विनोद बंडावाला का ब्लॉग: पाकिस्तान में दिख रहा आर्थिक संकट का असर

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: April 30, 2019 03:21 PM2019-04-30T15:21:26+5:302019-04-30T15:21:26+5:30

जिस रफ्तार से पाकिस्तान में महंगाई बढ़ रही है, उससे इमरान को अवाम को जवाब देते नहीं बन रहा है.  ऐसे में मंत्रिमंडल में फेरबदल कर वह हालात को संभालने में लगे हैं.

Blog of Vinod Bandwala: The impact of economic crisis seen in Pakistan | विनोद बंडावाला का ब्लॉग: पाकिस्तान में दिख रहा आर्थिक संकट का असर

विनोद बंडावाला का ब्लॉग: पाकिस्तान में दिख रहा आर्थिक संकट का असर

नौ माह की हुकूमत के बाद तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के प्रमुख और पाकिस्तान के वजीर-ए-आजम इमरान खान को एक बात तो समझ में आ ही गई होगी कि विपक्ष में रह कर मुल्क में तब्दीली लाने का और ‘नया पाकिस्तान’ बनाने का दावा करना एक बात है और सत्ता की बागडोर संभालने के बाद मुल्क के असली हालात को देखकर फैसले करना दूसरी बात है. तब्दीली लाने का दावा करने वाले इमरान ने देश में भले ही कोई बदलाव नहीं लाया हो, लेकिन अपने मंत्रिमंडल में जरूर तब्दीली कर दी है. हाल ही में वित्त मंत्री असद उमर के इस्तीफे से साफ हो गया कि आर्थिक संकट को लेकर इमरान खान किस कदर दबाव में हैं. दिलचस्प बात यह है कि मुल्क का आम बजट अभी आने को ही था और हाल ही में असद उमर ने ‘बेल आउट पैकेज’ के लिए आईएमएफ (अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष) के अधिकारियों से मुलाकात की थी. लेकिन राहत पैकेज को अंतिम मंजूरी मिलने से पहले ही असद उमर की छुट्टी हो गई. 

दरअसल जिस रफ्तार से पाकिस्तान में महंगाई बढ़ रही है, उससे इमरान को अवाम को जवाब देते नहीं बन रहा है.  ऐसे में मंत्रिमंडल में फेरबदल कर वह हालात को संभालने में लगे हैं. वित्त मंत्री असद उमर के स्थान पर अब वित्तीय सलाहकार के रूप में अब्दुल हफीज शेख को नियुक्त किया गया है. हालांकि नए वित्तीय सलाहकार के लिए भी राह आसान नहीं है.  

पाकिस्तान वजूद में आने के बाद से बारह बार अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष से कर्ज ले चुका है. उस पर फिलहाल 95 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज है. डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपए की कीमत 142 तक पहुंच गई है. विदेशी मुद्रा भंडार महज 8 अरब डॉलर ही बचा है. इन मुश्किल वित्तीय हालात में यदि एफएटीएफ, (फाइनेंशियल टास्क फोर्स) जिसकी रिपोर्ट अभी जून में आनी है, पाकिस्तान को ‘ग्रे लिस्ट’ में ही रखता है अथवा ‘ब्लैक लिस्ट’ में डाल देता है तो उसके लिए हालात बेहद संगीन हो जाएंगे. चुनाव से पहले इमरान ने अवाम से वादा किया था कि वह अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष से भीख नहीं मांगेंगे और न ही किसी अन्य देश से कोई कर्ज लेंगे, लेकिन हुकूमत में आने के महज एक ही महीने में उन्हें सऊदी अरब और चीन के आगे हाथ फैलाने पड़े. दरअसल सत्ता में आने के बाद इमरान जानते थे कि मुल्क के माली हालात कितने बिगड़े हुए हैं, लेकिन इसके बाद भी आईएमएफ से कर्ज मांगने के लिए उन्होंने सात महीने का वक्त लगा दिया और इसी दौरान डॉलर के मुकाबले रुपए के अवमूल्यन से बाजार बुरी तरह हिल गया. इससे नए निवेशक आना तो दूर, जो थे उन्होंने भी निवेश से हाथ खींच लिया. इस मुश्किल वक्त में इमरान खान को अभी भी फौज और आईएसआई की सरपरस्ती हासिल है, लेकिन देखना दिलचस्प है कि पाकिस्तान का  यह ‘डीप स्टेट’ कब तक उनकी हिमायत करता है.

Web Title: Blog of Vinod Bandwala: The impact of economic crisis seen in Pakistan

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