ब्लॉग: बच्चों के जीवन से खेलते ऑनलाइन गेम्स, सावधान होने की जरूरत
By प्रमोद भार्गव | Published: March 27, 2023 12:26 PM2023-03-27T12:26:05+5:302023-03-27T12:27:01+5:30
आजकल अनेक बच्चे स्मार्ट फोन के आदी हो गए हैं. कोरोना काल में ऑनलाइन शिक्षा के बहाने ये विद्यार्थियों की मुट्ठी में आ गए. फिर क्या था, जो खेल भारत की समृद्ध संस्कृति, शारीरिक स्वास्थ्य और जीवन के विकास की अभिप्रेरणा थे, वे देखते-देखते भ्रम, ठगी, लालच और पोर्न का जादुई करिश्मा बनकर मन-मस्तिष्क पर छा गए. यहां तक कि ‘ब्लू व्हेल’ खेल में तो आत्महत्या का आत्मघाती रास्ता तक सुझाया जाने लगा. बच्चे लालच की इस मृग-मरीचिका के दृष्टिभ्रम में ऐसे फंसे कि धन तो गया ही, कईयों के प्राण भी चले गए.
सोशल मीडिया की यह आदत जिंदगी में सतत सक्रियता का ऐसा अभिन्न हिस्सा बन गई कि इससे छुटकारा पाना मुश्किल हो गया. इससे मुक्ति के स्थायी उपाय के अंतर्गत कानून लाने की बात सत्ता-संचालकों ने सोची, लेकिन इनका संचालन वैश्विक स्तर पर है और इनके सर्वर विदेशी धरती पर हैं इसलिए इन पर भारतीय कानून असरकारी नहीं होते.
खेल-खेल में कुछ कर गुजरने की मन:स्थिति भारत समेत दुनिया के अनेक बच्चों की जान ले चुकी है. मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में जनवरी 2022 में 11 वर्षीय सूर्यांश ने फांसी लगा ली थी. इसके पहले 16 वर्षीय विनय रजक और 12 वर्षीय बालिका दुर्गा ने फांसी लगाई थी. पुलिस पड़ताल से पता चला कि ये सभी बच्चे मोबाइल पर हिंसक खेल खेलने के आदी हो गए थे.
पूरी दुनिया में इस समय डिजिटल खेलों का कारोबार बढ़ रहा है. भारत में तो इसका रूप दैत्याकार होता जा रहा है. भारत से संचालित होने वाली खेल कंपनियों में चीन सहित कई देशों की कंपनियों की पूंजी लगी हुई है. इन खेलों के अमेरिका, चीन, भारत, ब्राजील और स्पेन बड़े खिलाड़ी हैं. 2025 तक भारत में इन खेलों का व्यापार 290 अरब रुपए का हो जाएगा.