जम्मू-कश्मीरः गिलगित-बाल्टिस्तान पर पाकिस्तान का अवैध कब्जा, विकास से दूर, पाक के कुत्सित इरादे

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: June 25, 2022 02:48 PM2022-06-25T14:48:16+5:302022-06-25T14:49:43+5:30

Jammu and Kashmir: गिलगित-बाल्टिस्तान भारत के जम्मू-कश्मीर का अभिन्न हिस्सा है, हालांकि यह आजादी के बाद से पाकिस्तान के कब्जे में है. पाकिस्तान ने इस इलाके के विकास पर कभी भी ध्यान नहीं दिया, जिससे यह आज भी उपेक्षित और अविकसित है.

Jammu and Kashmir Pakistan's illegal occupation Gilgit-Baltistan away development ill intentions of Pakistan | जम्मू-कश्मीरः गिलगित-बाल्टिस्तान पर पाकिस्तान का अवैध कब्जा, विकास से दूर, पाक के कुत्सित इरादे

1947 में भारत की आजादी से पहले गिलगित-बाल्टिस्तान जम्मू-कश्मीर रियासत का हिस्सा था.

Highlightsदेश के बाकी हिस्सों को बिजली उपलब्ध कराने के बावजूद गिलगित-बाल्टिस्तान को सिर्फ दो घंटे के लिए ही बिजली मिलती है.पाकिस्तान के राष्ट्रीय ग्रिड का हिस्सा नहीं है और इसका अपने जलविद्युत या अन्य संसाधनों पर कोई नियंत्रण नहीं है. गिलगित-बाल्टिस्तान की आबादी घटती जा रही है और सक्षम लोग अपने परिवारों के साथ पलायन कर रहे हैं.

Jammu and Kashmir:  कश्मीर क्षेत्र के जिस हिस्से गिलगित-बाल्टिस्तान पर पाकिस्तान ने अवैध रूप से कब्जा कर रखा है, उसको चीन को सौंपने की पाकिस्तान की तैयारी की खबरें निश्चित रूप से भारत के लिए चिंताजनक हैं.

हकीकत यह है कि गिलगित-बाल्टिस्तान भारत के जम्मू-कश्मीर का अभिन्न हिस्सा है, हालांकि यह आजादी के बाद से पाकिस्तान के कब्जे में है. पाकिस्तान ने इस इलाके के विकास पर कभी भी ध्यान नहीं दिया, जिससे यह आज भी उपेक्षित और अविकसित है.

देश के बाकी हिस्सों को बिजली उपलब्ध कराने के बावजूद गिलगित-बाल्टिस्तान को सिर्फ दो घंटे के लिए ही बिजली मिलती है, क्योंकि यह क्षेत्र पाकिस्तान के राष्ट्रीय ग्रिड का हिस्सा नहीं है और इसका अपने जलविद्युत या अन्य संसाधनों पर कोई नियंत्रण नहीं है. उपेक्षा का ही नतीजा है कि गिलगित-बाल्टिस्तान की आबादी घटती जा रही है और सक्षम लोग अपने परिवारों के साथ पलायन कर रहे हैं.

यहां के लोग कितने दबाव में रहते हैं इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पाकिस्तान में होने वाली सभी आत्महत्याओं में से नौ प्रतिशत गिलगित-बाल्टिस्तान में ही होती हैं. 1947 में भारत की आजादी से पहले गिलगित-बाल्टिस्तान जम्मू-कश्मीर रियासत का हिस्सा था लेकिन 1935 में अंग्रेजों ने पूरे गिलगित-बाल्टिस्तान को कश्मीर के महाराजा से 60 साल की लीज पर ले लिया था.

जब भारत को आजादी मिलना तय हो गया तो अंग्रेजों ने इस लीज को एक अगस्त 1947 को रद्द करके क्षेत्र को जम्मू एवं कश्मीर के महाराजा हरि सिंह को लौटा दिया था. आजादी के बाद, कबाइलियों के वेश में जब पाकिस्तान की सेना ने जम्मू-कश्मीर पर आक्रमण कर कई क्षेत्र पर कब्जा कर लिया तो भारतीय सेना ने कार्रवाई शुरू कर पाकिस्तानी सेना को पीछे खदेड़ना शुरू किया था.

लेकिन उसी बीच मामला संयुक्त राष्ट्र में चले जाने के कारण दोनों पक्षों ने युद्ध विराम का ऐलान कर दिया. फलस्वरूप जिस हिस्से पर पाकिस्तान का कब्जा बना रहा, वह आज पाक अधिकृत कश्मीर के नाम से जाना जाता है. लेकिन उसमें भी गिलगित-बाल्टिस्तान को इतना उपेक्षित रखा गया कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के संविधान में भी इस हिस्से को शामिल नहीं किया गया है.

जाहिर है इस इलाके के निवासियों की आवाज को ताकत के बल पर कुचल कर पाकिस्तान उनकी जमीन का अब चीन के हाथों सौदा करना चाहता है. काराकोरम नेशनल मूवमेंट के अध्यक्ष मुमताज नागरी इसके खिलाफ आवाज उठा रहे हैं, जिनका साथ देते हुए भारत को इस मुद्दे पर  पाकिस्तान का हर मंच पर कड़ा विरोध करना चाहिए ताकि वह अपनी कुत्सित चाल में सफल न हो सके. 

Web Title: Jammu and Kashmir Pakistan's illegal occupation Gilgit-Baltistan away development ill intentions of Pakistan

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