तुर्की के भी ग्रे लिस्ट में आने से पाकिस्तान को दोहरा झटका

By शोभना जैन | Published: October 30, 2021 03:26 PM2021-10-30T15:26:19+5:302021-10-30T15:43:41+5:30

आतंकवादी समूहों के वित्त पोषण पर निगरानी रखने वाली विश्व संस्था ‘फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स’ ने पाकिस्तान को आतंकी गतिविधियों पर नकेल न कसने को लेकर ग्रे लिस्ट में रखा है ।

A double blow to Pakistan due to Turkey also coming in the gray list | तुर्की के भी ग्रे लिस्ट में आने से पाकिस्तान को दोहरा झटका

फोटो सोर्स - सोशल मीडिया

Highlightsपाकिस्तान को आतंकवाद से तरीके से नहीं निपटने को लेकर ग्रे लिस्ट में रखा गया भारत इस 39 सदस्यीय एफएटीएफ का सदस्य हैतुर्की को पहली बार इस ग्रे सूची में शामिल किया गया है

आतंकवादी समूहों के वित्त पोषण पर निगरानी रखने वाली विश्व संस्था ‘फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स’ ने पाकिस्तान कीआतंकी गतिविधियों से कारगर तरीके से नहीं निबटने के लिए उसे एक बार फिर से ग्रे लिस्ट में ही रखने का फैसला किया है. इसके साथ ही इस बार इस संस्था ने पाकिस्तान के खास दोस्त तुर्की को भी ‘आतंकवाद वित्त पोषण’ से सख्ती से नहीं निबटने के लिए पहली बार इस लिस्ट में डाल दिया है. निश्चय ही पाकिस्तान के लिए यह दोहरा झटका है क्योंकि पाकिस्तान एफएटीएफ की ‘ब्लैकलिस्ट’ में जाने से बचने के लिए चीन, मलेशिया और तुर्की जैसे दोस्तों के आसरे ही रहता आया था.

एफएटीएफ द्वारा किसी देश को ग्रे लिस्ट में डालने का मतलब है कि उस देश को चेतावनी दी जा रही है कि वे तत्काल मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी गुटों को मिलने वाली आर्थिक मदद पर अंकुश लगाने के लिए प्रभावी कदम उठाएं. लेकिन इस चेतावनी के बाद भी अगर कोई देश वो कदम नहीं उठाता तो उसे एफएटीएफ द्वारा ‘ब्लैक लिस्ट’ में डाल दिया जाता है. फिलहाल ईरान और उत्तर कोरिया ही दो ऐसे देश हैं, जिन्हें इस ब्लैक लिस्ट में डाला गया है.

अगर पाकिस्तान को एफएटीएफ की ब्लैक लिस्ट में डाल दिया जाता है तो आयात-निर्यात पर कई तरह की पाबंदियों के साथ-साथ उसे दूसरे संगठनों से आर्थिक मदद लेने में दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है. इसके अलावा दूसरे देशों में काम करने वालों द्वारा भेजी गई रकम (रेमिटेंस) पर भी प्रभाव पड़ सकता है. अगर ऐसा होता है तो क्रेडिट रेटिंग एजेंसी जैसे मूडीज और दूसरी संस्थाओं द्वारा इनकी रेटिंग पर असर पड़ सकता है.

बहरहाल, ग्रे लिस्ट में होने के कारण पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष, विश्व बैंक और एशिया विकास बैंक से मदद लेने में मुश्किल होती है. दोनों देशों के लिए यह फैसला एक गंभीर चेतावनी है कि वे आतंक वित्त पोषण रोकने के लिए कारगर कदम उठाएं.

पाकिस्तान इस सूची में 2018 से ही है जबकि तुर्की को पहली बार इस ग्रे सूची में शामिल किया गया है. पाकिस्तान भले ही आतंकरोधी कानूनों की दलील देकर आतंक के खिलाफ कार्रवाई करने की बात करे लेकिन विश्व समुदाय समझता है कि भारत के खिलाफ सीमा पार से आतंकी गतिविधियां चलाने वाले पाकिस्तान में लश्करे-तैयबा और जैशे मोहम्मद जैसे आतंकी संगठन खुल्लमखुल्ला अपनी आतंकी गतिविधियां भारत के खिलाफ चला रहे हैं. यही नहीं अफगानिस्तान में पाकिस्तानी आतंकी गुट खासे सक्रिय हैं.

भारत इस 39 सदस्यीय एफएटीएफ का सदस्य है. निश्चय ही भुक्तभोगी होने के नाते उसके पास पाकिस्तानी आतंक के खिलाफ ठोस सबूत भी हैं, जिसे वह विश्व समुदाय के समक्ष रखता भी रहा है. इन सभी साक्ष्य का असर तो पड़ना स्वाभाविक ही है. वैसे इस संस्था ने इस बाबत किसी देश के दबाव को खारिज करते हुए फैसले सहमति से लिए जाने की बात करते हुए पाकिस्तान से प्रतिबंधित आतंकवादियों और आतंकवादी समूहों के खिलाफ जांच के साथ कारगर कार्रवाई करने पर जोर देते हुए एक्शन प्लान 2019 के तहत पाकिस्तान से आतंकवादियों पर नकेल कसने की बात कही. दोनों देशों पर लगे प्रतिबंध की अब अगले साल अप्रैल में समीक्षा होगी.

जैसा कि स्वाभाविक है कि पाकिस्तान और तुर्की दोनों ने ही एफएटीएफ के इस फैसले पर आपत्ति जताई. तुर्की के राजस्व मंत्नालय ने कहा है कि ग्रे लिस्ट में उसे शामिल किया जाना पूरी तरह से अनुचित फैसला है. उसने कहा कि तमाम सहयोग के बावजूद उसे ग्रे लिस्ट में शामिल किया गया है. तुर्की 1991 से ही इसका सदस्य है. तुर्की के लिए इस सूची से बाहर आने के लिए जरूरी है कि आतंकी गतिविधियों के लिए धन उपलब्ध कराने के मामलों में तेजी से कार्रवाई करे और आतंकी गुटों के खिलाफ जांच और कड़ी कार्रवाई में भी तेजी लाए. विश्व की 17वीं बड़ी अर्थव्यवस्था वाले तुर्की के लिए यह एक बुरी खबर तो निश्चित तौर पर है ही, जो कि आर्थिक चुनौतियों का सामना तो कर ही रहा है, साथ ही वर्चस्व कायम करने के प्रयासों की विदेश नीति को ले कर भी सवालों के घेरे में है. 

तुर्की की अर्थव्यवस्था बुरे दौर में है. जून 2018 में तुर्की की मुद्रा लीरा में इस साल 20 फीसदी की गिरावट आई है, वहीं पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था दिवालियेपन की कगार पर है और ग्रे लिस्ट में फिर से बने रहने पर उसकी अर्थव्यवस्था को और नुकसान होगा, नकारात्मक असर पड़ेगा. पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष, विश्व बैंक, और एशिया विकास बैंक से मदद लेने में मुश्किल हो रही है. तुर्की ने अगली बैठक तक फर्जी कंपनियों और मनी लॉन्ड्रिंग पर ठोस कार्रवाई करने का भरोसा दिया है. भारत सहित विश्व समुदाय की नजर इस पर रहेगी कि पाकिस्तान इस दिशा में सही मायने में कितने कारगर कदम उठाता है.

Web Title: A double blow to Pakistan due to Turkey also coming in the gray list

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