वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉगः कनाडा के क्यूबेक का अजीब कानून

By वेद प्रताप वैदिक | Published: June 19, 2019 06:55 PM2019-06-19T18:55:57+5:302019-06-19T18:55:57+5:30

कनाडा के क्यूबेक प्रांत में एक कमाल का कानून पास हुआ है. इसके मुताबिक वहां का कोई भी सरकारी नागरिक अब अपना धार्मिक चिह्न सार्वजनिक रूप से धारण नहीं कर सकता

Blog of Ved Pratap Vaidik: Strange Laws of Canada's Quebec | वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉगः कनाडा के क्यूबेक का अजीब कानून

वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉगः कनाडा के क्यूबेक का अजीब कानून

कनाडा के क्यूबेक प्रांत में एक कमाल का कानून पास हुआ है. इसके मुताबिक वहां का कोई भी सरकारी नागरिक अब अपना धार्मिक चिह्न सार्वजनिक रूप से धारण नहीं कर सकता. यह कानून सब लोगों पर लागू नहीं होगा. यह सिर्फ सरकारी कर्मचारियों पर लागू होगा. क्यूबेक की प्रांतीय संसद ने इसे 35 के मुकाबले 75 सांसदों की सहमति से पारित किया है. इस कानून की निंदा कनाडा के प्रधानमंत्नी जस्टिन टड्रो ने भी की है. 

इस कानून का विरोध सरकारी कर्मचारियों के अलावा स्कूल-कॉलेजों के अध्यापक, न्यायाधीश, पुलिस अफसर, सांसद आदि सभी कर रहे हैं, क्योंकि यह उनपर भी लागू होगा. प्रवासी भारतीयों के कई संगठन भी इसके विरोध में उतर आए हैं. लेकिन क्यूबेक के प्रधानमंत्नी अड़े हुए हैं. वे कहते हैं कि धर्म-निरपेक्षता का आखिर मतलब क्या है? यदि हमारी सरकार सेक्युलर है तो वह वैसी दिखनी भी चाहिए या नहीं? 

उनकी भावना तो ठीक है लेकिन सिर्फ ऊपरी चिह्न् हटा देने से कोई अपना दिमागी रुझान भी हटा देता है क्या? इस तर्क का क्या जवाब है? कभी-कभी इसका उल्टा भी होता है. जो धार्मिक चिह्नें का प्रदर्शन करते हैं, वे भयंकर रूप से संकीर्ण होते हैं. प्रतीक चिह्न किसी भी धर्म के अनिवार्य सिद्धांत नहीं होते. ये तो बाहरी प्रतीक हैं. लेकिन धर्मो के ही क्यों, विभिन्न भाषाभाषियों, देशों, जातियों, विभिन्न वर्गो के भी अपने प्रतीक होते हैं. 

यदि आप धार्मिक प्रतीक को हटा रहे हैं तो इन सब अन्य प्रतीकों का क्या होगा? यदि क्यूबेक में कोई तमिल बोलेगा और लुंगी पहनेगा या हिंदी बोलेगा और धोती पहनेगा तो उस पर भी सरकार को आपत्ति होगी. लोग अपनी चमड़ी का रंग कैसे बदलेंगे? क्यूबेक के सारे नागरिक अपने नाम क्या फ्रांसीसी या अंग्रेजी में रखेंगे? क्या सारे प्रवासी भारतीयों, चीनियों, पाकिस्तानियों को अपने नाम भी बदलने होंगे? यह भी अलगाव या अलग पहचान का मामला बन जाएगा. 

यह सवाल अनंत आयामी है. इसका समाधान यही है कि सब अपने खाने-पीने, पहनने, दिखने-दिखाने में स्वतंत्न और स्वायत्त रहें लेकिन दूसरों के प्रति सद्भाव रखें और सहिष्णु रहें.

Web Title: Blog of Ved Pratap Vaidik: Strange Laws of Canada's Quebec

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