दो महीने में कम से कम 20 लड़के रुके थे मेरे फ्लैट पर

By मेघना वर्मा | Published: February 21, 2018 03:59 PM2018-02-21T15:59:49+5:302018-03-07T08:54:57+5:30

छोटे शहर से जरूर आई हूं लेकिन एक बंद कमरे के पीछे क्या होता है ये बखूबी जानती हूं और शायद ये मेरी सभ्यता ही है जो अभी तक मैंने अपनी रूममेट से इस बारे में खुल के बात नहीं की।

20 boys are staying in my flat | दो महीने में कम से कम 20 लड़के रुके थे मेरे फ्लैट पर

दो महीने में कम से कम 20 लड़के रुके थे मेरे फ्लैट पर

जब किसी इंसान को प्यार होता है तो हवाएं चलने लगती हैं, बारिश की हल्की बूंदें मिट्टी पर पड़ती हैं तो उसकी सोंधी सी खुशबू आपके प्यार को और भी खास बनाती है। प्यार का एहसास कुछ ऐसा होता है कि दिन-रात सब एक लगने लगते हैं। फिल्मी दुनिया के इसी प्यार को अपने आंखों में लिए मैं दिल्ली जैसे बड़े शहर में आई। शुरुआती कुछ दिनों में लगा कि बस यही एक शहर हैं जहां हर तरफ प्यार बिखरा है। मेट्रो स्टेशन पर खड़े लव-कपल्स या लोधी गार्डन में अपने प्यार का इजहार करती जोड़ियां। दो लोगों के बीच में प्यार देखकर मुझे बहुत अच्छा लगा। जिस शहर में लोगों के पास खुद के लिए समय नहीं होता उसी शहर में कुछ ऐसे जोड़े भी दिखे जो हर शाम ऑफिस के बाद एक कॉमन मेट्रो स्टेशन पर खड़े दिखे। उनकी चेहरों की हँसी दिल को छू लेने वाली थी, लेकिन कहते हैं ना कि जीवन का एक अनुभव इंसान की सोच बदल देता है मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ।

दिल्ली आने के बाद मैं जिस लड़की के साथ रुकी उससे मेरा कोई डायरेक्ट रिलेशन नहीं था मगर फिर भी थी वो मेरी दोस्त ही। शुरुआती कुछ दिनों में सब बहुत अच्छा चला। ऑफिस से आने के बाद हम अपने फ्लैट पर साथ चाय पीते थे। ऑफिस में हुए काम और ऑफिस के लोगों की बात करके साथ में हंसते भी थे। बारिश का मौसम था और हम दोनों साथ में बैठ कर चाय पी रहे थे कि तभी डोरबेल बजी। दरवाजा खोला तो हमारी ही उम्र का कोई नौजवान गेट पर था। मैं कुछ पूछ पाती उससे पहले ही मेरी दोस्त ने उसे गले लगा लिया। "कितने दिन बाद आये हो यार!!" सुनकर मैं समझ गयी थी उसका कोई दोस्त आया है। फॉर्मेलिटी का सिलसिला शुरू हुआ और हम तीनों आपस में बातें करने लगे। मुझे जितना बताया गया था वो लड़का मेरी दोस्त का स्कूल फ्रेंड था, जो काफी दिनों बाद उससे मिलने आया था। खैर समय बीता और रात के लगभग साढ़े दस बजे हम तीनों ने साथ खाना खाया। खाने के दौरान ही मुझे पता चला की मेरी दोस्त का "अच्छा दोस्त" आज हमारे घर ही रुकने वाला था। खाना खा के हम अपने-अपने रूम में चले गए और वो लड़का मेरी दोस्त के रूम में। 

अभी तक मुझे इतना तो समझ आ चुका था कि ये दोनों दोस्त से कुछ ज्यादा हैं लेकिन मैंने इसलिए कुछ नहीं कहा कि मुझे लगा शायद मुझसे नहीं बताना चाहते होंगे। दो लोगों के प्यार के इस रिश्ते में मुझे नहीं पड़ना चाहिए यही सोच के मैं अपने दोस्त के लिए बहुत खुश थी। लेकिन मेरे सुबह उठने से पहले ही वो लड़का जा चुका था। उस दिन के दो दिन बाद हम फिर साथ बैठे चाय पी रहे थे और एक बार फिर डोरबेल बजी। इस बार कोई दूसरा लड़का था। मुझे फिर से बताया गया कि वो मेरी दोस्त का जूनियर था...और पूरी घटना फिर से रिपीट हुई...सुबह मेरे उठने से पहले मेरी दोस्त का जूनियर भी घर से नदारद था। अब मुझे कुछ सही नहीं लग रहा था। फिर भी मैंने खुद पर काबू पाया और नार्मल दिखने की कोशिश की लेकिन अन्दर से मैं हिल गई थी। आने वाले दो महीनों में कम से कम 20 लड़के हमारे फ्लैट पर आये जिन्हें अपना सीनियर, अपना जूनियर और दोस्त बता कर मेरी रूममेट उसे अपने कमरे में रोकती रही। हैरानी की बात ये है की कोई भी लड़का मुझे सुबह उसके कमरे में नहीं मिलता था वो जा चुका होता था। 

छोटे शहर से जरूर आई हूं लेकिन एक बंद कमरे के पीछे क्या होता है ये बखूबी जानती हूं और शायद ये मेरी सभ्यता ही है जो अभी तक मैंने अपनी रूममेट से इस बारे में खुल के बात नहीं की। मैंने अपने करीबियों से जब इस बारे में बात की तो उन्होंने मुझे बताया की हो सकता है मेरी रूममेट इस "नाइट स्टैंड" का पैसा लेती हो। अगली बार डोरबेल बजती इससे पहले ही मैंने अपना रूम चेंज कर लिया। आज भी लोग जब मुझसे मेरे रूम चेंज करने का कारण पूछते हैं तो मैं सिर्फ ऑफिस दूर पड़ने का बहाना बना देती हूं।     

Web Title: 20 boys are staying in my flat

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