घरेलू कलह के मामले में आखिर महिलाएं क्यों उठाती हैं आत्मघाती कदम, जानिए क्या हो सकते हैं कारण
By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: June 2, 2022 01:38 PM2022-06-02T13:38:34+5:302022-06-02T14:06:41+5:30
महिलाओं की ऊंची उड़ान को इस नजरिये से नहीं देखा जाता कि वे परिवार का सहारा बन रही हैं, उसका नाम रोशन कर रही हैं बल्कि यह सोचा जाता है कि वे घर के पुरुषों को नीचा दिखा रही हैं। यह हीन भावना भी घरेलू विवादों को जन्म देती हैं जिनकी परिणति बेहद दुखद रहती है। ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए विवाह तथा परिवार संस्था को मजबूत करना होगा।
महिलाएं जब पति या ससुराल के अन्य लोगों के हाथों मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना का लगातार शिकार होती हैं तो वे आत्मघाती कदम उठा लेती हैं। पारिवारिक कलह में पुरुष भी खतरनाक अपराध करने में पीछे नहीं रहते। कभी वह पत्नी और बच्चों की हत्या कर खुद भी जान दे देते हैं तो कभी फरार हो जाते हैं या आत्मसमर्पण कर देते हैं। समाज को सभ्य, सुसंस्कृत तथा अनुशासित बनाने के उद्देश्य से हमारे पुरखों ने विवाह संस्था की संकल्पना की। मगर जैसे-जैसे मानव विकास कर रहा है, विवाह संस्थाएं कमजोर होने लगी हैं।
भारत ही नहीं दुनिया भर में घरेलू कलह आम बात हो गई है। सोमवार 30 मई की रात महाराष्ट्र में रायगढ़ जिले की महाड़ तहसील के खारावली गांव में एक महिला ने अपने छह बच्चों को कुएं में फेंक दिया। मां को ममता की मूरत माना जाता है लेकिन वह इतनी क्रूर क्यों हो गई। इस घटना ने यह सवाल पैदा कर दिया है कि परिवार संस्था के कमजोर होने के लिए कौन से कारण जिम्मेदार हैं।
घरेलू हिंसा के अधिकांश मामलों में यह देखा गया है कि महिलाएं ही आत्मघाती कदम उठाती हैं। कई बार वे आत्महत्या कर लेती हैं, कभी अकेले तो कभी बच्चों के साथ। कुछ मामलों में क्रूरतम रूप में सामने आ जाती हैं। रायगढ़ जिले की घटना के बारे में पुलिस का कहना है कि ससुर द्वारा पीट देने के कारण महिला ने इतना जघन्य कदम उठाया।
आरोपी महिला एक दिन में इतनी कठोर नहीं हो गई होगी। उसके साथ लंबे समय से अत्याचार हो रहा होगा तथा उसका पति खामोश रहकर सब देख रहा होगा या वह भी पत्नी को प्रताड़ित कर रहा होगा। रायगढ़ की घटना अपने आप में कोई पहली घटना नहीं है जो दरकते पारिवारिक रिश्तों और विवाह की कहानी बयां करती हो। जबलपुर में शादी के सिर्फ छह माह बाद एक व्यक्ति ने बहू और पत्नी पर जानलेवा हमला कर खुदकुशी कर ली। महाराष्ट्र के अहमदनगर में कुछ साल पूर्व पत्नी की हत्या के बाद एक व्यक्ति ने खुद की जान ले ली।
बिहार के कटिहार में पति ने पत्नी और दो बेटियों को जिंदा जलाकर हत्या कर दी। पति-पत्नी विवाह संस्था को चलाने वाले पहिए हैं। उनके बीच बेहतर तालमेल एवं स्नेह की अपेक्षा की जाती है। परिवार में पति-पत्नी के बीच छोटे-मोटे विवाद होते रहते हैं लेकिन उनका हिंसक एवं आत्मघाती होना चिंता का विषय है। समय के साथ-साथ समाज भी बदला है, वैचारिक बदलाव भी हुए हैं, उम्मीदें तथा अपेक्षाएं भी बदली हैं। जब उम्मीदों तथा विचारों में तालमेल नहीं बैठता तो विवाद शुरू हो जाते हैं।
आर्थिक तंगी, व्यसन भी ऐसे विवादों को जन्मे देते हैं। समय बदलता है तो सब कुछ बदलता है। ऐसे में पति-पत्नी और घर के अन्य सदस्यों की जिम्मेदारी बढ़ जाती है। तनाव खत्म करने का रास्ता ढूंढ़ने के बदले पति-पत्नी कलह में उलझ जाते हैं। तनाव इतना बढ़ जाता है कि रायगढ़, जबलपुर और कटिहार जैसी लोमहर्षक घटनाएं होने लगती हैं। समाज तो बदल रहा है, महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुषों की बराबरी कर रही हैं लेकिन घर, कार्यालय तथा समाज का नजरिया उनके प्रति नहीं बदला है।
महिलाओं की ऊंची उड़ान को इस नजरिये से नहीं देखा जाता कि वे परिवार का सहारा बन रही हैं, उसका नाम रोशन कर रही हैं बल्कि यह सोचा जाता है कि वे घर के पुरुषों को नीचा दिखा रही हैं। यह हीन भावना भी घरेलू विवादों को जन्म देती हैं जिनकी परिणति बेहद दुखद रहती है। ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए विवाह तथा परिवार संस्था को मजबूत करना होगा। पति-पत्नी के बीच बेहतर सामंजस्य पैदा करना होगा। इसकी शुरुआत घर से होनी चाहिए। परिवार द्वारा बच्चों को दिए जाने वाले संस्कारों की विवाह संस्था को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका है और हमेशा रहेगी।