ब्लॉग: कई संयुक्त प्रयासों के चलते फिर से अपने उत्थान की ओर बढ़ रही भारतीय हॉकी! ओडिशा में हुआ हॉकी विश्व कप का आगाज

By राम ठाकुर | Published: January 16, 2023 10:55 AM2023-01-16T10:55:53+5:302023-01-16T11:09:12+5:30

आपको बता दें कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय हॉकी की दुर्गति के लिए अनेक कारण गिनाएं जा सकते हैं। लेकिन इसके लिए मुख्य रूप से एस्ट्रोटर्फ और भारतीय हॉकी महासंघ में कुर्सी के लिए चले सत्ता संघर्ष को मुख्य रूप से जिम्मेवार ठहराया जा सकता है।

Due to many joint efforts Indian hockey is moving towards its rise again Hockey World Cup begins in Odisha | ब्लॉग: कई संयुक्त प्रयासों के चलते फिर से अपने उत्थान की ओर बढ़ रही भारतीय हॉकी! ओडिशा में हुआ हॉकी विश्व कप का आगाज

फोटो सोर्स: Hockey India Media

Highlightsहॉकी विश्व कप का आगाज ओडिशा में हो गया है। 70 के दशक में जहां भारत की तूती बोलती थी, उसके बाद से ही प्रदर्शन में लगातार गिरावट देखी गई थी।ऐसे में अब भारत के पास अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा को पुन: हासिल करने का फिर से मौका मिला है।

नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के व्यस्ततम कार्यक्रम के बीच भारत की मेजबानी में हॉकी विश्व कप का आगाज हो चुका है. ओडिशा के शहर भुवनेश्वर और राउरकेला में सभी सुविधाओं से लैस हॉकी मैदानों पर मेजबान भारत समेत दुनिया भर की चोटी की टीमें इसमें शिरकत कर रही हैं, जिससे लंबे समय बाद देश में हॉकी की चर्चा हो रही है. आठ बार का ओलंपिक विजेता भारत हालांकि विश्व कप में केवल एक ही मर्तबा चैंपियन बन पाया है. 

70 के दशक में भारतीय हॉकी की बोलती थी तूती 

वर्ष 1975 के कुआलालंपुर (मलेशिया) विश्व कप में भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ जीत दर्ज कर खिताबी सफलता अर्जित की थी. 70 के दशक तक पूरे विश्व में भारतीय हॉकी की तूती बोलती रही. लेकिन समय के साथ-साथ भारतीय हॉकी लगातार पिछड़ती चली गई और बीच के कुछ वर्षों में तो उसके लिए ओलंपिक जैसे आयोजनों में हिस्सा लेना भी मुश्किल हो गया था.

कई कारणों के साथ दो और मुख्य मुद्दा है

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय हॉकी की दुर्गति के लिए अनेक कारण गिनाएं जा सकते हैं. लेकिन इसके लिए मुख्य रूप से एस्ट्रोटर्फ और भारतीय हॉकी महासंघ में कुर्सी के लिए चले सत्ता संघर्ष को मुख्य रूप से जिम्मेवार ठहराया जा सकता है. मूलत: भारतीय हॉकी की पहचान उसकी कलात्मकता के चलते ही रही है लेकिन एस्ट्रोटर्फ पर अंतरराष्ट्रीय मुकाबले कराए जाने के साथ ही भारतीय हॉकी के पतन का दौर शुरू हो गया. 

कलात्मक हॉकी की जगह पॉवर हॉकी ने ले ली. दमखम के मामले में भारतीय खिलाड़ी कमजोर साबित हुए. साथ ही देश में एस्ट्रोटर्फ से लैस मैदान चुनिंदा महानगरों में ही होने से जमीनी स्तर से जुड़े हॉकी खिलाड़ी इससे वंचित होते चले गए. 

हॉकी महासंघ और राज्यों के स्तर पर कुर्सी की जंग भी बनी है कारण

इसी दौरान देश में हॉकी महासंघ और राज्यों के स्तर पर कुर्सी की जंग भी तेज हो गई. राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर स्पर्धाओं का आयोजन थम सा गया था जिससे हॉकी के प्रति युवा प्रतिभाओं में मायूसी छा गई.

हाल के कुछ वर्षों में निश्चित रूप से स्थितियां सुधरी हैं. हॉकी इंडिया के गठन के साथ अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ (एफआईएच) पर भारत के बढ़ते दबदबे और ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक तथा मौजूदा एफआईएच अध्यक्ष एवं पूर्व ओलंपियन दिलीप टिर्की की मेहनत रंग ला रही है. 

कई संयुक्त प्रयासों के चलते भारतीय हॉकी टीम में आई है खोई हुई लहर

इन संयुक्त प्रयासों के चलते भारतीय हॉकी टीम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी खोई प्रतिष्ठा को पुन: हासिल करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है. इसी का परिणाम है कि भारत 41 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद टोक्यो ओलंपिक में कोई पदक (कांस्य) जीतने में कामयाब रहा है. 

रानी रामपाल की अगुवाई में देश की महिला टीम ने भी टोक्यो के खेलों में चौथा स्थान हासिल कर अपनी चमक बिखेरी थी. उम्मीद है कि हरमनप्रीत की अगुवाई में भारतीय टीम विश्व कप में पदक जीत कर देश के हॉकी प्रेमियों को खुशियां मनाने का अवसर देगी.
 

Web Title: Due to many joint efforts Indian hockey is moving towards its rise again Hockey World Cup begins in Odisha

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