डोनाल्ड ट्रम्प की 'अमेरिका फर्स्ट' नीति के कारण चीन 21वीं सदी का सबसे बड़ी वैश्विक शक्ति बनेगा?

By विकास कुमार | Published: June 17, 2019 02:36 PM2019-06-17T14:36:48+5:302019-06-17T15:51:43+5:30

डोनाल्ड ट्रंप के समय में डिप्लोमेटिक अमेरिका अब ट्रांजैक्शनल हो गया है. उसे अपने सामरिक हितों से ज्यादा इस बात की चिंता है कि भारत भेजे जाने वाले हार्ले डेविडसन बाइक पर वहां की सरकार आयात शुल्क को कम करें वरना हम उसे सबक सिखायेंगे.

Is Donald tramp america first policy will responsible for china dominance in the world | डोनाल्ड ट्रम्प की 'अमेरिका फर्स्ट' नीति के कारण चीन 21वीं सदी का सबसे बड़ी वैश्विक शक्ति बनेगा?

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Highlightsअमेरिका की 600 बड़ी कंपनियों ने डोनाल्ड ट्रंप को चिट्ठी लिखी है कि ट्रेड वॉर के कारण अमेरिका में 20 लाख लोगों की नौकरी छिन सकती है. यूएस चैम्बर ऑफ़ कॉमर्स ने कहा है कि अमेरिका को आने वाले एक दशक में ट्रेड वॉर के कारण 1 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान हो सकता है.22 ट्रिलियन डॉलर की अमेरिकी अर्थव्यवस्था और 13 ट्रिलियन डॉलर की चीनी इकॉनमी आज एक दूसरे से टकराने के लिए बेताब हैं.

डोनाल्ड ट्रंप की अमेरिका फर्स्ट पालिसी ने संरक्षणवाद की नई थ्योरी को जन्म दिया है. ट्रंप दुनिया के उन तमाम देशों को निशाने पर ले रहे हैं जिनसे उन्हें लगता है कि अमेरिका को नुकसान हो रहा है. चीन के साथ शुरू किया गया व्यापार युद्ध अब भारत में भी घुस चुका है. हाल ही में संपन्न हुए एससीओ समिट में पीएम मोदी ने संरक्षणवाद को नई चुनौती बताया है. ईरान के खिलाफ तमाम तरह के प्रतिबंधों के जरिये अमेरिका उसे निपटाना चाहता है. 

वेनेजुएला की ढहती अर्थव्यवस्था की हालत अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण बद से बदतर हो गई है. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अमेरिका के नेचुरल सहयोगी के रूप में उभरे यूरोपीय यूनियन भी ट्रंप के व्यापार युद्ध से बच नहीं पाए. यूरोप से आयात होने एल्युमीनियम और स्टील पर अमेरिका ने आयात शुल्क बढ़ा दिए हैं. कुल मिला कर जिस रणनीति के जरिये अमेरिका ने पूरी दुनिया में अपनी धाक जमाई थी ट्रंप ने उसे ही जाने-अनजाने अपने ही देश के खिलाफ इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है. 

डिप्लोमेटिक नहीं ट्रांजैक्शनल ट्रंप 

ट्रंप के समय में डिप्लोमेटिक अमेरिका अब ट्रांजैक्शनल हो गया है. उसे अपने सामरिक हितों से ज्यादा इस बात की चिंता है कि भारत भेजे जाने वाले हार्ले डेविडसन बाइक पर वहां की सरकार आयात शुल्क को कम करें वरना हम उसे सबक सिखायेंगे, भले ही भेजे जाने वाले उत्पाद की संख्या कुछ सैंकड़ों में हो. ट्रंप को इस बात की चिंता नहीं है कि दक्षिण चीन सागर में बढ़ते चीनी दबदबे को काउंटर करने के लिए भारत को अपने साथ रखना जरूरी है लेकिन उन्हें ट्रेड डेफिसिट को पाटना है ताकि अमेरिका को फिर से महान बनाया जा सके. 

भारत को भी नहीं बख्शेंगे 

अमेरिका ने हाल ही में भारत को जीएसपी के तहत दी जाने वाली सुविधा को खत्म कर दिया जिसके तहत 5.6 बिलियन डॉलर के भारतीय उत्पादों को अमेरिका में किसी भी टैक्स का सामना नहीं करना पड़ता था. जवाब में भारत ने भी 29 अमेरिकी वस्तुओं पर आयात शुल्क बढ़ा दिया है जिसमें बादाम, अखरोट और सेब शामिल है. 2018 में भारत और अमेरिका के बीच कुल व्यापार घाटा 21 बिलियन डॉलर का रहा जो चीनी घाटे की तुलना में कहीं नहीं टिकता. लेकिन ट्रंप ने भारत को भी चीनी बास्केट में डाल दिया है जिससे वो गिन-गिन कर बदला लेना चाहते हैं. 

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'वन बेल्ट वन रोड' और चीनी महत्वाकांक्षा 

'वन बेल्ट वन रोड' प्रोजेक्ट के जरिये चीन अमेरिकी बादशाहत को चुनौती देने की तैयारी शुरू कर चुका है. 1 ट्रिलियन डॉलर के निवेश का लक्ष्य, एशिया और अफ्रीका को यूरोप से जोड़ कर चीन अपने उत्पादों के लिए एक महाद्वीपीय स्तर का बाजार तैयार करने की दिशा में आगे बढ़ चुका है. पाकिस्तान में चाइना-पकिस्तान इकॉनोमिक कॉरिडोर, श्रीलंका का हमबनटोटा पोर्ट, नेपाल में ट्रांस हिमालयन रेलवे का निर्माण, लाओस और थाईलैंड में रेलवे और हाईवे का निर्माण, अफ्रीका में बड़े पैमाने पर निवेश, मौजूदा वक्त में चीन के वैश्विक ताकत के रूप में उभरने का एहसास कराने के लिए पर्याप्त है. रूस और यूरोप के साथ रिश्तों की नई इमारत खड़े कर रहे चीन की अब वैश्विक स्वीकृति बढ़ रही है. 

22 ट्रिलियन डॉलर बनाम 13 ट्रिलियन डॉलर 

दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के बीच ट्रेड वॉर जारी है. 22 ट्रिलियन डॉलर की अमेरिकी अर्थव्यवस्था और 13 ट्रिलियन डॉलर की चीनी इकॉनमी आज एक दूसरे से टकराने के लिए बेताब हैं. इस लड़ाई में ट्रंप का पक्ष इसलिए भी भारी दिख रहा है क्योंकि अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड डेफिसिट 2018 में 419 बिलियन डॉलर रहा. ट्रंप चीन के साथ व्यापार घाटे को कम करना चाहते हैं. अमेरिका ने अभी तक 250 बिलियन डॉलर के चीनी उत्पाद पर आयात शुल्क को 10 से बढ़ा कर 25 प्रतिशत कर दिया है बदले में चीन ने भी 110 बिलियन डॉलर के मूल्य की वस्तुओं पर आयात शुल्क बढ़ाया है. इसके अलावा ट्रंप चीन पर इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी चुराने का आरोप भी लगाते रहे हैं और इसी सिलसिले में बीते दिनों चीनी टेक जायंट हुवावे को बैन कर दिया गया. 

हाल ही में अमेरिका की 600 बड़ी कंपनियों ने डोनाल्ड ट्रंप को चिट्ठी लिखी है कि ट्रेड वॉर के कारण अमेरिका में 20 लाख लोगों की नौकरी छिन सकती है. यूएस चैम्बर ऑफ़ कॉमर्स ने कहा है कि अमेरिका को आने वाले एक दशक में ट्रेड वॉर के कारण 1 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान हो सकता है. अमेरिका के नामी-गिरामी सीईओ ने ट्रंप को इसके खतरे से आगाह करवाया है. वर्ल्ड बैंक पहले ही ग्लोबल मंदी के खतरे से आगाह करवा चुका है. 

छिन जाएगी पदवी 

द्वितीय विश्व युद्ध में जापान पर परमाणु बम गिराने के साथ ही पूरी दुनिया में अमेरिकी बादशाहत पर मुहर लग गई थी जो पिछले आठ दशक से अनवरत जारी है. डोनाल्ड ट्रंप को ये समझना होगा कि अमेरिका उस दौर में महाशक्ति के रूप में अपने परमाणु बम के कारण नहीं उभरा बल्कि अपने सहयोगियों की हर संभव मदद, रूस और चीन के वामपंथी मॉडल से ज्यादा प्रभावी और फलदायी इकॉनोमिक मॉडल के जरिये उसने खुद की अर्थव्यवस्था और दुनिया की अर्थव्यवस्था को एक नया मुकाम दिया. 

बिज़नेसमैन ट्रंप फायदे-नुकसान का ज्यादा आकलन कर रहे हैं, लेकिन इस तरह अंकल सैम को ज्यादा समय तक वर्ल्ड लीडर बना कर नहीं रखा जा सकता है. 
 

Web Title: Is Donald tramp america first policy will responsible for china dominance in the world

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