विश्व गौरैया दिवस: गौरैया की आबादी में 60 से 80 फीसदी तक की कमी, कहीं इतिहास न बन जाए ये नन्हीं चिड़िया
By ललित गर्ग | Published: March 20, 2023 01:12 PM2023-03-20T13:12:46+5:302023-03-20T13:15:42+5:30
सुदूर अतीत से पिछले एक-दो दशक तक हमारे घर-आंगन में फुदकने वाली गौरैया आज विलुप्ति के कगार पर है. घरों को अपनी चीं-चीं से चहकाने वाली गौरैया अब बहुत कम दिखाई देती है. इस छोटे आकार वाले खूबसूरत एवं शांतिपूर्ण पक्षी का कभी इंसान के घरों में बसेरा हुआ करता था और बच्चे बचपन से इसे देखते हुए बड़े हुआ करते थे. अब स्थिति बदल गई है. इस नन्हें से परिंदे को बचाने के लिए ही पिछले कुछ सालों से प्रत्येक 20 मार्च को ‘विश्व गौरैया दिवस’ के रूप में मनाया जाता है, ताकि लोग इस नन्हीं-सी चिड़िया के संरक्षण के प्रति जागरूक हो सकें.
पक्षी विज्ञानी हेमंत सिंह के अनुसार गौरैया की आबादी में 60 से 80 फीसदी तक की कमी आई है. यदि इसके संरक्षण के उचित प्रयास नहीं किए गए तो हो सकता है कि गौरैया इतिहास का प्राणी बन जाए. ब्रिटेन की ‘रॉयल सोसायटी ऑफ प्रोटेक्शन ऑफ बर्ड्स’ ने भारत से लेकर विश्व के विभिन्न हिस्सों में अनुसंधानकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययनों के आधार पर गौरैया को ‘रेड लिस्ट’ में डाला है.
गौरैया जैसे पक्षी विभिन्न रसायनों और जहरीले पदार्थों के प्रति अति संवेदनशील होते हैं. ऐसे पदार्थ भोजन या फिर पक्षियों की त्वचा के माध्यम से शरीर में पहुंचकर उनकी मौत का कारण बनते हैं. भोजन की कमी होने, घोंसलों के लिए उचित जगह न मिलने तथा माइक्रोवेव प्रदूषण जैसे कारण इनकी घटती संख्या के लिए जिम्मेदार हैं.
जन्म के शुरुआती पंद्रह दिनों में गौरैया के बच्चों का भोजन कीट-पतंग होते हैं. पर आजकल हमारे बगीचों में विदेशी पौधे ज्यादा उगते हैं, जो कीट-पतंगों को आकर्षित नहीं कर पाते. अभी भी यदि हम जैव विविधता को बचाने का सामूहिक प्रयास नहीं करेंगे तो शायद बहुत देर हो जाएगी.