ध्यान समुद्री द्वीपों के सैन्यीकरण पर है. साउथ चाइना सी में करीब 250 द्वीप हैं और इन सभी पर चीन कब्जा करना चाहता है. पर चीन जिस विस्तारवादी नीति को लेकर आगे बढ़ रहा है, वही उसके लिए बड़ी मुसीबत का कारण बन गई है. अमेरिका अब चीन के सामने झुकने को तैयार नहीं है. दोनों देशांे ने जंग के मोर्चे पर पूरी तैयारी कर ली है. बस सही वक्त का इंतजार है.