ब्लॉगः चीन में एक बच्चे की नीति, युवाओं की घटती संख्या से चिंतित, बदलाव और सतर्क

By अवधेश कुमार | Published: June 11, 2021 05:51 PM2021-06-11T17:51:08+5:302021-06-11T17:52:56+5:30

सातवीं राष्ट्रीय जनगणना के अनुसार चीन की जनसंख्या 1.41178 अरब हो गई है जो 2010 की तुलना में 5.8 प्रतिशत यानी 7.2 करोड़ ज्यादा है.

China One child policy Worrying declining number of youth change alert awadesh kumar Blog | ब्लॉगः चीन में एक बच्चे की नीति, युवाओं की घटती संख्या से चिंतित, बदलाव और सतर्क

बुजुर्गों की बढ़ेगी तथा एक समय जनसंख्या स्थिर होकर फिर नीचे गिरने लगेगी.

Highlightsहांगकांग और मकाऊ की जनसंख्या शामिल नहीं है.चीन की आबादी में 2019 की लगभग 1.4 अरब की तुलना में 0.53 प्रतिशत वृद्धि हुई है.1950 के दशक के बाद से यह जनसंख्या वृद्धि की सबसे धीमी दर है.

चीन द्वारा अपने दंपतियों को तीन बच्चे पैदा करने की अनुमति जिस ढंग से विश्व भर के मीडिया की सुर्खियां बनी वह स्वाभाविक ही है.

 

भारत में जहां पिछले काफी समय से जनसंख्या नियंत्नण कानून बनाने की मांग जोर पकड़ चुकी है, उसमें इस खबर ने आम लोगों को चौंकाया होगा. इस कानून की मांग करने वाले ज्यादातर लोगों का तर्क था कि चीन की एक बच्चे की नीति की तर्ज पर हमारे यहां भी कानून बने.

इन लोगों को वर्तमान नीति जारी करते समय चीन द्वारा दिए गए अपने जनगणना के आंकड़ों के साथ नीति बदलने के लिए बताए गए कारणों पर अवश्य गौर करना चाहिए. सातवीं राष्ट्रीय जनगणना के अनुसार चीन की जनसंख्या 1.41178 अरब हो गई है जो 2010 की तुलना में 5.8 प्रतिशत यानी 7.2 करोड़ ज्यादा है. इनमें हांगकांग और मकाऊ की जनसंख्या शामिल नहीं है.

इसके अनुसार चीन की आबादी में 2019 की लगभग 1.4 अरब की तुलना में 0.53 प्रतिशत वृद्धि हुई है. सामान्य तौर पर देखने से 1.41 अरब की संख्या काफी बड़ी है और चीन का सबसे ज्यादा आबादी वाले देश का दर्जा कायम है, लेकिन 1950 के दशक के बाद से यह जनसंख्या वृद्धि की सबसे धीमी दर है. वहां 2020 में महिलाओं ने औसतन 1.3 बच्चों को जन्म दिया है.

यही दर कायम रही तो जनसंख्या में युवाओं की संख्या कम होगी, बुजुर्गों की बढ़ेगी तथा एक समय जनसंख्या स्थिर होकर फिर नीचे गिरने लगेगी. चीन में 60 वर्ष से ज्यादा उम्र वालों की संख्या बढ़कर 26.4 करोड़ हो गई है जो पिछले वर्ष से 18.7 प्रतिशत ज्यादा है. इस समय चीन में कामकाजी आबादी या 16 से 59 वर्ष आयुवर्ग के लोग 88 करोड़ यानी करीब 63.3 प्रतिशत हैं.

यह संख्या एक दशक पहले 70.1 प्रतिशत थी. यही नहीं, 65 वर्ष या उससे ऊपर के उम्र वालों की संख्या 8.9 प्रतिशत से बढ़कर 13.5 प्रतिशत हो गई है. आबादी का यह अनुपात चीन ही नहीं किसी भी देश के लिए चिंता का विषय होगा. संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार 2050 तक चीन की लगभग 44 करोड़ आबादी 60 की उम्र में होगी.

संयुक्त राष्ट्र द्वारा जून 2019 में जारी एक रिपोर्ट कहती है कि चीन में आबादी में कमी आएगी और भारत 2027 तक दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाला देश हो जाएगा. चीन पहले से इसे लेकर सतर्कहो गया था और उसने 2013 में ढील दी और 2015 में एक बच्चे की नीति ही खत्म कर दी. लेकिन 2013 में इसके लिए शर्त तय कर दी गई थी. दंपति में से कोई एक अपने मां-बाप की एकमात्न संतान हो, तभी वे दूसरे बच्चे को जन्म दे सकते हैं. दूसरे बच्चे की अनुमति के लिए आवेदन करना पड़ रहा था. इसे भी खत्म किया गया लेकिन जनसंख्या बढ़ाने में अपेक्षित सफलता नहीं मिली.

जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए चीन ने 1979 में एक बच्चे की नीति लागू की थी. इसके तहत ज्यादातर शहरी पति-पत्नी को एक बच्चा और ज्यादातर ग्रामीणों को दो बच्चे जन्म देने का अधिकार दिया गया. पहली संतान लड़की होने पर दूसरे बच्चे को जन्म देने की स्वीकृति दी गई थी. चीन का कहना है कि एक बच्चे की नीति लागू होने के बाद से वह करीब 40 करोड़ बच्चों के जन्म को रोक पाया.

तो एक समय जनसंख्या नियंत्नण उसके लिए लाभकारी था, पर अब यह बड़ी समस्या बन गई है. आज बढ़ती बुजुर्गों की आबादी से अनेक देश मुक्ति चाहते हैं और इसके लिए कई तरह की नीतियां अपना रहे हैं. पूरे यूरोप में जन्मदर में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है. कई देशों में प्रति महिला जन्म दर उस सामान्य 2.1 प्रतिशत से काफी नीचे आ गई है जो मौजूदा जनसंख्या को ही बनाए रखने के लिए जरूरी है.

उदाहरण के लिए डेनमार्क में जन्म दर 1.7 पर पहुंच गई है और वहां इसे बढ़ाने के लिए कुछ सालों से विभिन्न अभियान चल रहे हैं. इटली की सरकार तीसरा बच्चा पैदा करने वाले दंपति को कृषि योग्य जमीन देने की घोषणा कर चुकी है. 2017 के आंकड़ों के अनुसार जापान की जनसंख्या 12.68 करोड़ थी. अनुमान है कि घटती जन्मदर के कारण 2050 तक देश की जनसंख्या 10 करोड़ से नीचे आ जाएगी.

वहां ज्यादा बच्चे पैदा करने के लिए कई तरह के प्रोत्साहन दिए गए हैं. भारत की ओर आएं तो 2011 की जनगणना के अनुसार 25 वर्ष तक की आयु वाले युवा कुल जनसंख्या के 50 प्रतिशत और 35 वर्ष तक वाले 65 प्रतिशत थे. इन आंकड़ों से साबित होता है कि भारत एक युवा देश है.

भारत को भविष्य की महाशक्ति मानने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं का तर्क यही रहा है कि इसकी युवा आबादी 2035 तक चीन से ज्यादा रहेगी और यह विकास में उसे पीछे छोड़ देगा. लेकिन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्नालय द्वारा 2018 में जारी रिपोर्ट के अनुसार भारत में साल 2050 तक बुजुर्गो की संख्या आज की तुलना में तीन गुना अधिक हो जाएगी.

उस जनगणना के अनुसार करीब दस करोड़ लोग 60 वर्ष से ज्यादा उम्र के थे. हर वर्ष इसमें करीब 3 प्रतिशत की वृद्धि हो रही है. इसके अनुसार ऐसे लोगों की संख्या वर्तमान 8.9 प्रतिशत से बढ़कर 2050 में 19.4 प्रतिशत यानी करीब 30 करोड़ हो जाएगी.

उस समय तक 80 साल से अधिक उम्र के व्यक्तियों की संख्या भी 0.9 प्रतिशत से बढ़कर 2.8 प्रतिशत हो जाएगी. जाहिर है, जो प्रश्न इस समय चीन और दुनिया के अनेक देशों के सामने है वो भारत के सामने भी आने वाला है. उस दिशा में अभी से सचेत और सक्रिय होने की आवश्यकता है.

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