ब्लॉग: क्वांटम कम्प्यूटर की  दिशा में आगे बढ़ता भारत

By निरंकार सिंह | Updated: October 18, 2024 06:56 IST2024-10-18T06:55:33+5:302024-10-18T06:56:24+5:30

ऐसी स्थितियों में जहां संभावित संयोजनों की संख्या बहुत ज्यादा हो, क्वांटम कम्प्यूटर उन पर एक साथ विचार कर सकते हैं.

India moving towards quantum computer | ब्लॉग: क्वांटम कम्प्यूटर की  दिशा में आगे बढ़ता भारत

ब्लॉग: क्वांटम कम्प्यूटर की  दिशा में आगे बढ़ता भारत

एक समय था, जब अमेरिका ने भारत को सुपर कम्प्यूटर की टेक्नोलॉजी देने से इंंकार कर दिया था, लेकिन देश ने स्वदेशी तकनीक से न केवल सुपर कम्प्यूटर ‘परम’ बनाया बल्कि अब क्वांटम कम्प्यूटर बनाने की दहलीज पर है. देश में सुपर कम्प्यूटर के जनक, कम्प्यूटर वैज्ञानिक एवं पद्म भूषण डॉ. विजय पांडुरंग भटकर ने कहा कि पांच वर्ष में क्वांटम कम्प्यूटर बनाकर भारत सबको पीछे छोड़ सकता है, क्योंकि दुनिया में अभी इसके प्रोटोटाइप पर ही काम चल रहा है. यह मौजूदा कम्प्यूटर से कई हजार गुना शक्तिशाली होगा.  

भारतीय वैज्ञानिकों ने स्वदेशी तकनीक से परम रूद्र सहित तीन सुपर कम्प्यूटरों को बनाया है. इनसे ब्रह्मांड की उत्पत्ति, ब्लैकहोल, खगोल विज्ञान और मौसम के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण जानकारियां मिलेंगी. यह भारत की तकनीकी प्रगति में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है. इससे कई नई तकनीकों का विकास होगा और नवाचार को प्रोत्साहन मिलेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले हफ्ते इन सुपर कम्प्यूटरों को देश को समर्पित किया है.

क्वांटम कम्प्यूटर ऐसी मशीनें हैं जो डेटा संग्रहीत करने और गणना करने के लिए क्वांटम भौतिकी के गुणों का उपयोग करती हैं. यह कुछ कार्यों के लिए बेहद फायदेमंद हो सकता है जहां वे हमारे सबसे अच्छे सुपर कम्प्यूटर से भी बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं. क्लासिकल कम्प्यूटर, जिसमें स्मार्टफोन और लैपटॉप शामिल हैं, बाइनरी ‘बिट्स’ में जानकारी को एनकोड करते हैं जो 0 या 1 हो सकते हैं. क्वांटम कम्प्यूटर में, मेमोरी की मूल इकाई क्वांटम बिट या क्यूबिट होती है.

क्यूबिट्स को भौतिक प्रणालियों का उपयोग करके बनाया जाता है, जैसे कि इलेक्ट्रॉन का स्पिन या फोटॉन का अभिविन्यास. ये प्रणालियां एक साथ कई अलग-अलग व्यवस्थाओं में हो सकती हैं, यह गुण क्वांटम सुपरपोजिशन के रूप में जाना जाता है. क्वांटम उलझाव नामक एक घटना का उपयोग करके क्यूबिट्स को एक साथ अटूट रूप से जोड़ा जा सकता है. इसका परिणाम यह होता है कि क्यूबिट्स की एक श्रृंखला एक साथ विभिन्न चीजों का प्रतिनिधित्व कर सकती है. उदाहरण के लिए, 0 से 255 के बीच किसी भी संख्या को दर्शाने के लिए एक क्लासिकल कम्प्यूटर के लिए आठ बिट्स पर्याप्त हैं.

लेकिन एक क्वांटम कम्प्यूटर के लिए 0 से 255 के बीच हर संख्या को एक साथ दर्शाने के लिए आठ क्यूबिट्स पर्याप्त हैं. ब्रह्मांड में जितने परमाणु हैं, उससे ज्यादा संख्या को दर्शाने के लिए कुछ सौ उलझे हुए क्यूबिट्स पर्याप्त होंगे. यहीं पर क्वांटम कम्प्यूटर क्लासिकल कम्प्यूटरों पर बढ़त हासिल करते हैं. ऐसी स्थितियों में जहां संभावित संयोजनों की संख्या बहुत ज्यादा हो, क्वांटम कम्प्यूटर उन पर एक साथ विचार कर सकते हैं. उदाहरणों में बहुत बड़ी संख्या के अभाज्य गुणनखंडों को खोजने की कोशिश करना या दो स्थानों के बीच सबसे अच्छा मार्ग खोजना शामिल है.

Web Title: India moving towards quantum computer

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