नीयत ही है सब धर्मो का आधार, भावना शुद्ध होनी चाहिए
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: November 1, 2021 12:34 PM2021-11-01T12:34:21+5:302021-11-01T12:34:21+5:30
800 वर्ष से अजमेर शरीफ में मानवजाति की सेवा की जा रही है। एकता, मानवता व शांति का संदेश दिया जाता है। यह संदेश भारत पहले से ही देता आया है। कश्मीर से कन्याकुमारी तक जितने भी गुरुद्वारे हैं, वहां फरीदवाणी का पाठ होता है।
लोकमत के नागपुर संस्करण की स्वर्ण जयंती के अवसर पर आयोजित राष्ट्रीय अंतरधर्मीय सम्मेलन में ‘धार्मिक सौहाद्र्र के लिए वैश्विक चुनौतियां और भारत की भूमिका’ विषय पर हुई परिषद में धर्मगुरुओं के संबोधन के संपादित अंश
मंदिर, गुरुद्वारा, चर्च सहित किसी भी धार्मिक स्थान पर जाइए। जिस भावना और जिस उद्देश्य से आप उस प्रार्थना स्थल पर जा रहे हैं अगर वह भावना और उद्देश्य बाहर आने पर न हो तो आपका वहां जाना केवल दिखावा ही होगा और धर्म में दिखावा नहीं होता। सलाम शब्द का अर्थ होता है शांति। उसे अमन भी कहा जाता है। इस अमन (शांति) से हमें सब्र (धैर्य) और शुक्र (धन्यवाद), यह दो ताकतें मिली हैं। इन ताकतों के बूते हम किसी भी चुनौती का सामना कर सकते हैं।
व्यक्ति की भावना या उद्देश्य यानी नीयत। आप किस भावना से अपने ईश्वर की प्रार्थना कर रहे हैं, यह महत्वपूर्ण है। किसी व्यक्ति ने नमाज अदा की और उसके बाद कुछ ऐसा काम किया जो मानव जाति के लिए सही नहीं है तो उसके द्वारा की गई नमाज किसी काम की नहीं। इसीलिए नीयत ही सभी धर्मो का आधार है। किसी भी धर्म की आस्था को नुकसान पहुंचाना सबसे बड़ा गुनाह है।
800 वर्ष से अजमेर शरीफ में मानवजाति की सेवा की जा रही है। एकता, मानवता व शांति का संदेश दिया जाता है। यह संदेश भारत पहले से ही देता आया है। कश्मीर से कन्याकुमारी तक जितने भी गुरुद्वारे हैं, वहां फरीदवाणी का पाठ होता है। ऐसे अनेक उदाहरण हैं जहां खानकाहे और आश्रम के सूफी संत एक-दूसरे से मुलाकात करते थे।
बाबा फरीद के आश्रम में संत-फकीर आया करते थे और श्वास से जुड़े आसन करते थे। गोरखनाथ मठ में जो दीक्षा दी जाती थी, वह योगियों और फकीरों में काफी पहले से देखी जाती रही है। भारत पहले भी विश्वगुरु था और आगे भी अध्यात्म की शक्ति से दोबारा विश्वगुरु बन सकता है।
‘नहीं है भारत देश जैसा कोई, अगर यहां पर आते हैं, तो कोई दूसरा पराया और अनजान होता नहीं। हम एक हैं.. एक वतन हमारा। ये पैगाम इस सरजमीं से पूरी दुनिया के अंदर इंशाअल्ला हम देते रहेंगे..सदा ही मोहब्बत सुनाते रहेंगे’
गद्दीनशीन हाजी सैयद सलमान चिश्ती,
अजमेर शरीफ दरगाह