गंगा नदी के किनारे मांस-मदिरा, डीजे, कूड़ा, फूहड़ता है ऋषिकेश में राफ्टिंग बैन का कारण

By उस्मान | Published: June 22, 2018 03:10 PM2018-06-22T15:10:25+5:302018-06-22T15:10:25+5:30

पवित्र गंगा नदी के किनारे खेल गतिविधियों के नाम पर फूहड़ता फैला रहे हैं पर्यटक

reasons of ban rafting and other water sports in rishikesh uttarakhand | गंगा नदी के किनारे मांस-मदिरा, डीजे, कूड़ा, फूहड़ता है ऋषिकेश में राफ्टिंग बैन का कारण

गंगा नदी के किनारे मांस-मदिरा, डीजे, कूड़ा, फूहड़ता है ऋषिकेश में राफ्टिंग बैन का कारण

नैनीताल हाईकोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को गंगा के तट पर रिवर राफ्टिंग, कैंपिंग, पैराग्लाइडिंग व अन्य एडवेंचर स्पोर्टस के लिए दो सप्ताह में सही नियम बनाने के निर्देश दिए हैं। तब तक प्रदेश में इन गतिविधियों पर रोक रहेगी। लोगों ने राफ्टिंग के नाम पर गंगा नदी के किनारे कैंप लगाने शुरू कर दिए। इससे गंगा नदी के किनारे कचरा, मांस-मदिरा और देर रात तक बजने वाले तेज गाने का चलन बढ़ गया है। कोर्ट ने कहा है कि नदी के किनारे खेल गतिविधियों के नाम पर फूहड़ता करने की मंजूरी नहीं मिल सकती है। 

गंगा नदी को पवित्र माना जाता है। वैज्ञानिक कहते हैं कि गंगा के पानी में बैक्टीरिया को खाने वाले बैक्टीरियोफ़ाज वायरस होते हैं। ये वायरस बैक्टीरिया की तादाद बढ़ते ही सक्रिय होते हैं और बैक्टीरिया को मारने के बाद फिर छिप जाते हैं। वैज्ञानिक खोजों ने साफ कर दिया है कि गंगा गोमुख से निकलकर मैदानों में आने तक अनेक प्राकृतिक स्थानों, वनस्पतियों से होकर प्रवाहित होती है। इसलिए गंगा जल में औषधीय गुण पाए जाते हैं जो व्यक्ति को शक्ति प्रदान करते हैं। यह जल सभी तरह के रोग काटने की दवा भी है। यदि भविष्य में गंगा लुप्त होती है तो इसका सबसे बड़ा दोष उन लोगों को लगेगा जो किसी भी तरह गंगा को गंदा करने में लगे हैं। गंगा नदी के तट पर मौज-मस्ती करने वाले लोगों का भी नदी को गंदा करने में बड़ा हाथ है।

प्रदूषण है वजह

हर साल लाखों लोग उत्तराखंड राफ्टिंग और अन्य वाटर स्पोर्ट्स एक्टिविटी करने आते हैं। यहां आने वाले अधिकतर लोग होटलों में न रहकर गंगा नदी के किनारे ही कैंप में रहना पसंद करते हैं। जाहिर है यहां खाना-पीना करने से बड़े स्तर पर गंदगी फैलती है और सारा कूड़ा-कचड़ा नदी में बहता है जिससे नदी और आसपास के क्षेत्र प्रदूषित होते हैं।  

राफ्टिंग वाले स्थानों बढ़ता ट्रैफिक

अगर आप राफ्टिंग वाले स्थानों पर गए हैं, तो आपने देखा होगा कि राफ्टिंग बोट को लाने-ले जाने के लिए वाहनों का इस्तेमाल किया जाता है जिस वजह से वहां ट्रैफिक बढ़ने लगा। इतना ही नहीं यह वाहन नदी के किनारे तक जाने लगे हैं। बढ़ते ट्रैफिक से यहां ध्वनि और वायु प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है। 

मांस-मदिरा का सेवन

ऐसा देखा गया है कि राफ्टिंग के लिए युवा बड़ी संख्या में आते हैं। युवाओं में मांस मदिरा के सेवन तेजी से बढ़ा है। उनकी कोई भी पार्टी या टूर बिना मदिरा के पूरा नहीं होता है। नदी के किनारे कैंप लगाने के बाद वहीं खाना बनाते हैं और रात होते ही उनकी पार्टी शुरू हो जाती है। 

डीजे और डांस

गंगा नदी के तट अब सिर्फ योग, आरती या पूजा-पाठ तक सीमित नहीं रह गए हैं। यहां आकर राफ्टिंग करने और कैंप में रहने वाले पर्यटक इन धार्मिक कामों से कहीं आगे निकल गए हैं। अब यहां डीजी बजता है और वो भी तेज आवाज के साथ। डांस होता है और शराब का सेवन किया जाता है। जाहिर है इससे पवित्र गंगा नदी अपवित्र हो रही है। 

(फोटो- पिक्साबे) 

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