Artificial Intelligence Action Summit: मशीनों की क्षमता कहीं डराने तो नहीं लगी!

By अभिषेक कुमार सिंह | Updated: February 11, 2025 07:04 IST2025-02-11T07:04:23+5:302025-02-11T07:04:23+5:30

एआई एक्शन समिट, जिसका आयोजन इससे पहले 2023 में ब्रिटेन में और वर्ष 2024 में दक्षिण कोरिया में हो चुका है, का उद्देश्य वैसे तो वैश्विक दायरे में एआई-अग्रणी देशों की प्रशासनिक भूमिका तय करना है.

Artificial Intelligence Action Summit: Are the capabilities of machines starting to scare us? | Artificial Intelligence Action Summit: मशीनों की क्षमता कहीं डराने तो नहीं लगी!

Artificial Intelligence Action Summit: मशीनों की क्षमता कहीं डराने तो नहीं लगी!

Artificial Intelligence Action Summit: पेरिस (फ्रांस) में आयोजित आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक्शन समिट में एआई यानी कृत्रिम मेधा से जुड़ी हस्तियों, नीति निर्माताओं और नौकरशाही को एक मंच पर लाकर यह जानने की कोशिश हो रही है कि क्या दुनिया एआई पर भरोसा कर सकती है. इस सम्मेलन की सहअध्यक्षता कर रहे भारत के प्रधानमंत्री के अलावा अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस, ओपनएआई के सीईओ सैम ऑल्टमैन, माइक्रोसॉफ्ट प्रमुख ब्रैड स्मिथ, गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई और चीनी उपप्रधानमंत्री झांग गुओकिंग की मुख्य चिंता यह है कि भविष्य में आर्थिक विकास के मामले में एआई की क्या भूमिका रहेगी. 

भले ही इन सारे सम्मेलनों का जोर इस पर ज्यादा रहा है कि कैसे एक नई तकनीक का सार्थक इस्तेमाल किया जाए लेकिन शायद मानव इतिहास में यह पहला ऐसा मौका है जब पूरी दुनिया इसे लेकर आशंकित है कि इंसानों के हाथों हुआ एक आविष्कार न सिर्फ हमारी बुद्धिमता को चुनौती देने लगा है, बल्कि हमारे हाथ का कामकाज छीनकर सभ्यता पर कब्जा करने की हैसियत में आ गया है.

एआई एक्शन समिट, जिसका आयोजन इससे पहले 2023 में ब्रिटेन में और वर्ष 2024 में दक्षिण कोरिया में हो चुका है, का उद्देश्य वैसे तो वैश्विक दायरे में एआई-अग्रणी देशों की प्रशासनिक भूमिका तय करना है. मिसाल के तौर पर पेरिस सम्मेलन की सह-अध्यक्षता कर रहे भारत के प्रधानमंत्री एआई के क्षेत्र में सुरक्षित माहौल बनाने संबंधी भारतीय नीति का खुलासा कर सकते हैं. 

साथ ही, स्वच्छ ऊर्जा संबंधी समाधानों में एआई के योगदान और एआई मॉडलों की मुफ्त उपलब्धता के अलावा बड़े पैमाने पर उत्पादित हो रहे डाटा की सुरक्षा जैसे मुद्दों पर भी चर्चा हो सकती है. पर सच्चाई यह है कि दुनिया के सामने इस समय एआई अपनी नकारात्मक भूमिका के कारण ज्यादा चर्चा में है. 

भले ही कहा जा रहा हो कि ऐसे सम्मेलनों के जरिये एआई यानी कृत्रिम मेधा से जुड़ी नौकरशाही, नीति निर्माता, स्टार्टअप या डेवलपर आदि लोग एक मंच पर आकर यह तय करेंगे कि कैसे ज्यादा से ज्यादा काम एआई से लिए जा सके और नए रोजगार बनाए जा सकें, पर यह एक कड़वी सच्चाई है कि भारत जैसे आबादीबहुल देश के लिए इस वक्त ज्यादा बड़ी चिंता नौकरियों या रोजगार की ही है. सबसे बड़ा खतरा कृत्रिम बुद्धि यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लैस मशीनों के हाथों अपने रोजगार यानी नौकरियां गंवा देने का है.

नवंबर, 2018 को नेशनल कांग्रेस ऑफ अर्जेंटीना और अंतरसंसदीय संघ की ‘फ्यूचर ऑफ वर्क’ विषय लेकर एक शिखर बैठक हुई तो इसमें भारत से भाग लेने गईं तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने दुनिया को आश्वस्त किया कि मशीनें कभी इंसानों का स्थान नहीं ले सकतीं. यह आश्वस्ति अपनी जगह ठीक है, लेकिन बेरोजगारी से बुरी तरह त्रस्त मुल्क के लिए क्या सच्चाई यही है? 

असल में इस सवाल का सबसे चौंकाने वाला जवाब यह है कि इंसान बहुत कुछ मशीनों के हाथों गंवा चुका है. अब इंतजार सिर्फ एक मुकम्मल तारीख और उस वाकये का है, जब कहा जाएगा कि इंसान इस कायनात पर से अपनी बादशाहत खो बैठा है और इस दुनिया पर एकछत्र राज करने के मामले में अब मशीनों का वक्त शुरू हो गया है.

Web Title: Artificial Intelligence Action Summit: Are the capabilities of machines starting to scare us?

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