प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल का ब्लॉग: अमेरिका की हथियार नीति आत्मघाती भी है

By प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल | Published: May 27, 2022 12:27 PM2022-05-27T12:27:03+5:302022-05-27T12:28:15+5:30

बीते 100 वर्ष अमेरिका और यूरोपीय समाज के बंदूक के बल पर हिंसा और धौंसजनित प्रतिष्ठा के हैं इसलिए अपनी पहचान के लिए किशोरों और युवाओं के द्वारा इस तरह की घटनाएं होती रहती हैं.

America's weapons policy is also suicidal | प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल का ब्लॉग: अमेरिका की हथियार नीति आत्मघाती भी है

प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल का ब्लॉग: अमेरिका की हथियार नीति आत्मघाती भी है

Highlights9 दिन पहले अमेरिका के ही बफेलो में एक गोरे बंदूकधारी ने 10 काले लोगों को मार डाला.यह घटना एक सुपर मार्केट में खुलेआम हुई जिसमें केवल काले लोग मारे गए.

अमेरिका के टेक्सास स्थित स्कूल में दिल दहला देने वाली घटना के बाद राष्ट्रपति बाइडेन ने व्हाइट हाउस और अन्य सार्वजनिक जगहों पर अमेरिका के झंडे को चार दिन आधा झुका रखने का आदेश दिया जो अमेरिका में व्याप्त दुख को प्रकट करता है. यह अमेरिका के किसी स्कूल में फायरिंग का अकेला मामला नहीं है. 23 साल पहले 20 अप्रैल 1999 के दिन अमेरिका के इतिहास में स्कूल में गोलीबारी की दर्दनाक घटना हुई थी. उस समय 12 छात्र मारे गए थे. 

इस बार 18 साल के एक हमलावर ने वारदात को अंजाम दिया है जिसमें दूसरी, तीसरी और चौथी कक्षा में पढ़ने वाले 18 बच्चों समेत कुल 21 लोगों की जान चली गई. इससे पहले दिसंबर 2012 में भी टेक्सास के एक स्कूल के अंदर गोलीबारी की ऐसी ही घटना को अंजाम दिया गया था, जब सैंडी हुक स्कूल में फायरिंग की गई थी, जिसमें 26 लोगों की जान चली गई थी. अमेरिका में इस तरह की घटनाओं का एक लंबा इतिहास रहा है किंतु इस तरह की घटनाएं उत्तर आधुनिक सभ्यता का जीवन जी रहे यूरोप के देशों में भी हुई हैं. 2009 में जर्मनी में एक लड़के ने 16 लोगों की गोली मार कर हत्या कर दी थी.

वैसे तो पहली नजर में बड़ी मैगजीन वाली बंदूकों का आसानी से उपलब्ध होना इस तरह की घटनाओं का एक बड़ा कारण बताया जाता है. कुछ विशेषज्ञ इस तरह की अंधाधुंध गोलीबारी के पीछे हिंसक वीडियो गेम को भी जिम्मेदार मानते हैं. लेकिन 2017 में लास वेगास के एक कंसर्ट पर गोलीबारी कर जिस स्टीफन पैडॉक ने 58 लोगों की जान ले ली थी, वह न तो मानसिक रोगी था, न ही किसी विचारधारा से प्रभावित था और न ही वीडियो गेम खेलता था. इसी तरह 2018 में पेनसिल्वेनिया में 11 लोगों की जान लेने वाला रॉबर्ट बोवर्स भी एक सामान्य आदमी था. 

व्यक्ति के स्तर पर जो प्रवृत्ति है, वह राष्ट्र के स्तर पर संयुक्त राज्य अमेरिका का स्वभाव बन गया है. अपनी पहचान और अपनी धौंस को कायम रखने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमेरिका जो कर रहा है, उसका प्रभाव वहां के नागरिकों के जीवन पर विशेषकर किशोरों और युवाओं के जीवन पर न पड़े, यह तो संभव ही नहीं है. राष्ट्रीय मान, अपमान, गौरव और ग्लानि के विषय हमेशा नागरिकों को प्रभावित करते हैं. जिस प्रकार के आचरण से राष्ट्र गौरवान्वित होता है, वैसा ही आचरण व्यक्ति अपने जीवन में भी करना चाहता है. 

बीते 100 वर्ष अमेरिका और यूरोपीय समाज के बंदूक के बल पर हिंसा और धौंसजनित प्रतिष्ठा के हैं इसलिए अपनी पहचान के लिए किशोरों और युवाओं के द्वारा इस तरह की घटनाएं होती रहती हैं. यह सच है कि किसी भी समाज के लिए निर्दोष और मासूम बच्चों की हत्या एक बड़ी त्रासदी और अपरिमित वेदना का विषय है, पर 9 दिन पहले अमेरिका के ही बफेलो में एक गोरे बंदूकधारी ने 10 काले लोगों को मार डाला. यह घटना एक सुपर मार्केट में खुलेआम हुई जिसमें केवल काले लोग मारे गए. इसमें मरने वाले 20 वर्ष से लेकर 86 वर्ष तक के थे, पर अमेरिकी समाज में इसको लेकर कोई राष्ट्रीय प्रतिक्रिया नहीं हुई. 

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प के कालखंड में ‘ब्लैक लाइव्स मैटर’ नारा और आंदोलन तो सबको याद है, पर 14 मई 2022 को जो हुआ उस पर अमेरिकी राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय शोक की कौन कहे, राष्ट्रीय चिंता भी नहीं जाहिर की. यह शायद गोरे और काले के जीवन की कीमत का अंतर है. बच्चों की हत्या निंदनीय है और यह तब जबकि यह हत्या किसी दुर्दांत अपराधी के द्वारा न होकर एक 18 वर्षीय किशोर के द्वारा हुई है, जो शायद अमेरिका में नशे की तरह फैल चुके हिंसक कम्प्यूटर गेम और सुपर मार्केट में सब्जी की तरह मिलने वाले हथियारों की उपलब्धता का परिणाम है परंतु 14 मई की घटना ऐसी नहीं है. 

वह 10 काले लोगों पर किया गया सुनियोजित आक्रमण है. यह अमेरिकी समाज में अंदर तक पैठ जमा गए रंगभेद के कारण हुआ है, इसीलिए 14 मई की घटना अमेरिकियों के लिए राष्ट्रीय चिंता का विषय नहीं बनती है. सब्जी की तरह सुपर मार्केट में बिकने वाले खतरनाक हथियार और सबकी जेब में हिंसा और हत्या में मनोरंजन की तलाश करने वाले मोबाइल गेम, दोनों मिलकर बर्बर सभ्यता की ही निर्माण करेंगे. इस बर्बरता से मुक्ति के लिए अहिंसा की दृष्टि से सोचने वाली जीवन प्रणाली चाहिए और एक बार फिर अमेरिकी समाज को हिंसा और नस्लीय भेदभाव से मुक्त जीवन पद्धति के निर्माण के लिए किसी मार्टिन लूथर किंग की आवश्यकता है.

लेकिन यह केवल मार्टिन लूथर किंग या इस तरह के किसी महान व्यक्तित्व के द्वारा खड़े किए गए जन आंदोलन से नहीं होगा. हिंसा को गौरव का विषय मानने वाली अपनी राष्ट्रीय संस्कृति से भी अमेरिका को बाज आना पड़ेगा. युद्धों को भड़काने और दुनिया के तमाम देशों में नरसंहार की स्थितियां पैदा करने वाली अंतरराष्ट्रीय कूटनीति से भी उसे मुक्ति पानी पड़ेगी. जब तक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अहिंसामूलक विश्व व्यवस्था के निर्माण का पर्यावरण नहीं बनेगा, तब तक अमेरिकी समाज में भी व्यक्ति के स्तर पर अहिंसा, करुणा इत्यादि मानवीय गुणों को व्यवहार्य नहीं बनाया जा सकेगा. 

वस्तुतः यह हिंसा की विकृति का शिकार हो गए कुछ किशोरों और युवाओं का प्रश्न नहीं है. यह केवल हिंसक मोबाइल गेम की परिणति नहीं है. अपितु यह प्रकटीकरण है एक ऐसी सभ्यता के स्वाभाविक दुष्परिणामों का जिसमें जीवन की गुणवत्ता ऐन्द्रिक आस्वाद की सीमा में जाकर समाप्त हो जाती है. अपनी भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए व्यक्ति अपनी समस्त मानवीय क्षमताओं का उपयोग करने को जीवन दृष्टि मान लेता है.

Web Title: America's weapons policy is also suicidal

विश्व से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे