Hanuman Jayanti: हनुमान जयंती क्यों मनाते हैं...क्या है मान्यता और इसके पीछे की पौराणिक कथा?

By योगेश कुमार गोयल | Published: April 6, 2023 09:53 AM2023-04-06T09:53:47+5:302023-04-06T09:58:25+5:30

हनुमान जयंती साल में दो बार मनाया जाता है. देश के कई हिस्सों में इसे चैत्र मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है. वहीं, कुछ जगहों पर इसे कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को भी मनाया जाता है. जानिए...क्या है इसके पीछे की पौराणिक कथा

Why Hanuman Jayanti celebrated, What is the belief and the mythology story behind it | Hanuman Jayanti: हनुमान जयंती क्यों मनाते हैं...क्या है मान्यता और इसके पीछे की पौराणिक कथा?

बल, साहस और निष्ठा के प्रतीक माने जाते हैं संकटमोचक हनुमान

हिंदू पंचांग के अनुसार हनुमान जन्मोत्सव चैत्र मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है और इस वर्ष यह 6 अप्रैल को मनाया जा रहा है. हालांकि देश के कुछ हिस्सों में इसे कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को भी मनाया जाता है. वैसे हनुमान जन्मोत्सव साल में दो बार मनाया जाता है. पहला हिंदू कैलेंडर के अनुसार चैत्र शुक्ल पूर्णिमा को और दूसरा कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी अर्थात नरक चतुर्दशी को. 

कुछ मान्यताओं के अनुसार चैत्र पूर्णिमा को प्रातःकाल में एक गुफा में हनुमान का जन्म हुआ था जबकि वाल्मीकि रचित रामायण के अनुसार हनुमान का जन्म कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को हुआ था. मान्यता है कि चैत्र पूर्णिमा के दिन हनुमान सूर्य को फल समझकर खाने के लिए दौड़ पड़े थे और एक ही छलांग में उन्होंने सूर्यदेव के पास पहुंचकर उन्हें पकड़कर अपने मुंह में रख लिया था.

जैसे ही नटखट हनुमान ने सूर्य को मुंह में रखा, तीनों लोकों में हाहाकार मच गया था. इसी तिथि को विजय अभिनंदन महोत्सव के रूप में भी मनाया है. एक मान्यता के अनुसार कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन हनुमान की भक्ति और समर्पण से प्रसन्न होकर माता सीता ने उन्हें अमरता का वरदान दिया था.

आजन्म ब्रह्मचारी हनुमानजी को भगवान महादेव का 11वां अवतार अर्थात् रूद्रावतार भी माना जाता है और हिंदू धर्म में हनुमान जन्मोत्सव का विशेष महत्व है. महर्षि वाल्मीकि ने रामायण में उन्हें विशिष्ट पंडित, राजनीति में धुरंधर और वीर-शिरोमणि कहा है. बजरंग बली हनुमान को कलियुग में ‘कलियुग के राजा’ की उपाधि प्राप्त है. 

इस दिन भक्तजन हनुमान को प्रसन्न करने के लिए पूरे विधि-विधान से उनकी पूजा-अर्चना करते हुए व्रत भी रखते हैं, जगह-जगह भव्य शोभायात्राएं भी निकाली जाती हैं. इस अवसर पर हनुमान चालीसा, सुंदरकांड तथा हनुमान आरती का पाठ करना शुभ माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन जो भक्तजन हनुमान की भक्ति और दर्शन करते हुए व्रत रखते हैं, उन्हें हनुमान का आशीष प्राप्त होता है और उनके जीवन में किसी तरह का कोई संकट नहीं आता. 

दरअसल समस्त ब्रह्मांड में एकमात्र हनुमान ही ऐसे देवता माने जाते हैं, जिनकी भक्ति से हर प्रकार के संकट तुरंत हल हो जाते हैं और इसीलिए हनुमान को संकटमोचक भी कहा गया है. यह भी मान्यता है कि हनुमानजी की पूजा जीवन में मंगल लेकर आती है, इसीलिए उन्हें मंगलकारी कहा गया है. 

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हनुमान ही ऐसे देवता हैं, जो सदैव अपने भक्तों की रक्षा के लिए तत्पर रहते हैं. शक्ति, तेज और साहस के प्रतीक देवता माने गए हनुमान को सभी देवताओं ने वरदान दिए थे, जिससे वह परम शक्तिशाली बने थे.

Web Title: Why Hanuman Jayanti celebrated, What is the belief and the mythology story behind it

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