गीता का संदेश वर्तमान समय में सर्वाधिक प्रासंगिक, गिरीश्वर मिश्र का ब्लॉग

By गिरीश्वर मिश्र | Published: December 25, 2020 03:32 PM2020-12-25T15:32:21+5:302020-12-25T15:34:24+5:30

कृष्ण द्वैपायन व्यास द्वारा रचित महाभारत के भीष्म पर्व (अध्याय 23-40) में श्रीमद्भगवद्गीता प्राप्त होती है. इस अद्भुत रचना में कुल 700 श्लोक हैं जो 18 अध्यायों में निबद्ध हैं.

Srimad Bhagavad Gita Mahabharata composed by Vyasa message most relevant in present time Girishwar Mishra's blog | गीता का संदेश वर्तमान समय में सर्वाधिक प्रासंगिक, गिरीश्वर मिश्र का ब्लॉग

सारी कथाएं धर्म, युग धर्म, सूक्ष्म धर्म और धर्म संकट की व्याख्या प्रस्तुत करती हैं. (file photo)

Highlightsरचना 5वीं से दूसरी  ईसा पूर्व की अवधि में हुई थी.हर अध्याय के साथ एक योग का नाम लगा हुआ है.रचयिता महर्षि व्यास कथाओं के द्रष्टा और पात्न दोनों ही हैं.

आज के दौर में चिंता, अवसाद और तनाव निरंतर बढ़ रहे हैं. बढ़ती इच्छाओं की पूर्ति न होने पर क्षोभ और कुंठा होती है. तब आक्रोश और हिंसा  का तांडव शुरू होने लगता है.

दुखद बात तो यह है कि सहिष्णुता और धैर्य कमजोर पड़ने लगे हैं. आपसी रिश्ते, भरोसा और पारस्परिकता की डोर टूटती सी दिख रही है. धन-सम्पदा बढ़ रही है, शायद ज्यादा तेजी से और अधिक मात्ना में. पर हर कोई बेचैन सा दिख रहा है. किसी के मन को शांति नहीं है, चैन नहीं है. इसकी खोज में लोग दौड़ लगा रहे हैं.

अच्छे जीवन की तलाश जारी है, पर प्रसन्नता दूर ही भागती रहती है. तृप्ति नहीं मिलती. कुछ और पाने की दौड़ लगी रहती है और संतुष्टि नहीं होती. शांति के बदले कोलाहल बढ़ रहा है, अंदर भी और बाहर भी. यह भी पाया जाता है कि आर्थिक समृद्धि का जीवन संतुष्टि के साथ कोई सीधा और ठोस रिश्ता भी नजर नहीं है.

सूचना और ज्ञान के समुद्र में डूबते और गोते लगाते सभी परेशान नजर आ रहे हैं. ऐसे में हमें विकल्प के विचार और जीवन की शैली पर गौर करना होगा. इस धुंधलके में श्रीमद्भगवद्गीता एक प्रकाश के स्रोत की तरह है जो हमारी अपनी स्मृति का हिस्सा तो है, पर अचेतन में या अवचेतन में पहुंच जाने के कारण पहुंच से दूर हो गई है.

कृष्ण द्वैपायन व्यास द्वारा रचित महाभारत के भीष्म पर्व (अध्याय 23-40) में श्रीमद्भगवद्गीता प्राप्त होती है. इस अद्भुत रचना में कुल 700 श्लोक हैं जो 18 अध्यायों में निबद्ध हैं. अनुमानत: इसकी रचना 5वीं से दूसरी  ईसा पूर्व की अवधि में हुई थी. हर अध्याय के साथ एक योग का नाम लगा हुआ है. इसके रचयिता महर्षि व्यास कथाओं के द्रष्टा और पात्न दोनों ही हैं.

सारी कथाएं धर्म, युग धर्म, सूक्ष्म धर्म और धर्म संकट की व्याख्या प्रस्तुत करती हैं. महाभारत की कथा विष्णु पुराण में आती है. गीता संवाद की शैली में है जिसमें चार लोग हिस्सा लेते हैं- कृष्ण, अर्जुन, धृतराष्ट्र और संजय. कृष्ण द्वारा अर्जुन को उपदेश ही इसकी मूल कथा है. यह सब पांडव (अच्छाई) और कौरव (बुराई) के बीच कुरुक्षेत्न के युद्ध संदर्भ में होता है. विचार करने पर यह मनुष्य के अंदर चल रहे आंतरिक संघर्ष का नाटकीय रूप है.

इसकी चुनौतियां आज के दौर में भी मानव जीवन में अनुभव की जा रही हैं. उपभोक्तावाद और बाजार की शक्तियों के विस्तार के साथ जो परिस्थिति बन रही है उसमें गीता का चिंतन और जरूरी होता जा रहा है.गीता इस तरह के कुहासे के दौर में प्रकाश की किरण है.

सदियों से गीता ने विश्व मन को आकर्षित किया है. इसके दो हजार से ज्यादा अनुवाद विश्व की अन्यान्य भाषाओं में किए गए हैं. इसे  उपनिषद, ब्रह्म सूत्न के साथ प्रस्थानत्नयी में रखा गया है. इस पर अनेक टीकाएं या व्याख्याएं शंकराचार्य से लेकर तिलक, गांधी और विनोबा जैसे राजनेता और समाज सेवी और परमहंस योगानंद, महर्षि महेश योगी, स्वामी प्रभु पाद, स्वामी चिन्मयानंद आदि अनेक संतों ने लिखी हैं. सबने प्रेरणा पाई है. गद्य-पद्य के अनुवाद और विवेचन तो असंख्य हैं. यह निश्चय ही एक अत्यंत लोकप्रिय और विलक्षण रचना के रूप में चतुर्दिक स्वीकृत है, रुचि से पढ़ी जाती है और लोग प्रेरणा लेते हैं.

गीता के आख्यान अंत में हम पाते हैं कि अर्जुन का मोह समाप्त हो गया और स्मृति वापस मिल गई. वह अपनी प्रकृति या स्वभाव को समझ गया और सारे संदेह चले गए. हमें आशा है कि एक दिन हम सब भी स्मरण कर सकेंगे और आत्म बोध पा सकेंगे. गीता का विचार है कि व्यक्ति अपने द्वारा अपना उद्धार करे, अपना पतन न करे; क्योंकि आप ही अपना मित्न हैं और आप ही अपना शत्नु हैं. जिसने अपने आप से अपने आपको जीत लिया है, उसके लिए आप ही अपना बंधु हैं और जिसने अपने आप को नहीं जीता है, वह आप ही अपना शत्रु है.

Web Title: Srimad Bhagavad Gita Mahabharata composed by Vyasa message most relevant in present time Girishwar Mishra's blog

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