आलोक मेहता का ब्लॉग: विश्व स्वास्थ्य के किले पर भारतीय पताका का महत्व

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: May 28, 2020 07:39 AM2020-05-28T07:39:57+5:302020-05-28T07:39:57+5:30

अब विश्व स्वास्थ्य संगठन के कार्यकारी बोर्ड में भारत यानी देश के स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन को चुने जाने से दुनिया में केवल कोरोना महामारी ही नहीं अन्य संक्रामक रोगों की रोकथाम में भी भारत की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई है.

Alok Mehta's Blog: The Importance of Indian Flag on the Fortress of World Health | आलोक मेहता का ब्लॉग: विश्व स्वास्थ्य के किले पर भारतीय पताका का महत्व

विश्व स्वास्थ्य संगठन (फाइल फोटो)

दुनिया ही नहीं भारत के भी बहुत से लोगों को यह ध्यान नहीं होगा कि जन स्वास्थ्य सुविधा भारत की प्राचीन परंपरा है. विश्व में यह पहला देश है, जहां लगभग दो हजार साल पहले कानून बनाकर सुनिश्चित किया गया था कि केवल मान्यताप्राप्त चिकित्सक ही अपने को चिकित्सक (आज के दौर में  डॉक्टर) कह सकते हैं. यह पहला देश था जहां मुफ्त सार्वजनिक औषधालयों और अस्पतालों की व्यवस्था की गई थी.

ऐसा सम्राट अशोक ने अपने शासनकाल में किया. उन्होंने ही पहले पशु चिकित्सा अस्पताल की स्थापना की थी. इसलिए अब विश्व स्वास्थ्य संगठन के कार्यकारी बोर्ड में भारत यानी देश के स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन को चुने जाने से दुनिया में केवल कोरोना महामारी ही नहीं अन्य संक्रामक रोगों की रोकथाम तथा जन सामान्य के लिए अच्छी स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करने के अभियान में हमारी भूमिका महत्वपूर्ण हो गई है.

कोरोना से विचलित अमेरिका के राष्ट्रपति तो चीन पर गुस्सा उतारने के साथ विश्व स्वास्थ्य संगठन का फंड रोकने की चेतावनी तक दे रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र के महासचिव ने उन्हें सलाह दी है कि कोरोना के विरुद्ध संघर्ष के समय इस तरह का असहयोग - विरोध ठीक नहीं है. इस दृष्टि से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चीन तथा अमेरिका के राष्ट्राध्यक्षों से रहे संबंध, हर्षवर्धन द्वारा हाल में इन देशों के अलावा अन्य देशों एवं स्वास्थ्य संगठनों से रहे संवाद का लाभ मिल सकेगा.

मजेदार बात यह है कि अपने अपराध-बोध के कारण चीन ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के लिए विशेष अनुदान की घोषणा कर दी है. अन्यथा संगठन के 194 सदस्य देशों में चीन का वार्षिक अनुदान अंश मात्र 0.21 प्रतिशत है. भारत का अंश उससे अधिक 0.48 प्रतिशत है. चीन पर निर्भर पाकिस्तान तक अपने आका से अधिक अंशदान देता है. अमेरिका संगठन के करीब 444 मिलियन डॉलर के बजट में केवल 15 प्रतिशत योगदान देता है. फिर भी अमेरिका - चीन दादागीरी दिखाते हैं.

इसमें कोई शक नहीं कि संयुक्त राष्ट्र के साथ विश्व स्वास्थ्य संगठन में सुधार की बहुत जरूरत है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर यह बात उठाते रहे हैं कि इस संगठन के वर्तमान स्वरूप में सुधार के साथ इन्हें अधिक प्रभावशाली एवं संपूर्ण मानव समाज के लिए अधिक  उपयोगी बनाने की आवश्यकता है. कोरोना के विश्व संकट ने अब सबको सोचने का अवसर दे दिया है. तभी तो इस बार रूस, ब्रिटेन, दक्षिण कोरिया सहित दस देशों के कार्यकारी बोर्ड का नेतृत्व भारत को सौंपा गया है.

अब तक इसकी कमान जापान के पास थी. विश्व स्वास्थ्य संगठन की महत्ता इस तथ्य से समझी जा सकती है कि इसके बजट में अमेरिका के बाद सबसे अधिक अनुदान बिल मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन का होता है. इसके बाद ब्रिटेन, जर्मनी, आॅस्ट्रेलिया, नार्वे, चीन, कनाडा, दक्षिण कोरिया, फ्रांस और संयुक्त अरब अमीरात का अंशदान होता है.

असल में प्रावधान यह है कि हर देश अपनी अर्थव्यवस्था तथा आबादी के अनुसार अंशदान देगा. संगठन का मुख्य लक्ष्य इन्फ्लुएंजा, एड्स और कोरोना जैसी संक्रामक बीमारियों  के अलावा कैंसर, हृदय रोग जैसी गंभीर विश्वव्यापी बीमारियों से निजात दिलाने के लिए अंतर्राष्टÑीय स्तर पर काम करना है. इसी तरह पोलियो जैसे संक्रामक रोगों के लिए वैक्सिनेशन के अभियान में उसकी अहम भूमिका है.

इस काम में रोटरी इंटरनेशनल जैसे संगठन भी उसके साथ जुड़े हुए हैं. लेकिन यह मानना होगा कि यह भी राजनीति का शिकार रहा है. ट्रम्प की नाराजगी बहुत हद तक ठीक है, क्योंकि विश्व स्वास्थ्य संगठन के वर्तमान महानिदेशक टेडरोस एडानोम ने सार्वजनिक  रूप से माना है कि उन्हें चीन की कृपा से यह पद मिला है.

वह जुलाई 2017 में इस पद पर नियुक्त हुए थे. फिर कोरोना संकट आने के प्रारंभ में ही उन्होंने चीन द्वारा अच्छे प्रयासों की सराहना कर दी. तभी तो अमेरिका सहित कई देशों ने कोरोना वायरस फैलाने में चीन की संदिग्ध भूमिका की व्यापक जांच की मांग की है.

अब दुनिया के स्वास्थ्य की देखभाल के साथ अपनी स्वास्थ्य सेवाओं में भी व्यापक सुधार पर ध्यान देना होगा. हम विश्व को सुधारने निकले हैं, कई देशों में छह सौ की आबादी पर एक डॉक्टर उपलब्ध है. हमारे यहां दो हजार पर भी एक नहीं मिलता. इसलिए डॉक्टरों, पैरामेडिकल कर्मियों, टेलीमेडिसिन के पचास हजार और मोबाइल टेलीमेडिसिन के बीस हजार केंद्र से समस्याओं पर काबू पाना सुगम हो जाएगा. अपने लोगों के कल्याण से हम दुनिया के कल्याण का रास्ता निकाल सकेंगे.

Web Title: Alok Mehta's Blog: The Importance of Indian Flag on the Fortress of World Health

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