बांग्लादेश की कब्र खोद रहे हैं मोहम्मद यूनुस

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: July 18, 2025 07:39 IST2025-07-18T07:37:58+5:302025-07-18T07:39:03+5:30

इसमें किसी को कोई संदेह नहीं कि जिस दिन वक्त बदलेगा, बांग्लादेश की किस्मत फिर से चमकेगी, उस दिन मो. यूनुस को एक काले अध्याय की तरह कूड़ेदान में डाल दिया जाएगा.

Mohammad Yunus is digging the grave of Bangladesh | बांग्लादेश की कब्र खोद रहे हैं मोहम्मद यूनुस

बांग्लादेश की कब्र खोद रहे हैं मोहम्मद यूनुस

एक बहुत पुरानी कहावत है कि जिस दिन आप अपनी संस्कृति को भूलने लगते हैं, उससे दूर होने लगते हैं, उसी दिन से आप अपने आप को नीचे गिराने लगते हैं. यदि इस नजरिये से देखें तो बांग्लादेश के सत्ता प्रमुख मोहम्मद यूनुस इस वक्त बांग्लादेश की कब्र खोदने में लगे हैं. सबसे ताजा उदाहरण है महान फिल्मकार सत्यजित रे के पैतृक निवास को नेस्तनाबूद कर देना. यह भवन सत्यजित रे के दादा उपेंद्र किशोर राय चौधरी ने बनवाया था.

इसे पूर्णलक्ष्मी भवन के नाम से भी जाना जाता था. इसी साल जून में दंगाइयों ने म्यूजियम में तब्दील हुए सत्यजित रे के इस मकान को क्षतिग्रस्त कर दिया था. भारत सरकार ने इस पर आपत्ति ली थी और अपना विरोध दर्ज कराया था. भवन गिराए जाने से पूर्व भारत ने बांग्लादेश सरकार से पुनर्विचार की भी अपील की थी लेकिन मो. यूनुस को तो हर उस काम में मजा आता है जिससे भारत की भावनाएं आहत होती हैं. लेकिन मोहम्मद यूनुस को क्या इस बात का जरा सा भी मलाल नहीं है कि उन्होंने केवल सत्यजित रे का मकान नहीं ध्वस्त किया है बल्कि उन्होंने बंगाली अस्मिता के एक प्रतीक को ध्वस्त किया है!

हालांकि सत्यजित रे को केवल बांग्लादेशी अस्मिता के दायरे में रखना उनके प्रति नाइंसाफी होगी क्योंकि वे तो भूरे अविभाजित भारत की अस्मिता के प्रतीक थे. मगर स्वाभाविक रूप से बांग्ला बोलने वाले लोग उनकी भाषा में अपनी संस्कृति की तासीर महसूस करते रहे हैं.

चाहे वो भारत के बांग्ला भाषी हों या फिर बांग्लादेश के बांग्ला भाषी! मगर मोहम्मद यूनुस धार्मिक कट्टरता और संकीर्णता की ऐसी अंधी गली में प्रवेश कर चुके हैं कि विरासत का उजाला उन्हें पसंद ही नहीं है. इसमें किसी को कोई संदेह नहीं कि जिस दिन वक्त बदलेगा, बांग्लादेश की किस्मत फिर से चमकेगी, उस दिन मो. यूनुस को एक काले अध्याय की तरह कूड़ेदान में डाल दिया जाएगा. आखिर कोई शख्स ऐसा कैसे कर सकता है कि जिस देश ने उसकी बहन बेटियों के साथ लाखों की संख्या में बलात्कार किए हों, कई लाख लोगों को मौत के घाट उतार दिया हो, उसी के साथ सत्ता का ये लोभी व्यक्ति गलबहियां डाले घूम रहा है.

लेकिन सवाल यह है कि वह कितनी भी कोशिश कर ले लेकिन इतिहास के तथ्यों को कैसे भुला सकता है कि पाकिस्तानियों ने भाषा के नाम पर बांग्लादेश पर जुल्म किया. मो. यूनुस के बदलने से कभी इतिहास बदल नहीं सकता. बांग्लादेश में सत्यजित रे का मकान भले ही गिरा दिया गया है लेकिन उनके काम को नेस्तनाबूद करने की ताकत तुम में नहीं है मि. यूनुस!

तुम धार्मिक कट्टरता के आधार पर जुल्म कर सकते हो लेकिन बांग्लादेशी संस्कृति को मिटा नहीं सकते. और जहां तक तुम्हारा सवाल है तो अब कोई भी बांग्लादेशी तुम्हें शायद ही बांग्लादेशी मानेगा. तुमने एक घर नहीं, विरासत को गिराया है. इसकी जितनी भी भर्त्सना की जाए, कम है.

Web Title: Mohammad Yunus is digging the grave of Bangladesh

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