इंसानी बुद्धि पर भारी दिखने लगा है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस; स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि से लेकर शासन प्रणाली में दे रहा दखल
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: March 25, 2023 03:20 PM2023-03-25T15:20:15+5:302023-03-25T15:24:36+5:30
सड़क दुर्घटनाओं को रोकने की खातिर वरदान बन हरेक वाहन में ऐसी सेंसर प्रणाली विकसित हो सकेगी जो खुद-ब-खुद सामने वाली गाड़ी की स्थिति, संभावित चूक या गड़बड़ी को रीड कर स्वतः नियंत्रित हो जाए तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए। इस पर भारत में भी काम चालू है।
ऋतुपर्ण दवेः बहुत जल्द आने वाला दौर खुल जा सिमसिम से कम नहीं होगा। तब अली बाबा और चालीस चोर एक गुफा में रखे खजाने तक पहुंचने की खातिर दरवाजा खोलने और बंद करने के लिए सिमसिम बोला करते थे। आज इशारे, बोली या चेहरे के संकेतों से बहुत कुछ कर गुजरने की क्षमता हासिल होती जा रही है। इसमें दो राय नहीं कि 21वीं सदी का यह दौर एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस या कृत्रिम बुद्धमत्ता का है। इसकी शुरुआत 1950 के दशक में हुई। लेकिन निर्णायक मुकाम तक पहुंचने में थोड़ा वक्त लगा।
सच तो यही है कि एआई की कहां-कहां और कैसी दखल होगी इसकी न तो कोई सीमा है और न अंत। हर दिन नए-नए फीचरों के साथ करिश्माई तकनीक पहले से बेहतर विकल्पों के साथ परिवर्तन, सुधार या विकसित होकर सामने होती है। दुनिया सबसे पहले इसके सहज रूप रोबोट से रू-ब-रू हुई जो सबकी पहुंच में नहीं रहा। लेकिन इस तकनीक ने घर-घर दस्तक देकर अपनी निर्भरता खूब बढ़ाई। अब साल भर में मोबाइल, टीवी, गैजेट्स आउटडेटेड लगने लगते हैं। आगे क्या होगा अकल्पनीय है। कृत्रिम बुद्धि की दौड़ इंसानी बुद्धि पर भारी दिखने लगी है।
एआई ने व्यापार के पूरे तौर-तरीके बदल दिए। हरेक उद्योग, व्यापार इसके बिना अधूरा और अनुपयोगी है। स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि या फिर नागरिक शासन प्रणाली- सबमें जबर्दस्त दखल है।
एआई तकनीक से जल्द ही चौक-चौराहों पर बिना पुलिस के अचूक स्मार्ट पुलिसिंग की पहरेदारी दिखेगी। अनेक खूबियों से लैस 360 डिग्री घूमने में सक्षम कैमरे जो हरेक गतिविधियों को भांपने, पहचानने में दक्ष तथा कंट्रोल रूम में तैनात टीम को चुटकियों में सूचना साझा कर मौके पर पहुंचाने में मददगार होंगे। वहीं सड़क दुर्घटनाओं को रोकने की खातिर वरदान बन हरेक वाहन में ऐसी सेंसर प्रणाली विकसित हो सकेगी जो खुद-ब-खुद सामने वाली गाड़ी की स्थिति, संभावित चूक या गड़बड़ी को रीड कर स्वतः नियंत्रित हो जाए तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए। इस पर भारत में भी काम चालू है। ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम यानी जीपीएस का उदाहरण सामने है जो हमें आसमान से धरती की अनजान जगह पर बिना किसी से पूछे सुरक्षित रास्ते से पहुंचाता है। लोकेशन शेयर करने पर मूवमेंट की जानकारी देने जैसा सारा कुछ एआई की ही देन है।