फिरदौस मिर्जा का ब्लॉगः पैगंबर साहब की शिक्षाओं को फिर से अपनाने का वक्त
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: October 30, 2020 12:03 PM2020-10-30T12:03:06+5:302020-10-30T12:03:06+5:30
‘‘हमने तुम्हें संपूर्ण सृष्टि के लिए करुणास्वरूप भेजा है.’’
अल्लाह ने कुरान में पैगंबर मोहम्मद (स.) का जिक्र इस तरह किया है. हम इस साल उनका जन्मदिन 30 अक्तूबर को मना रहे हैं. पैगंबर साहब की जिंदगी आसान नहीं थी. उनके पिता का इंतकाल उनके जन्म से पहले ही हो गया था और जब वह शिशु अवस्था में ही थे, मां भी गुजर गईं. पैगंबर साहब ने पहले चरवाहे का काम किया, फिर कारोबारियों के पास नौकरी की. 42 वर्ष की उम्र से उन पर पाक कुरान का अवतरण होना शुरू हुआ. यह सिलसिला अगले 20 साल तक चला.
उनके जन्म के वक्त अरब प्रायद्वीप न तो देश था और न ही वहां कोई शासक था. वह विभिन्न कबीलों में बंटा हुआ था. पैगंबर के तौर पर जिंदगी के थोड़े से ही बरसों में उन्होंने समूचे अरब प्रायद्वीप को एकजुट करके पाक कुरान की शिक्षा और उससे तय राह (हदीस और सुन्नाह) पर चलने वालों के एक देश में तब्दील कर दिया. वह इकलौते ऐसी मजहबीहस्ती थे, जिनकी जिंदगी के दौरान ही लाखों अनुयायी बन गए थे.
कुरान का समूचा दर्शन और पैगंबर साहब की सीख, इंसानियत और खासतौर पर उपेक्षित लोगों की भलाई के लिए ही हैं. अपने अंतिम उपदेश में उन्होंने कहा था, ‘‘समूची मानव जाति आदम और हौव्वा की संतान है. एक अरब गैर-अरब से या गैर-अरब अरब से श्रेष्ठ नहीं है. न ही एक श्वेत एक अश्वेत से या एक अश्वेत एक श्वेत से. श्रेष्ठता केवल पवित्रता और अच्छे काम से होती है.’’ यह संदेश मैग्ना कार्टा से 600 बरस पहले और फ्रांस की क्रांति से 1100 बरस पहले दिया गया था. अगर इंसान पैगंबर साहब के भाईचारे के उपदेश का पालन करने लगे तो नस्लवाद खत्म हो जाएगा.
आधुनिक दुनिया में महिलाओं को पसंद और संपत्ति का अधिकार 20वीं सदी में जाकर मिला, लेकिन पैगंबर साहब ने तो 1400 साल पहले ही महिलाओं के विरासत और संपत्ति पर अधिकार को मान्यता दे दी थी. दुनिया में जबकि किसी भी संस्कृति में महिलाओं को पुरुषों के अत्याचार से मुक्त कराने के बारे में विचार नहीं किया गया था, पैगंबर साहब ने महिला के तलाक के अधिकार को मान्यता देकर उसकी आजादी का रास्ता खोला था. उन्होंने सिखाया, ‘‘मजहब का पालन करने वालों में वही सबसे बेहतर है जिसका चरित्र बेहतर है. और आप में सबसे बेहतर वही है जो अपनी महिलाओं के साथ अच्छा बर्ताव करते हैं.’’
वे एक आदर्श पति थे. वे हर रोज के कामकाज में पत्नी का हाथ बंटाते थे. वे खाना बनाते थे, साफ-सफाई में भी हाथ बंटाते थे. उनका कहना था, ‘‘तुम्हारी बीवी तुम्हारी नौकर नहीं. वह तो तुम्हारी साथी है.’’ वह एक दयालु पड़ोसी थे. उन्होंने उपदेश दिया, ‘‘वह इंसान जिसका पड़ोसी उससे सुरक्षित महसूस नहीं करता, मुसलमान नहीं है.’’ उन्होंेने आगे कहा, ‘‘वह भी धर्म का एक अच्छा अनुयायी नहीं है जो पड़ोसी के भूखे रहने पर भी खुद खा ले.’’
पाक कुरान के मुताबिक उनका सबसे बड़ा गुण उनका करुणामय स्वभाव था. जब वह मक्का में इस्लाम की शिक्षा दे रहे थे, मक्का के लोगों ने उन्हें इतना प्रताड़ित किया कि वे मदीना चले गए. उनके साथियों को भी परेशान किया गया और मार दिया गया. कुछ साल बाद पैगंबर साहब बड़ी संख्या में अनुयायियों के साथ मक्का लौटे और बिना खून की एक बूंद भी गंवाए उसे अपना बना लिया. पहले उन पर अत्याचार कर चुके मक्का के लोगों को लगता था कि अब उन्हें अपने किए की सजा दी जाएगी, लेकिन उन्हें हैरत हुई जब पैगंबर साहब ने सबको माफी का ऐलान करते हुए अपने ऊपर अत्याचार करने वाले लोगों को भी राहत दे दी. पैगंबर साहब की पत्नी आयेशा के मुताबिक, ‘‘वह अपने तईं कोई बदला नहीं लेते थे, जब तक कि अल्लाह की हुक्मउदूली न हुई हो.’’ उनका सिद्धांत था, ‘‘आप उन लोगों से बुरा बर्ताव न करें जो आपसे बुरा बर्ताव करते हैं. बल्कि आप उनके साथ माफी का, दयालुपन का बर्ताव करें.’’ उन्होंने चेतावनी दी है, ‘‘किसी के द्वारा एक मासूम जिंदगी का कत्ल पूरी इंसानियत के कत्ल के समान है.’’
पैगंबर साहब के शब्दों में, ‘‘लोगों, मेरे बाद कोई पैगंबर या प्रेरक नहीं आएगा और न ही कोई नया धर्म जन्म लेगा. इसलिए लोगों अच्छा बर्ताव करो और जो शब्द मैं बता रहा हूं उन्हें समझ लो. मैं अपने पीछे दो बातें छोड़ जा रहा हूं, कुरान और मेरा उदाहरण, सुन्नाह और अगर आप इनका पालन करेंगे तो कभी पथभ्रष्ट नहीं होंगे.’’
पैगंबर साहब के अनुयायियों को सही राह चुनने की जरूरत है और पैगंबर साहब द्वारा तय हदों को लांघने से बचना होगा. पाक कुरान के मुताबिक, ‘‘बेशक अल्लाह किसी कौम की हालत नहीं बदलता जब तक वह खुद अपने आप को न बदले.’’