Canada-India: इतनी देर बाद क्यों कनाडा को सच मानना पड़ा?

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: November 11, 2024 03:01 PM2024-11-11T15:01:26+5:302024-11-11T15:02:24+5:30

Canada-India: कनाडा के प्रधानमंत्री कहते हैं कि वहां रहने वाले खालिस्तान समर्थक सिख समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं.

Canada-India pm justin trudeau Why did Canada accept truth after so long? | Canada-India: इतनी देर बाद क्यों कनाडा को सच मानना पड़ा?

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Highlightsभारत ने उससे आरोपों के समर्थन में सबूत मांगे तो वह अभी तक उन्हें जुटा नहीं पाया है.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कई हिंदू समर्थक हैं, लेकिन वे भी वहां पूरे हिंदू समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं.उद्देश्य हिंसा भड़काना और पृथकतावादी सोच को बढ़ावा देना नहीं है.

Canada-India: कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को अब यह खुलकर मानना पड़ रहा है कि उनके देश में खालिस्तान समर्थक हैं. लंबे समय से भारत का भी यही दावा रहा है और कनाडा पर आरोप लगाया है कि वह अलगाववादियों को पनाह दे रहा है. पिछले साल कनाडा के सरे में एक गुरुद्वारे के बाहर कनाडाई आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की अज्ञात व्यक्तियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. इसके बाद कनाडा ने हत्या में भारत के शामिल होने का आरोप लगाया, लेकिन जब भारत ने उससे आरोपों के समर्थन में सबूत मांगे तो वह अभी तक उन्हें जुटा नहीं पाया है.

इन तथ्यों के बाद साफ है कि कनाडा भारत की संप्रभुता पर हमला करने वालों के प्रति गंभीर नहीं है और वह अप्रत्यक्ष रूप से उनका समर्थन करता है. कनाडा के प्रधानमंत्री कहते हैं कि वहां रहने वाले खालिस्तान समर्थक सिख समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं. फिर वह उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं करते, इस बात का वह कोई जवाब नहीं देते हैं.

वह बरगलाने के लिए कहते हैं कि कनाडा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कई हिंदू समर्थक हैं, लेकिन वे भी वहां पूरे हिंदू समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं. वह यह नहीं बताते कि हिंदू समर्थकों पर कोई आरोप नहीं है, वे किसी देश में अलगाववादियों को उकसाने का प्रयास नहीं करते हैं. उनका उद्देश्य हिंसा भड़काना और पृथकतावादी सोच को बढ़ावा देना नहीं है.

दरअसल ट्रूडो अपने राजनीतिक अस्तित्व के बचाव में किसी दूसरे देश के आंतरिक मामलों को उछाल कर अपनी ताकत बढ़ाने में जुटे हैं. बीते तीन नवंबर को कनाडा के ब्रैम्पटन स्थित हिंदू सभा मंदिर पर चरमपंथियों ने हमला किया. इस दौरान कट्टरपंथियों ने महिलाओं और बच्चों तक पर हमला किया. प्रधानमंत्री मोदी ने भी हमले की निंदा की.

किंतु छह नवंबर को जस्टिन ट्रूडो ने हाउस ऑफ कॉमन्स में हिंसा की निंदा तो की, मगर यह भी कहा कि इसके लिए हिंदू और सिख समुदाय को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए, हिंसा करने वाले लोग हिंदू और सिख समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं. इससे साफ है कि वह अपने देश में चल रही भारत विरोधी गतिविधियों को लेकर आंख में पट्टी बांध कर बैठे हैं, जो एक दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है.

कनाडा को समझना चाहिए कि चरमपंथियों, अलगाववादियों और आतंकवादियों को पनाह और संरक्षण देने के परिणाम अच्छे नहीं होते हैं. वे किसी दूसरे देश को तो नुकसान पहुंचाते ही हैं, साथ ही साथ जिस जमीन को इस्तेमाल करते हैं, उसे भी खराब करते चले जाते हैं. इसका अनुभव अनेक देशों ने लिया है.

फिलहाल दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए जरूरी है कि अतीत से कुछ सबक लिया जाए और अपनी राजनीति को चमकाने के लिए खुद के देश को सामाजिक रूप से अवांछित तत्वों की पनाहगाह नहीं बनने दिया जाए. उम्मीद की जानी चाहिए कि ट्रूडो समय और परिस्थितियों के साथ अपनी समझ में सुधार लाने में सक्षम हो जाएंगे. 

Web Title: Canada-India pm justin trudeau Why did Canada accept truth after so long?

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