पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान जिंंदा हैं या नहीं!

By विजय दर्डा | Updated: December 1, 2025 05:40 IST2025-12-01T05:40:01+5:302025-12-01T05:40:01+5:30

पाकिस्तान की सत्ता पर कब्जा कर चुके असीम मुनीर जानते हैं  कि इमरान खान यदि एक बार बाहर आ गए तो उन्हें संभालना आसान  नहीं होगा!

former Pakistan Prime Minister Imran Khan alive or not blog Dr Vijay Darda | पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान जिंंदा हैं या नहीं!

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Highlightsपाकिस्तान में राजनेताओं को मौत के घाट उतार देना कोई नई बात नहीं है, मुनीर तानाशाह बन गए हैं.सबसे बड़ा सवाल है कि पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान जिंंदा हैं या वाकई मौत के शिकार हो चुके हैं?असीम मुनीर इमरान खान को जिंदा नहीं छोड़ेंगे क्योंकि केवल इमरान के पास ही ये ताकत है कि मुनीर को धूल चटा दें!

इस वक्त का सबसे बड़ा सवाल है कि पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान जिंंदा हैं या वाकई मौत के शिकार हो चुके हैं? चर्चा इतनी तेज है कि मौत के खंडन पर लोग भरोसा नहीं कर पा रहे हैं. सवाल यह भी पूछा जा रहा है कि यदि वे जिंदा हैं तो उन्हें परिवार या पार्टी के लोगों से क्यों नहीं मिलने दिया जा रहा है? मौत की खबर में जो भी सच्चाई हो, लेकिन हर कोई यह मानकर चल रहा है कि असीम मुनीर किसी भी हालत में इमरान खान को जिंदा नहीं छोड़ेंगे क्योंकि केवल इमरान के पास ही ये ताकत है कि मुनीर को धूल चटा दें! इमरान खान पिछले ढाई साल से रावलपिंडी की अडियाला जेल में बंद हैं.

उन्हें भ्रष्टाचार के मामलों में सजा सुनाई गई थी. फिलहाल उन्हें उनके परिवार से भी नहीं मिलने दिया जा रहा है जबकि मुलाकात के लिए कोर्ट ने आदेश भी दे रखा है. इमरान को किसी से नहीं मिलने देने के कारण स्वाभाविक रूप से शंकाएं जन्म लेती रहती हैं. अभी 26 नवंबर को अफगानिस्तान टाइम्स नाम के एक्स हैंडल से यह दावा किया गया कि इमरान खान को अडियाला जेल में रहस्यमय तरीके से मार दिया गया है. अगले ही दिन इमरान खान के बेटे कासिम खान ने ‘एक्स’ पर लिखा कि इमरान खान की बहनों को उनसे क्यों नहीं मिलने दिया गया?

मेरा और मेरे भाई का अपने पिता से कोई संपर्क नहीं हो पाया है. उनके जिंदा होने का कोई सबूत हमें नहीं मिला है. यह ब्लैकआउट सुरक्षा प्रोटोकॉल नहीं है. कासिम ने शंका व्यक्त की कि कुछ तो छिपाया जा रहा है. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से इस मामले में दखल देने की गुजारिश भी की. अडियाला जेल की तरफ से कहा जा रहा है कि इमरान स्वस्थ और सुरक्षित हैं.

मगर सवाल यह पैदा होता है कि यदि वे सुरक्षित हैं, तो उनसे मिलने के लिए पहुंची उनकी तीन बहनों नुरीन खान, अलीमा खान और उजमा खान को पुलिस ने क्यों पीटा? उन्हें इमरान खान से क्यों नहीं मिलने दिया? परिवार को तो नहीं ही मिलने दिया जा रहा है, इमरान की लीगल टीम को भी उनसे मिलने से रोक दिया गया है. यही कारण है कि मौत की आशंका लगातार पुख्ता होती जा रही है.

यहां तक कि खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री सोहेल अफरीदी को भी पुलिस ने इमरान से नहीं मिलने दिया. सवाल पैदा होता है कि इमरान को लेकर इतनी सख्ती क्यों बरती जा रही है और किसके इशारे पर बरती जा रही है? जाहिर सी बात है कि यह सब पाकिस्तान के सबसे ताकतवर  व्यक्ति असीम मुनीर के इशारे पर ही हो रहा है.

असीम और इमरान की पुरानी अदावत है और असीम इस बात को अच्छी तरह से जानते हैं कि उनकी सत्ता को चुनौती देने की ताकत यदि किसी व्यक्ति में है तो वह हैं इमरान खान. वे भले ही ढाई साल से जेल में बंद हैं लेकिन उनकी लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आई है. पाकिस्तानी जनता यही मानती है कि पाकिस्तान का भला यदि कोई नेता कर सकता है, तो वह हैं इमरान खान!

इमरान ने अमेरिका की सत्ता को जिस तरह से चुनौती दी थी, उससे उनकी शख्सियत बड़ी हुई लेकिन दुर्भाग्य से उन्हें ऐसे चंगुल में दबोच लिया गया कि वे अमेरिका को आंखें न दिखा पाएं. इमरान को चंगुल में दबोचने के लिए अमेरिका ने सेना अध्यक्ष असीम मुनीर का उपयोग तभी शुरू कर दिया था, जब वे आईएसआई के चीफ हुआ करते थे.

इमरान को जैसे ही इस बात का एहसास हुआ था, उन्होंने मुनीर को आईएसआई के चीफ पद से केवल आठ महीनों में चलता कर दिया था जबकि कार्यकाल तीन साल का था. 2022 में जब इमरान खान को सत्ता से बेदखल किया गया तो मुनीर को मौका मिल गया. कोर्ट के माध्यम से विभिन्न आरोपों में इमरान को जकड़ कर जेल पहुंचा दिया गया. एक मामले में पहले दो साल की सजा हुई.

फिर दूसरे मामले में उन्हें चौदह साल की सजा सुना दी गई. यानी ऐसी पुख्ता व्यवस्था की गई कि अब इमरान खान जेल से बाहर आ ही न पाएं. इस बीच असीम ने खुद को इतना ताकतवर बना लिया है कि वह एक तरह से नया तानाशाह बन चुका है. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत से पिटने के बावजूद उसे फील्ड मार्शल बनाया गया.

अब उसने संविधान संशोधन करवा कर पांच साल के लिए खुद को पाकिस्तान का पहला चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज बना लिया यानी नेवी और एयर फोर्स भी उसके अधीन आ गए. परमाणु हथियारों का बटन भी सीधे मुनीर के पास आ गया है. मुनीर ने एक और चाल चली है. सर्वोच्च न्यायालय के अधिकार को कम करके केवल सिविल और आपराधिक मामलों तक समेट दिया है.

संवैधानिक मामलों के लिए संघीय संवैधानिक अदालत का गठन कर दिया गया है जिसमें नियुक्ति भी मुनीर की मर्जी से होगी. इसके विरोध में दो न्यायाधीशों ने इस्तीफा भी दे दिया है लेकिन इससे मुनीर को क्या फर्क पड़ता है? न्यायिक व्यवस्था भी अब ऐसी हो गई है कि मुनीर जो चाहेगा, करेगा.

यह बात तो करीब-करीब तय हैै कि इमरान खान को जेल से जिंदा तो बाहर नहीं ही आने देगा मुनीर! राजनेताओं को मौत के घाट उतार देना पाकिस्तानी फौज और आईएसआई की फितरत रही है.  मुनीर भी उसी राह पर है. इमरान खान के लिए हम बस दुआ कर सकते हैं.

चलते चलते...!

अमेरिकी संसद की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पहलगाम का आतंकी हमला, आतंकी नहीं विद्रोही हमला था! इस तरह की रिपोर्ट से हमारा खून खौलना चाहिए और अमेरिका की आंख में आंख डाल कर हमें कहना चाहिए कि बंद करो ये बकवास! तुम्हारे इसी अच्छे और बुरे आतंकवाद ने दुनिया का सत्यानाश किया है. हमें अब और बर्दाश्त नहीं! 

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