अवधेश कुमार का ब्लॉगः भाजपा अध्यक्ष के सामने चुनौतियां

By अवधेश कुमार | Published: January 21, 2020 07:05 AM2020-01-21T07:05:26+5:302020-01-21T07:05:26+5:30

भाजपा एक विचारधारा वाले संगठन परिवार का घटक है. इस कारण इसके अध्यक्ष की जिम्मेवारी इस मायने में ज्यादा है कि मातृ संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से लेकर अन्य संगठनों के साथ तालमेल बिठाकर काम करना होता है.

Blog of Avadhesh Kumar: Challenges before BJP President | अवधेश कुमार का ब्लॉगः भाजपा अध्यक्ष के सामने चुनौतियां

अवधेश कुमार का ब्लॉगः भाजपा अध्यक्ष के सामने चुनौतियां

जे.पी. नड्डा अब भाजपा के निर्वाचित अध्यक्ष हैं. जून 2019 से वे मनोनीत कार्यकारी अध्यक्ष थे. केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी का अध्यक्ष बनना किसी भी कार्यकर्ता-नेता के लिए जीवन के सबसे बड़े सपने का पूरा होना है. किंतु इसके साथ दायित्वों, लक्ष्यों और चुनौतियों का महाआयाम भी जुड़ जाता है. भाजपा एक विचारधारा वाले संगठन परिवार का घटक है. इस कारण इसके अध्यक्ष की जिम्मेवारी इस मायने में ज्यादा है कि मातृ संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से लेकर अन्य संगठनों के साथ तालमेल बिठाकर काम करना होता है.

उनके सामने अन्य चुनौतियां पहले से ज्यादा है. पहली चुनौती वह है जिसका अभी तक किसी अध्यक्ष को सामना नहीं करना पड़ा. इस समय विपक्षी दल भाजपा के खिलाफ पूरे देश में अभियान चला रहे हैं. नड्डा की नेतृत्व क्षमता का परीक्षण इसी में होना है. इस करो या मरो के वैचारिक युद्ध में वे सफल सेनापति की भूमिका निभा सकते हैं या नहीं, यह प्रश्न बना हुआ है.

दूसरी बड़ी चुनौती पार्टी का अंर्तसघर्ष है. नड्डा के कार्यकारी अध्यक्ष काल में ही महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड के चुनाव आयोजित हुए. महाराष्ट्र में शिवसेना से अलग होकर लड़ने का निर्णय भाजपा न कर सकी. परिणामत: गठबंधन में बहुमत पाते हुए भी वह सत्ता से बाहर है. हरियाणा में भी विद्रोह और भितरघात के कारण पार्टी बहुमत से वंचित रही तथा झारखंड में सत्ता से बाहर हो गई. अगर यह स्थिति दूर नहीं हुई तो फिर इस वर्ष के बिहार तथा आगे पश्चिम बंगाल एवं केरल जैसे महत्वपूर्ण विधानसभा चुनाव में समस्याएं आएंगी. इससे सरकार एवं पार्टी का आत्मबल कमजोर होगा. 

इससे बचने के लिए नड्डा को पार्टी और संगठन परिवार में आपादमस्तक अधिकतर कार्यकर्ताओं-नेताओं के अंतर्मन में यह भाव पैदा करना होगा कि सरकार विचारधारा पर काम कर रही है, जो हमारा लक्ष्य है. इसमें अपने या चहेतों के पद व कद की संकीर्ण सोच से बाहर निकलकर वैचारिक युद्ध लड़ना है. यह साधारण कार्य नहीं है. तीसरी चुनौती भविष्य में अकेले चलने के लिए पार्टी को तैयार करना है.

Web Title: Blog of Avadhesh Kumar: Challenges before BJP President

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