ब्लॉग: भारतीय समाज और संस्कृति के अनिवार्य अंग हैं राम

By गिरीश्वर मिश्र | Published: October 24, 2023 10:14 AM2023-10-24T10:14:29+5:302023-10-24T10:16:32+5:30

रामकथा के सूत्र अतीत में भारत के बाहर श्रीलंका, इंडोनेशिया, मलेशिया, चीन, जापान, लाओस, थाईलैंड, म्यांमार और कम्बोडिया आदि देशों तक भी पहुंचे थे।

Dussehra 2023 Ram is an essential part of Indian society and culture | ब्लॉग: भारतीय समाज और संस्कृति के अनिवार्य अंग हैं राम

फोटो क्रेडिट- फाइल फोटो

संस्कृत भाषा में ‘राम’ शब्द की निष्पत्ति रम् धातु से हुई बताई जाती है जिसका शाब्दिक अर्थ होता है- सुहावना, हर्षजनक, आनंददायक, प्रिय और मनोहर आदि। आस्थावानों के लिए दीनबंधु दीनानाथ श्रीराम का नाम सुखदायी है, दुखों को दूर करने वाला है और पापों का शमन करने वाला है।

कलियुग में उदारमना श्रीराम के नाम का प्रताप आम जनों के लिए अभी भी जीवन के एक बड़े आधार का काम करता है। विष्णु के सातवें अवतार श्रीराम अयोध्या में राजा दशरथ और माता कौशल्या के पुत्र के रूप में अवतरित हुए। श्रीराम की कथा एक ऐसा सांस्कृतिक प्रतिमान बन गई जो पूर्णता की पराकाष्ठा बन लोक-समादृत हुई।

श्रीराम मानवीय आचरण, जीवन-मूल्य और आत्म-बल के मानदंड बन गए ऐसे कि उन्हें ‘मर्यादा पुरुषोत्तम’ के रूप में स्वीकार किया गया. आज भारतीय समाज और संस्कृति में श्रीराम की अनिवार्य उपस्थिति कुछ ऐसे ही है जैसे जीने के लिए जल, अन्न और वायु हैं। ये सभी धरती पर जीवन के पर्याय हैं और उसी तरह श्रीराम भक्तों के जीवन स्रोत हैं।

श्रीराम अन्याय, असत्य और हिंसा का प्रतिरोध करते हुए धर्म के प्रति समर्पित छवि वाले एक ऐसे अनोखे व्यक्तित्व को रचते हैं जो जीवन में बार–बार निजी-हित और लोक-हित के बीच चुनाव के द्वंद्व की चुनौती वाली विकट परिस्थितियों का सामना करता है।

उनके जीवन के घटनाक्रम को देखें तो स्पष्ट हो जाता है कि तात्कालिक आकर्षणों और प्रलोभनों को किनारे करते हुए वह व्यक्तित्व धर्म मार्ग पर अडिग रहते हुए हर कसौटी पर बेदाग और खरा उतरता है। व्यापक लोकहित या समष्टि का कल्याण ऐसा लक्ष्य साबित होता है कि उसके आगे सब कुछ छोटा पड़ जाता है।

राज-धर्म का निर्वाह करते हुए श्रीराम एक मानक स्थापित करते हैं और राम–राज्य कल्याणकारी राज्य व्यवस्था का आदर्श बन गया। महात्मा गांधी भी राम-राज्य के विचार से अभिभूत थे। आज भी भारत की जनता अपने राज नेताओं से ऐसे ही चरित्र को ढूंढ़ती है जो लोककल्याण के प्रति समर्पित हो।

छल-छद्म वाले नेताओं की भीड़ में लोग दृढ़ और जनहित को समर्पित नेतृत्व की तलाश कर रहे हैं। रामकथा के सूत्र अतीत में भारत के बाहर श्रीलंका, इंडोनेशिया, मलेशिया, चीन, जापान, लाओस, थाईलैंड, म्यांमार और कम्बोडिया आदि देशों तक भी पहुंचे थे और वहां के लोगों ने अपनाया और स्वयं को उससे जोड़ा भी तिब्बती रामायण, खोतानी रामायण, ककबिनरामायण, सेरतराम, सैरीराम, रामकेलिंग, पातानी रामकथा, इंडोचायना की रामकेर्ति, म्यांमार की यूतोकी रामयागन और थाईलैंड की रामकियेन राम-कथा का नए-नए रूपों में गायन और उद्घाटन करते हैं। राम इन देशों में वहां की स्मृति में ही नहीं भौतिक जीवन और व्यवहार में भी शामिल हैं। 

Web Title: Dussehra 2023 Ram is an essential part of Indian society and culture

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