लोकसभा चुनाव की बिसात पर आरएसएस ने चली ये चाल, कांग्रेस अब क्या करेगी?

By IANS | Published: January 12, 2018 12:20 AM2018-01-12T00:20:22+5:302018-01-12T00:25:58+5:30

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की यह कोशिश कितनी कारगर होगी, यह कहना अभी जल्दबाजी होगी।

RSS Mohan Bhagwat new political moves for 2019 Loksabha elections | लोकसभा चुनाव की बिसात पर आरएसएस ने चली ये चाल, कांग्रेस अब क्या करेगी?

लोकसभा चुनाव की बिसात पर आरएसएस ने चली ये चाल, कांग्रेस अब क्या करेगी?

आगामी लोकसभा चुनाव के लिए भले ही एक वर्ष का वक्त शेष हो, मगर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने भारतीय जनता पार्टी की जीत के लिए चुनावी बिसात पर चालें चलना शुरू कर दी हैं। संघ की नजर समाज के उपेक्षित, दलित, आदिवासी, पिछड़े वर्ग पर है और इसके लिए उसने एक कार्ययोजना भी बना ली है। 

गुजरात विधानसभा के चुनाव नतीजों ने संघ को सकते में ला दिया है, क्योंकि गुजरात में दलित, उपेक्षित और पिछड़ा वर्ग जिस तरह से कांग्रेस की तरफ खिसका है, उससे संघ को इस बात का अंदेशा होने लगा है कि अगर लोकसभा चुनाव में भी यही हुआ, तो सत्ता में भाजपा की वापसी आसान नहीं होगी।

मध्य प्रदेश के लगातार प्रवास कर रहे संघ प्रमुख मोहन भागवत ने इशारों-इशारों में विदिशा में एकात्म यात्रा के दौरान इस बात का जिक्र भी कर दिया कि 'अब समाज के उस वर्ग को करीब लाना होगा जो हमसे दूर है।' 

लोकसभा चुनाव अगले वर्ष होना तय है, इसी को ध्यान में रखकर भागवत ने यात्रा में शामिल लोगों से साफ कहा कि 'वे इस मकर संक्रांति से अगले साल की मकर संक्रांति के लिए समाज के उस वर्ग से जुड़ने का संकल्प लें, जो हमारे लिए काम करता है। लिहाजा घर में बर्तन साफ करने वाली, कटिंग करने वाला, कपड़े धोने वाला (पिछड़ा वर्ग), वहीं जूते-चप्पल सुधारने वाले (दलित) से सीधे संपर्क करें, त्योहारों के मौके पर उनके घर जाएं और अपने घर बुलाएं। इसके चलते एक साल में सात से आठ बार आपस में मिलना-जुलना होगा, जो समाज के हित में होगा।"

संघ के जानकार और वरिष्ठ पत्रकार रमेश शर्मा ने आईएएनएस से चर्चा करते हुए कहा, "संघ हमेशा ही सामाजिक समरसता की बात करता रहा है, उसने आजादी से पहले ही हर गांव में एक कुआं, एक मंदिर और एक श्मशान की बात की थी। संघ तो उपनाम का भी पक्षधर नहीं है, इस बात का परीक्षण डॉ. अम्बेडकर ने स्वयं एक शाखा में जाकर किया था, लिहाजा संघ प्रमुख द्वारा सामाजिक समरसता का पक्ष लेने का अर्थ कतई यह नहीं है कि वह किसी दल के लिए यह कह रहे हैं।"

संघ प्रमुख किसके लिए कहते हैं और उनकी बातों का असल तात्पर्य क्या होता है, यह संघ से जुड़े लोग ही सही-सही समझ पाते हैं। जब चुनाव को ध्यान में रखते हुए दलितों, पिछड़ों को जोड़ने की बात कही जा रही है तो जाहिर है, डॉ. भीमराव अम्बेडकर का नाम बार-बार लिया जाएगा और लेकिन यह कतई नहीं बताया जाएगा कि डॉ. अम्बेडकर ने हिंदू धर्म क्यों छोड़ा।

जनता दल-युनाइटेड (शरद गुट) के महासचिव गोविंद यादव ने भागवत के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "गुजरात में एक बात साबित हो गई है कि भाजपा का दलित, पिछड़ा वर्ग में जनाधार कमजोर हो रहा है। अल्पेश ठाकोर, जिग्नेश मेवाणी और हार्दिक पटेल के प्रति देश के इनसे जुड़े वर्गो का आकर्षण बढ़ा है। इस स्थिति में संघ के पास सिर्फ एक ही रास्ता बचा है कि वह इन वर्गो में भरोसा पैदा करे। अगर संघ वाकई में इनका हिमायती है तो किसी दलित या पिछड़ा को सर संघचालक बनाए।"

वहीं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव का कहना है, "जिन राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं और जब से केंद्र में भी इसी पार्टी की सरकार आई है, तभी से दलित, आदिवासी और पिछड़ों पर अत्याचार शुरू हुए हैं। इन वर्गो के लोग अपने को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। भाजपा के साथ संघ को भी यह लगने लगा है कि इस वर्ग के बीच से उसकी जमीन खिसक चली है। लिहाजा, वह लोगों को अपने पुराने तौर तरीकों से लुभाने की कोशिश करने की तैयारी में है, मगर अब ऐसा कुछ होने वाला नहीं है। कोई इनके झांसे में आने वाला नहीं है।"

संघ प्रमुख के आह्वान पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ऐलान किया है कि वे मकर संक्रांति के मौके पर गांव में घर-घर जाकर तिल और गुड़ का वितरण करेंगे।  सूत्रों का कहना है कि संघ ने हर मोहल्ले में लोगों का समूह बनाने की रणनीति बनाई है और इसके लिए स्वयंसेवकों को लक्ष्य भी सौंप दिए हैं। संघ की यह कोशिश कितनी कारगर होगी, यह कहना अभी जल्दबाजी होगी।

 

Web Title: RSS Mohan Bhagwat new political moves for 2019 Loksabha elections

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