ब्लॉग: इजराइल में लोकतंत्र पर मंडरा रहे काले बादल

By शोभना जैन | Published: July 28, 2023 05:53 PM2023-07-28T17:53:35+5:302023-07-28T17:53:54+5:30

न केवल इजराइल वासियों की बल्कि दुनिया भर की नजरें इजराइल के घटनाक्रम पर लगी हैं. सवाल सिर्फ वहां सुप्रीम कोर्ट के अधिकारों पर अंकुश लगाने से ही नहीं जुड़ा है, इसके अर्थ व्यापक हैं.

Dark clouds hanging over democracy in Israel | ब्लॉग: इजराइल में लोकतंत्र पर मंडरा रहे काले बादल

फोटो क्रेडिट- फाइल फोटो

भारी जनाक्रोश और विपक्ष के कड़े विरोध के बावजूद इजराइल की नेतन्याहू सरकार ने इस सप्ताह आखिरकार न्यायिक सुधार से जुड़े एक विवादित विधेयक को पास कर दिया. यह कानून बनने से अब सुप्रीम कोर्ट के पास मौजूदा सरकार के फैसलों को पलटने की शक्ति खत्म हो जाएगी.

सरकार का तर्क है कि शक्तियों के असंतुलन को सुधारने के लिए नया कानून लाना जरूरी था. संसद ने इस कानून के जरिये देश में सुप्रीम कोर्ट की सरकारी फैसलों को रद्द करने की शक्ति को ‘अतार्किक’ बताते हुए खत्म कर दिया है.

सरकार का मानना है कि पिछले कुछ दशकों से सरकारी फैसलों को लेकर अदालतों की दखलंदाजी बढ़ गई है, इसी के मद्देनजर विधेयक का उद्देश्य किसी कानून की न्यायिक समीक्षा के दौरान न्यायालय की ‘तर्कसंगतता की व्याख्या’ पर अंकुश लगाना था.

बहरहाल, विपक्षियों के बहिष्कार और भारी जनाक्रोश के बीच सोमवार को 120 सदस्यों वाली नेसेट-संसद में विधेयक 64-0 वोटों से पारित कर दिया गया.

विवादास्पद विधेयक के पारित होने को न केवल इजराइल की लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए आघात माना जा रहा है बल्कि इससे इजराइल के भावी स्वरूप को लेकर सवाल उठ खड़े हो गए हैं.

क्या इससे इजराइल एक देश के रूप में कमजोर हो जाएगा, सत्ता और भी निरंकुश हो जाएगी और देश के इतिहास में सबसे धुर दक्षिणपंथी मानी जाने वाली सरकार पर अंकुश लगाने वाली न्यायपालिका कमजोर हो जाएगी? गौरतलब है कि इजराइल की न्यायपालिका बहुत ही स्वतंत्र मानी जाती है.

इस तरह के कदमों का न केवल देश के भावी स्वरूप बल्कि इजराइली-फिलिस्तीनी संघर्ष पर भी प्रभाव पड़ सकता है. हालांकि प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने इस बात पर जोर दिया कि कानून आने के बाद भी अदालतें स्वतंत्र रहेंगी, लेकिन न्यायपालिका पर अंकुश लगाने से यह कैसे संभव होगा, इसका जवाब सत्ता पक्ष के पास नहीं है.

इजराइल में न्याय व्यवस्था के काम करने के तरीकों में व्यापक बदलाव की सरकारी योजना के खिलाफ सड़कों पर हजारों लोग उतरे हुए हैं. इस साल की शुरुआत से ही सरकार की न्यायिक सुधार योजना के खिलाफ इजराइल की जनता विरोध प्रदर्शन कर रही है.

धीरे-धीरे ये प्रदर्शन बढ़ते रहे और अब देशभर के बड़े शहरों और कस्बों की सड़कों पर हजारों लोगों का हुजूम है. इजराइल इन दिनों अपने इतिहास के सबसे गंभीर घरेलू संकट से घिरा हुआ है.

लेकिन सड़कों पर उतरे गुस्साए लोगों के साथ ही विपक्ष के भारी विरोध और विधेयक पारित होने के दौरान संसद का बहिष्कार करने के बावजूद सरकार ने सोमवार को न्यायिक सुधारों में व्यापक बदलाव की योजना के सबसे पहले और अहम विधेयक को कानून के तौर पर पारित कर दिया.

नेतन्याहू सरकार का तर्क है कि इस बदलाव से गैरनिर्वाचित न्यायाधीशों की तुलना में निर्वाचित सांसदों को अधिक अधिकार मिलेंगे, जिससे लोकतांत्रिक व्यवस्था मजबूत ही होगी.

जबकि विपक्ष का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के कमजोर होने से दक्षिणपंथी सरकार को अनुदारवादी नीतियों को थोपने का मौका मिलेगा और न्यायपालिका के हस्तक्षेप की भी गुंजाइश पहले ही खत्म हो चुकी होगी. नेतन्याहू के विरोधियों का कहना है कि नए सुधारों से न्यायिक व्यवस्था कमजोर पड़ेगी, जिससे देश का लोकतंत्र खोखला पड़ जाएगा.

इनका कहना है कि न्यायिक व्यापक ऐसा जरिया है, जिससे सरकारी शक्तियों के इस्तेमाल पर नजर रखी जा सकती है. आलोचकों का कहना है कि ये सुधार नेतन्याहू को बचाने के लिए किए जा रहे हैं, जिन पर फिलहाल कथित भ्रष्टाचार के आरोपों का मुकदमा चल रहा है.

ये संकट देखने में सरकार की शक्तियों बनाम अदालतों की जांच करने और सरकार के खिलाफ जाने की शक्ति से जुड़ा लगता है. सरकार और उसके कुछ समर्थक कहते हैं कि ये बदलाव काफी समय से लंबित थे, लेकिन सरकार इस नए कानून के जरिये काफी कुछ बदलने जा रही है.

मसलन, जजों की नियुक्ति वाली कमेटी में सरकारी प्रतिनिधियों की संख्या बढ़ाकर, सुप्रीम कोर्ट सहित अन्य अदालतों में न्यायाधीशों को चुनने में अहम भूमिका निभाना. मंत्रियों के लिए अटॉर्नी जनरल के निर्देशों पर चलने वाले अपने कानूनी सलाहकारों के सुझावों को मानने की बाध्यता खत्म करना. फिलहाल कानूनन मंत्रियों को सुझाव मानने पड़ते हैं.

न केवल इजराइल वासियों की बल्कि दुनिया भर की नजरें इजराइल के घटनाक्रम पर लगी हैं. सवाल सिर्फ वहां सुप्रीम कोर्ट के अधिकारों पर अंकुश लगाने से ही नहीं जुड़ा है, इसके अर्थ व्यापक हैं. न्यायपालिका में व्यापक बदलावों का इजराइल के भावी स्वरूप पर क्या असर पड़ेगा और दुनिया में इसका क्या प्रभाव पड़ सकता है, फिलहाल तो ये तमाम सवाल अबूझ ही हैं.

Web Title: Dark clouds hanging over democracy in Israel

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