Guru Arjan Dev Ji: अनोखी शहादत दी थी गुरु अर्जुन देव जी ने, प्रेम, परस्पर भाईचारे, परमात्मा की भक्ति, प्रभु स्मरण, नेक जीवन जीने का संदेश

By नरेंद्र कौर छाबड़ा | Updated: May 30, 2025 05:21 IST2025-05-30T05:21:37+5:302025-05-30T05:21:37+5:30

Guru Arjan Dev Ji: अमृतसर सरोवर की नींव गुरु रामदास जी रखवा चुके थे. गुरु अर्जुन देव जी ने संगत के साथ मिलकर सेवा करते हुए यह सरोवर संपूर्ण करवाया.

Shaheedi Diwas of Guru Arjan Dev Ji 2025 Guru Arjan Dev ji given unique martyrdom blog Narendra Kaur Chhabra | Guru Arjan Dev Ji: अनोखी शहादत दी थी गुरु अर्जुन देव जी ने, प्रेम, परस्पर भाईचारे, परमात्मा की भक्ति, प्रभु स्मरण, नेक जीवन जीने का संदेश

सांकेतिक फोटो

Highlightsगुरुजी का जन्म सन्‌ 1563 में 15 अप्रैल के दिन चौथे गुरु श्री गुरु रामदास जी के घर हुआ था.श्रेष्ठ गुणों को देखकर पिता रामदासजी ने मात्र 18 वर्ष की आयु में उन्हें गुरुगद्दी सौंप दी. गुरुजी ने अपने पिता द्वारा आरंभ किए गए सभी कार्यों को जिम्मेदारी से पूरा करना शुरू कर दिया.

Guru Arjan Dev Ji: सिख गुरुओं तथा सिख कौम की शहादत से इतिहास भरा पड़ा है. सिख गुरुओं ने सदा प्रेम, परस्पर भाईचारे, परमात्मा की भक्ति, प्रभु स्मरण, नेक जीवन जीने का संदेश जनता को दिया. लेकिन जब-जब मनुष्यों पर अत्याचार, शोषण, धार्मिक उन्माद के तहत धर्म परिवर्तन जैसे अत्याचार किए गए, गुरुओं ने उनका पुरजोर विरोध किया और फलस्वरूप तत्कालीन शासकों से लड़ते हुए शहादत पाई. इसी परंपरा में सिखों के पांचवें गुरु श्री गुरु अर्जुन देव जी की शहादत को सर्वोच्च स्थान दिया गया है. गुरुजी का जन्म सन्‌ 1563 में 15 अप्रैल के दिन चौथे गुरु श्री गुरु रामदास जी के घर हुआ था.

उनके श्रेष्ठ गुणों को देखकर पिता रामदासजी ने मात्र 18 वर्ष की आयु में उन्हें गुरुगद्दी सौंप दी. गुरुजी ने अपने पिता द्वारा आरंभ किए गए सभी कार्यों को जिम्मेदारी से पूरा करना शुरू कर दिया. अमृतसर सरोवर की नींव गुरु रामदास जी रखवा चुके थे. गुरु अर्जुन देव जी ने संगत के साथ मिलकर सेवा करते हुए यह सरोवर संपूर्ण करवाया.

इसके पश्चात अमृतसर के बीचोंबीच श्री हरमंदिर साहिब बनाने का विचार गुरुजी ने किया. इसका नक्शा उन्होंने स्वयं बनाया तथा इसकी नींव मुस्लिम फकीर मियां मीर, जो गुरु घर के बहुत श्रद्धालु थे उनसे रखवा कर यह सिद्ध कर दिया कि वे सभी धर्मों को समान दृष्टि से देखते थे. इमारत पूरी होने पर यहां गुरु ग्रंथ साहिब का प्रकाश किया गया तथा बाबा बुड्ढा जी को पहला ग्रंथी नियुक्त किया गया.

फिर गुरुजी ने तरन तारन सरोवर तथा शहर की स्थापना के साथ ही जालंधर, छेहरटा साहिब, श्री हरगोविंदपुरा, गुरु का बाग, श्री रामसर आदि स्थानों का निर्माण कराया. रामसर सरोवर के किनारे बैठ उन्होंने भाई गुरदास जी से श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की बाणी लिखवाई.

सिख धर्म की यह उन्नति और उपलब्धियां कई लोगों को नहीं सुहाती थीं. लाहौर का दीवान चंदू गुरुजी के बेटे हरगोविंद जी से अपनी बेटी का रिश्ता टूट जाने के कारण उनका घोर विरोधी बन गया था. अकबर की मौत के बाद जहांगीर मुगल साम्राज्य के तख्त पर बैठा. उन्हीं दिनों जहांगीर के पुत्र खुसरो ने बगावत कर दी तो जहांगीर ने उसे गिरफ्तार करने का आदेश दिया.

वह पंजाब की ओर भागा तथा तरन तारन में गुरुजी के पास पहुंचा. गुरुजी ने अपने श्रेष्ठ मानवीय गुणों के आधार पर सहजता से उसका स्वागत किया और आशीर्वाद दिया. इससे जहांगीर बहुत क्रोधित हुआ और गुरुजी पर झूठे आरोप लगाकर उन्हें गिरफ्तार कर लिया. उनसे अपनी मर्जी करवाने की कोशिश की लेकिन गुरुजी ने झूठ का साथ देने से स्पष्ट इनकार कर दिया.

जहांगीर ने उन्हें लाहौर के हाकिम मुर्तजा खान के हवाले कर उन पर मनचाहे अत्याचार करने  की इजाजत दे दी. मुर्तजा खान ने गुरु घर के द्रोही चंदू के साथ मिलकर क्रूरता से उन्हें यातनाएं देनी शुरू कीं. पहले दिन गुरुजी को गर्म तवे पर बैठा कर शीश पर गर्म रेत डाली गई. फिर उन्हें देग में बैठा कर उबलते पानी में उबाला गया.

5 दिनों तक इसी प्रकार के अनेक कष्ट दिए गए . छठे दिन उनके अर्द्धमूर्छित शरीर को रावी नदी में बहा दिया गया. जब साईं मियां मीर ने गुरुजी को छुड़वाने की कोशिश की तो गुरुजी ने कहा, “क्या हुआ जो यह शरीर तप रहा है ! प्रभु के प्यारों को उसकी रजा में खुश रहना चाहिए.” जहां गुरुजी की देह को बहाया गया उस स्थान पर  गुरुद्वारा डेरा साहिब बनाया गया जो अब पाकिस्तान में है.

Web Title: Shaheedi Diwas of Guru Arjan Dev Ji 2025 Guru Arjan Dev ji given unique martyrdom blog Narendra Kaur Chhabra

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